शरद पवार बोले- किसानों की भावनाओं को समझना जरूरी, ऐसा नहीं हुआ तो गंभीर नतीजे होंगे
तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ शुक्रवार को हुई नौवें दौर की वार्ता में प्रदर्शनकारी किसान कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे. जबकि सरकार ने किसान नेताओं से उनके रुख में लचीलापन दिखाने की अपील की और कानून में जरूरी संशोधन के संबंध अपनी इच्छा जतायी.
मुंबई: केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसान पिछले कई हफ्तों से प्रदर्शन कर रहे हैं. आंदोलनकारी किसानों की नौवें दौर की सरकार से बातचीत भी बेनतीजा रही. अगले दौर की बातचीत के लिए 19 जनवरी का दिन तय हुआ है. इस बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार ने कहा कि किसी भी संवेदनशील सरकार के लिए जरूरी है कि वह आंदोलन कर रहे किसानों की भावनाओं को समझे ऐसा नहीं हुआ तो इसलिए इसके गंभीर नतीजे होंगे.
पवार ने कहा, 'किसान इस ठंड में प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी पांच किलोमीटर मार्ग पर डटे हुए हैं. वे अपनी मांगों को लेकर दृढ़ हैं. किसी भी संवेदनशील सरकार के लिए किसानों की भावनाओं को समझना जरूरी है. लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो इसके गंभीर परिणाम होंगे.'
सरकार-किसानों की नौवें दौर की वार्ता बेनतीजा तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ शुक्रवार को हुई नौवें दौर की वार्ता में प्रदर्शनकारी किसान कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे. जबकि सरकार ने किसान नेताओं से उनके रुख में लचीलापन दिखाने की अपील की और कानून में जरूरी संशोधन के संबंध अपनी इच्छा जतायी. विज्ञान भवन में करीब पांच घंटे तक चली बैठक में तीनों केंद्रीय मंत्री किसी निर्णायक स्थिति तक नहीं पहुंच सके. इसके बाद दोनों पक्षों ने तय किया कि अगली बैठक 19 जनवरी को होगी.
यह संयोग ही है कि अगले दौर की वार्ता उस दिन होने जा रही है जिस दिन कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध दूर करने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति की पहली बैठक होने की संभावना है. इससे एक दिन पहले कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर सकती है जो गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर रैली के आह्वान के खिलाफ दायर की गई है.
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