Potash Scam Case: केंद्रीय जांच ब्यूरो ने पोटाश घोटाले (Potash Scam) में केंद्र सरकार को 52 करोड़ रूपए से ज्यादा का चूना लगाने के आरोप में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के भाई अग्रसेन गहलोत (Agrasen Gehlot) समेत 15 लोगों के खिलाफ विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर विभिन्न राज्यों में 15 स्थानों पर छापेमारी की. इस छापेमारी के दौरान अनेक महत्वपूर्ण दस्तावेज समेत इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जप्त किए गए हैं.
सीबीआई (CBI) के आला अधिकारी के मुताबिक इस मामले में पहले एक आरंभिक जांच का मामला दर्ज किया गया था. इस आरंभिक जांच के मामले में तथ्य पाए जाने के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो ने पिछले सप्ताह विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत एक मुकदमा दर्ज किया. इस मुकदमे में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाई अग्रसेन गहलोत और उनकी कंपनी अनुपम कृषि जोधपुर का नाम भी शामिल है.
इसके अलावा इस एफआईआर में सराफ इंपैक्स प्राइवेट लिमिटेड कोलकाता उसके निदेशक प्रवीण सराफ शिवम केमिकल्स के दिनेश चंद्र अग्रवाल कैलाशपति केमिकल्स एंड मिनरल्स के कैलाश पुरी गोस्वामी संदीप सप्लायर्स के शांतिलाल माली कृष्णा एग्रो एजेंसी के सुमेरपुरी गोस्वामी जय भवानी रोड लाइंस ट्रांसपोर्ट के पार्टनर विजय सिंह गोहिल स्वास्तिक शिपिंग सर्विसेज के बृजेश कुमार एंड ब्रदर्स धौलपुर के अशोक बाबूलाल अग्रवाल लक्ष्मी ट्रेडिंग कंपनी के अमृता लालबंदी वडोदरा की कुसुम ट्रेडर्स के नितिन कुमार शाह आदि के नाम शामिल हैं.
CBI ने किया ये दावा
सीबीआई का दावा है कि भारत सरकार (Indian Government) ने पोटाश के भारत से बाहर विदेशों में आपूर्ति किए जाने पर पाबंदी लगा रखी है और केवल भारत सरकार की अनुमति से ही इसे बाहर भेजा जा सकता है. सीबीआई (CBI) के आरोप के मुताबिक आरोपियों ने पोटाश को औद्योगिक नमक की आड़ में विदेश भेजा और ज्यादा पैसों की वसूली की. जबकि भारत सरकार से इसकी बिक्री पर भारत में बेचने को लेकर छूट ली जाती है. आरोपियों ने इस लेनदेन को कवर करने के लिए कोलकाता राजस्थान में डीलरों के माध्यम से फेल्डस्पर पाउडर /औद्योगिक नमक की फर्जी खरीद को कथित तौर पर दिखाया.
यह भी आरोप है कि आरोपियों ने 2007 से 2009 के बीच सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम्स एंड मैसेज इंडियन पोटाश लिमिटेड के अज्ञात अधिकारियों के साथ मिलकर आपराधिक षड्यंत्र रचा. इसके चलते केंद्र सरकार को 52 करोड़ रुपए से ज्यादा की सब्सिडी का नुकसान हुआ. सीबीआई ने आरंभिक जांच के बाद इस मामले में नियमित मुकदमा दर्ज कर 15 स्थानों पर छापेमारी की. छापेमारी के दौरान बरामद हुए दस्तावेजों और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की जांच का काम जारी है.
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