मुंबई: शिवसेना ने गुजराती मतदाताओं को रिझाने के लिए अपने गुजराती विंग को एक्टिवेट कर दिया है. पार्टी के वरिष्ठ गुजराती नेताओं को अभी से शहर के सभी गुजराती बहुल इलाकों में जनसंपर्क अभियान शुरु करने के आदेश दे दिया है. 10 जनवरी को शिवसेना की तरफ से मुंबई में गुजरातियों का एक महासम्मेलन आयोजित किया जा रहा हैं. कैंपन की टैग लाइन है- 'मुंबई मा जलेबी ने फाफड़ा उद्धध ठाकरे आपडा'.


ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या शिवसेना को आगामी बीएमसी चुनाव हारने का डर सता रहा है? क्योंकि गुजराती मतदाताओं का साथ नहीं मिलने पर शिवसेना को चुनाव में बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता हैं. गुजराती मतदाता बीजेपी का परंपरागत वोट बैंक माना जाता हैं और इसी में सेंध लगाने के लिए शिवसेना ने यह कैंपन शुरू किया हैं.


मुंबई में 30 लाख गुजराती
मुंबई में करीब 30 लाख गुजराती रहतें हैं. बीएमसी की 227 सीटों में से करीब 50-52 सीटों पर गुजराती मतदाता निर्णायक भुमिका अदा करतें हैं. पहले बीजेपी और शिवसेना साथ थे तो हिंदूत्व के मुद्दे पर गुजराती मतदाता शिवसेना को भी मतदान करते थे. लेकिन अब क्योंकि शिवसेना और बीजेपी आगामी बीएमसी चुनाव अलग-अलग लड़ने वाले हैं. शिवसेना को बीएमसी हाथ से निकलने का खतरा सता रहा है. इसलिए उन्होंने अभी से ही गुजराती मतदाताओं को रिझाना शुरू कर दिया हैं.


फिलहाल बीएमसी में शिवसेना और बीजेपी के पास 82-82 सीट हैं. एमएनएस और निर्दलीय जोड़कर शिवसेना के पास कुल 97 सीटें हैं. इसके अलावा कांग्रेस क पास 30, एनसीपी के पास 9, एसपी के पास 6, एमआयएम के पास 2 और एमएनएस के पास एक सीट है.


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