UP Nikay Chunav Triple Test Formula: यूपी नगर निकाय चुनाव पर योगी सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आदेश दिया है कि यूपी में निकाय चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) के ही कराए जाएंगे. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर जारी की गई अधिसूचना को खारिज कर दिया. 


दरअसल, सरकार की अधिसूचना के खिलाफ कई जनहित याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिनमें सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय किए गए ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला के बगैर ही नोटिफिकेशन जारी करने की बात कही गई थी. आइए जानते हैं कि क्या है सुप्रीम कोर्ट का वो ट्रिपल टेस्‍ट फॉर्मूला जिसके चलते योगी सरकार को यूपी निकाय चुनाव में OBC आरक्षण पर लगा बड़ा झटका?


सुप्रीम कोर्ट का ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला


सुप्रीम कोर्ट ने कृष्णाराव गवली बनाम महाराष्ट्र सरकार और अन्य के मामले में ट्रिपल टेस्ट फार्मूला दिया था. जिसके अनुसार, ओबीसी आरक्षण देने के लिए राज्य का पिछड़ा वर्ग बताएगा कि पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने की जरूरत है या नहीं और आरक्षण देना है तो कितना देना है.


क्या हैं ट्रिपल टेस्ट के पैमाने?


1. सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले के अनुसार, राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग के पिछड़ेपन की स्थितियों (आर्थिक और शैक्षणिक), प्रकृति और प्रभाव का डेटा इकट्ठा करने के लिए एक विशेष आयोग का गठन किया जाना जरूरी है. 


2. राज्य सरकार को इस विशेष आयोग की सिफारिशों के आधार पर नगर निगम और नगरपालिका चुनाव में आनुपातिक आधार पर आरक्षण देना होगा.


3. राज्य सरकार को ये भी ध्यान रखना होगा कि एससी-एसटी या ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों की संख्या 50 फीसदी के कुल आरक्षण की सीमा से बाहर नहीं जाए.


कृष्णाराव गवली बनाम महाराष्ट्र सरकार केस से निकला था ये फॉर्मूला


महाराष्ट्र की सरकार ने राज्य के 92 नगर परिषदों और चार नगर पंचायतों के चुनाव कराने का ऐलान किया, लेकिन ओबीसी आरक्षण के लिए निश्चित प्रक्रिया नहीं अपनाई गई. इसके खिलाफ हाईकोर्ट में कई याचिकाएं लगीं. इनकी सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण रद्द कर सभी सीटों को सामान्य घोषित कर दिया.


महाराष्ट्र सरकार हाईकोर्ट के इस फैसले पर अध्यादेश ले आई, लेकिन ये दांव सुप्रीम कोर्ट के सामने नहीं चल सका और ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले के पालन के लिए सरकार को मजबूर होना पड़ा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर महाराष्ट्र सरकार ने निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण के लिए बांठिया आयोग का गठन किया. जिसकी सिफारिशों पर ही सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय निकायों में ओबीसी को आरक्षण देने का आदेश दिया.


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