असम में अतिक्रमण हटाने के दौरान खूनी संघर्ष, कांग्रेस ने दरांग के डीसी और एसपी को तत्काल निलंबित करने की मांग की
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के छोटे भाई और दरांग के पुलिस अधीक्षक सुशांत बिस्वा सरमा ने दावा किया कि प्रदर्शनकारियों ने धारदार हथियारों से पुलिसकर्मियों व अन्य लोगों पर हमला कर पथराव भी किया.
गुवाहाटी: असम के दरांग जिले के सिपाझार में गुरुवार को पुलिस ने अतिक्रमणकारियों को बाहर निकालने की कोशिश के दौरान गोलियां चला दी, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई. पुलिस के साथ हुई झड़पों में करीब 20 लोग घायल हो गए. अब विपक्षी दलों ने दरांग में बेदखली अभियान चलाने के लिए असम सरकार को घेरा है. असम पीसीसी ने एक बयान में कहा कि महामारी के दौरान लोगों को उनके आवास से बेदखल करना सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का उल्लंघन है. राज्य पीसीसी ने मामले की न्यायिक जांच और दरांग डीसी और एसपी को तत्काल निलंबित करने की मांग की.
कांग्रेस पार्टी की राज्यपाल से मांगे-
- घटना की न्यायिक जांच उच्च न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश के अधीन होनी चाहिए.
- एक उपयुक्त पुनर्वास योजना को सार्वजनिक किए जाने तक बेदखली पर तत्काल रोक.
- उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक का तत्काल निलंबन.
- जो कैमरामैन और पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया और पूरे बर्बर कृत्य में भाग लिया, उन्हें भी अनुकरणीय दंड दिया जाना चाहिए. साथ ही मृतकों और घायलों को उचित मुआवजा दिया जाए.
- धौलपुर के लोगों के पुनर्वास और मुआवजा कार्यक्रम की रणनीति बनाने और योजना बनाने के लिए हितधारकों के साथ एक सर्वदलीय बैठक तुरंत बुलाई जानी चाहिए.
- कांग्रेस पार्टी को लगता है कि मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्वा सरमा ने संवैधानिक पद धारण करने के बावजूद, सभी नागरिकों की सेवा और रक्षा करने की शपथ लेने के बावजूद लगातार भड़काऊ बयान देकर पक्षपातपूर्ण व्यवहार किया है जिससे मामला और बिगड़ गया है. मुठभेड़ फायरिंग करने के लिए पुलिस को पूर्ण अधिकार देने के उनके बयान ने भी हत्या का लाइसेंस दिया था और असम को पुलिस राज्य में बदलने का खतरा था. डॉ. सरमा को मुख्यमंत्री के रूप में उनके शब्दों और आदेशों को भविष्य में पुलिस बल और असम राज्य में शांति बनाए रखने के लिए देखना चाहिए. सीएम के राजनीतिक सचिव के बेहद भड़काऊ बयानों को भी न्यायिक जांच के दायरे में लाया जाना चाहिए.
क्या है पूरा मामला
पुलिस दरांग के सिपाझार से 'अतिक्रमणकारियों' को निकालने गई थी, जिसके बाद झड़पें हुईं. इस दौरान 20 लोग घायल हो गए. हिंसा के फुटेज में एक व्यक्ति एक गतिहीन व्यक्ति को मारते हुए कैमरा मार रहा है. अपराधी की पहचान बिजय शंकर बनिया के रूप में हुई, जो एक पेशेवर फोटोग्राफर था, जिसे जिला प्रशासन ने स्थिति का दस्तावेजीकरण करने के लिए काम पर रखा था. बनिया को गिरफ्तार कर लिया गया.
राज्य सरकार ने जनता के बढ़ते गुस्से के बीच घटना की परिस्थितियों की न्यायिक जांच की घोषणा की. गृह एवं राजनीतिक विभाग के सचिव देवप्रसाद मिश्रा की ओर से जारी एक आदेश में कहा गया है कि सरकार ने फैसला किया है कि जांच गुवाहाटी उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा की जाएगी.
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के छोटे भाई दरांग के पुलिस अधीक्षक सुशांत बिस्वा सरमा ने दावा किया कि प्रदर्शनकारियों ने धारदार हथियारों से लैस पुलिसकर्मियों और अन्य लोगों पर पथराव किया. पुलिस ने शुरू में प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए हवा में गोलियां चलाईं, लेकिन असफल रही, जिससे वर्दीधारी लोगों को लोगों पर गोलियां चलाने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और कम से कम दस अन्य घायल हो गए. झड़पों में पुलिसकर्मियों समेत करीब 10 और लोग घायल हो गए.
कांग्रेस का राज्य सरकार पर हमला
कांग्रेस ने सुशांत बिस्वा सरमा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. राज्यसभा सांसद और असम कांग्रेस इकाई के पूर्व प्रमुख रिपुन बोरा ने शुक्रवार को ट्वीट कर दरांग के उपायुक्त और एसपी सुशांत बिस्वा सरमा के तत्काल स्थानांतरण की मांग की. बोरा ने ट्वीट किया, "हम दरांग जिले के डीसी और एसपी के तत्काल ट्रांसफर की मांग करते हैं."
लोकसभा सांसद गौरव गोगोई ने भी सपा और मुख्यमंत्री के बीच संबंधों का हवाला दिया और आरोप लगाया कि दोनों "बेदखली अभियान का शांतिपूर्ण समाधान नहीं चाहते थे". गौरव गोगोई ने ट्वीट किया, "मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के अपने भाई दरांग जिले के अधीक्षक पुलिस हैं जहां बर्बर हिंसा हुई थी. यह स्पष्ट है कि यह सीएम-एसपी की जोड़ी बेदखली अभियान का शांतिपूर्ण समाधान नहीं चाहती थी. सीएम असम को लगातार शर्मसार कर रहा है."
असम कांग्रेस प्रमुख भूपेन कुमार बोरा ने उपायुक्त और सपा के "तत्काल निलंबन" की मांग की.
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