मुंबई: एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर उनकी किताब ‘जन राज्यपाल’ को लेकर निशाना साधा. पवार ने कहा कि, संविधान में ऐसे पद का उल्लेख नहीं है और धर्मनिरपेक्षता पर मुख्यमंत्री को दी गई उनकी सलाह का भी किताब में जिक्र नहीं है. कोश्यारी को लिखे गए 21 अक्टूबर की तारीख वाले एक पत्र में पवार ने कहा कि उन्हें उनकी किताब प्राप्त हुई जो राज्यपाल के एक वर्ष के कार्यकाल को दर्शाती है.
पवार ने लिखा, “शब्द ‘जन राज्यपाल’ का भारतीय संविधान में कहीं उल्लेख नहीं है, इसके बावजूद राज्य सरकार ने इसे (किताब को) प्रकाशित किया.” उन्होंने व्यंग्यपूर्ण लहजे में लिखा, “किताब में धर्मनिरपेक्षता पर मुख्यमंत्री को दी गई आपकी सलाह के बारे में भी जानकारी नहीं है, जिस पर कई केंद्रीय मंत्रियों ने संज्ञान लिया था.” पवार ने किताब भेजने के लिये कोश्यारी को पत्र में धन्यवाद भी कहा. इस महीने के शुरू में कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को कोरोना वायरस महामारी के कारण बंद पूजा स्थलों को खोलने में हो रही देरी पर पत्र लिखकर जानना चाहा था कि क्या वह “धर्मनिरपेक्ष” हो गए हैं.
उद्धव ठाकरे के बयान पर पवार बोले- ऐसा करना सामान्य बात
शरद पवार ने बुधवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के उस कथित बयान को ज्यादा तवज्जो नहीं दी कि वह चाहते हैं कि उनकी पार्टी शिवसेना एक दिन अपने दम पर सरकार बनाए. प्रदेश में अभी शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की गठबंधन सरकार है. शिवसेना विधायक और प्रवक्ता प्रताप सरनाइक के मुताबिक ठाकरे ने मंगलवार को जिला स्तरीय नेताओं के साथ एक ऑनलाइन बैठक में उनसे भविष्य में और मेहनत करने को कहा, जिससे पार्टी अपने दम पर सत्ता में आ सके. पवार ने नासिक में मीडिया से कहा कि ऐसी अपील सामान्य बात है.
उन्होंने कहा, “मैं बीते 30 वर्षों से (शिवसेना के) भगवा झंडे को फहराने (सरकार के मुख्यालय पर) के बारे में सुन रहा हूं. यह कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने के लिए कहा जाता है.” पवार ने कहा, “इसके कुछ और मायने तलाशने की जरूरत नहीं है. आप (तीनों दल) भाजपा को दूर रखने के लिये साथ आए हैं और इसके अच्छे नतीजे हैं. मैं सिर्फ यही कह सकता हूं कि साथ में शासन कीजिए.” कहा, “उद्धव ठाकरे, एनसीपी प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोराट जो भी फैसला करें, वह हम सभी पर बाध्यकारी है.”