मुंबई: दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों को आंदोलन करते हुए 72 दिन हो गए हैं. किसान आंदोलन के बहाने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. एनसीपी प्रमुख शरद पवार का कहना है कि किसान आज शांति से प्रदर्शन कर रहे हैं. अगर इस रास्ते को छोड़कर वे किसी दूसरे रास्ते पर चले गए तो देश के सामने बड़ा संकट आ सकता है.


शरद पवार ने कहा, "किसान अगर शांति के रास्ते को छोड़कर किसी दूसरे रास्ते पर चले गए तो देश के सामने बड़ा संकट आ सकता है. इसकी पूरी जिम्मेदारी बीजेपी सरकार को लेनी होगी. ऐसे कई मुद्दे हैं, आज जिनके हाथ में हुकूमत है वो संवेदनशील नहीं है."


उन्होंने 10 विपक्षी दलों के सांसदों को गाजीपुर में प्रदर्शनकारी किसानों से मिलने की इजाजत न हीं देने को लेकर भी केंद्र सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा, ‘‘वे (विपक्षी सांसद) महज किसानों का हालचाल जानने के लिए शांतिपूर्ण तरीके से वहां गये थे लेकिन उन्हें रोक दिया गया. यदि लोकतंत्र में ऐसा होगा तो उन्हें (सरकार को) आज या कल इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.’’


"गाजीपुर बॉर्डर का माहौल देश हित में नहीं"
नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों से मुलाकात करने जा रहे 10 विपक्षी दलों के 15 सांसदों को पुलिस ने आज गाजीपुर सीमा पर जाने से रोका दिया गया. 15 सांसदों के समूह में शिरोमणि अकाली दल (शिअद), द्रविड मुनेत्र कषगम (द्रमुक), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और तृणमूल कांग्रेस समेत अन्य दलों के सांसद शामिल थे.


एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा, "10 विपक्षी दलों के सांसदों ने आज गाजीपुर सीमा का दौरा किया. हमने वहां जो चीजें देखीं, वे चिंताजनक थीं. हम सिर्फ किसानों से मिलने के लिए वहां गए थे लेकिन हमें अनुमति नहीं दी गई. वहां का माहौल देश के हित में नहीं है. जिस हालात में किसान वहां बैठे हैं, ठीक नहीं है. बातचीत के जरिए समाधान निकालने की जरूरत है."


दिल्ली-उत्तर प्रदेश की सीमा पर गाजीपुर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था कायम है और यह अहम प्रदर्शन स्थलों में से एक है. यहां हजारों की संख्या में किसान केंद्र से नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर डेरा डाले हुए हैं.


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