Jayant Chaudhary in UP Election 2022: अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं और माना जा रहा है कि इस बार जाटलैंड यानी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की चुनावी जंग में सबसे अहम भूमिका RLD अध्यक्ष जंयत चौधरी की रहने वाली है. लेकिन, जयंत चौधरी दुविधा में नजर आ रहे हैं. जयंत चौधरी ने 19 नवंबर को एसपी के साथ गठबंधन करने के सवाल पर कहा था, "चाय पी रहे हैं, चीनी घोली है, बहुत जल्दी मिठाई खिलाएंगे." फिर इसके एक दिन बाद ही 20 नवंबर को सम्मान की बात करने लगे. उन्होंने कहा कि सम्मान से समझौता नहीं करेंगे. यानी जयंत चौधरी दुविधा में हैं. पहले समाजवादी पार्टी के साथ चाय में चीनी घोल रहे थे लेकिन अब सम्मान की बात कर रहे हैं. जयंत चौधरी की इसी दुविधा पर एबीपी न्यूज़ ने ओपिनियन पोल में जनता से राय मांगी. ओपिनियन पोल में जनता का कहना है कि जंयत चौधरी और अखिलेश यादव एक हुए तो फायदा होगा. हालांकि, पिछले चुनावों के आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां करते हैं.


क्या हैं बीते विधानसभा चुनावों के आंकड़े?
2002 के विधानसभा चुनाव में RLD ने BJP के साथ गठबंधन किया था तब उसने 14 सीटें जीती थीं, वोट शेयर 2% था.
2007 के चुनाव में RLD अकेले मैदान में उतरी और 10 सीटों पर सिमट गई. हालांकि, उसका वोट शेयर दोगुना हुआ था.
2012 के चुनावों में RLD ने कांग्रस का हाथ थामा लेकिन वो 9 सीटों पर आ गई. वोट शेयर सिर्फ 2% ही रहा.
2017 में बीजेपी की लहर थी इसलिए अकेले चुनाव लड़ रही RLD को सिर्फ 1 सीट ही मिली. हालांकि, वोट शेयर बरकरार रहा.


RLD के लिए BJP फायदेमंद, क्या मिलाएंगे हाथ?
मतलब ये कि चुनावी बिसात पर बीजेपी से गठबंधन ही RLD के लिए फायदेमंद रहा है. 2009 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी के साथ गठबंधन करने पर ही RLD ने 5 सीटें जीती थीं, तो अब सवाल ये है कि क्या जयंत चौधरी फिर से बीजेपी का दामन थामेंगे? जयंत चौधरी ने इसका जवाब दिया, उन्होंने कहा, "एक साल बाद कानून वापस कर रहे हों तो जवाब देना पड़ेगा, किसानों की मौत का जवाब देना पड़ेगा, लखीमपुर का जवाब देना पड़ेगा. आज ये स्थिति नहीं है कि कानून वापस हो गया तो हम आपकी तारीफ करेंगे, किसानों के साथ खड़े रहेंगे."


सपा के साथ सीटों पर फंसा पेंच
अखिलेश और जयंत, दोनों बखूबी जानते हैं कि अगर यूपी में बीजेपी से मुकाबला करना है तो इनका साथ आना जरूरी है लेकिन बात सीटों पर अटक रही है. सूत्र बताते हैं कि आरएलडी, अखिलेश से 50 सीटों की मांग कर रही है जबकि समाजवादी पार्टी जंयत को सिर्फ 32 सीटें देने के लिए ही तैयार है. दोनों के बीच चरथावल सीट को लेकर भी पेंच फंसा हुआ है. यहां से समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस छोड़कर आए हरेंद्र मलिक को टिकट देने का फैसला किया है लेकिन इस सीट पर जयंत चौधरी भी दावेदारी कर रहे हैं. जयंत ने चरथावल में बड़ी रैली कर अपनी ताकत का प्रदर्शन भी किया है.


भाजपा भी जयंत को साथ लाने की कोशिश में है
यूपी चुनाव में सत्ताधारी दल की ओर से भी जयंत चौधरी को साथ लाने की कोशिशों की चर्चा है. चर्चा ये भी है कि बीजेपी का भी एक धड़ा जयंत की पार्टी के साथ गठबंधन चाहता है. तीन कृषि कानूनों की वापसी के बाद बीजेपी की कोशिश अब जयंत को साथ लाने की है. गृह मंत्री अमित शाह को पश्चिमी यूपी का प्रभारी बनाए जाने के बाद इस चर्चा को और बल मिला है.


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