MP उपचुनाव में कमलनाथ की मुश्किल, कांग्रेस के ऑफर को प्रशांत किशोर ने ठुकराया
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के इस्तीफा देने के बाद कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देना पड़ा था. अब प्रदेश में 24 विधानसभा सीट खाली हैं, जहां उपचुनाव होने हैं.
पटना: मध्य प्रदेश में आने वाले दिनों में 24 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव का ऐलान होना बाकी है. लेकिन राजनीतिक पार्टियों ने चुनावी रणनीति बनाना शुरू कर दी है. एक दिन पहले खबर आई थी कि कांग्रेस मध्य प्रदेश में उपचुनाव जीतने के लिए चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की मदद लेने जा रही है. लेकिन अब प्रशांत किशोर ने इससे साफ इनकार कर दिया है. किशोर का कहना है कि फिलहाल राज्य स्तर पर कांग्रेस पार्टी के साथ काम करने में कोई रुचि नहीं है.
प्रशांत किशोर ने ऐसी खबरों का खंडन करते हुए मीडिया से कहा, "मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुझसे संपर्क किया था. लेकिन मैंने उन्हें कोई सहमति नहीं दी है. मैं इस पर अभी कोई फैसला नहीं ले रहा, क्योंकि राज्य स्तर पर कांग्रेस पार्टी के साथ काम करने का फिलहाल कोई इरादा नहीं है."
कांग्रेस नेता ने किया था दावा कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने दावा किया था कि कांग्रेस पार्टी प्रशांत किशोर की मदद लेगी. उन्होंने कहा था कि मध्य प्रदेश उपचुनाव में कांग्रेस के लिए प्रशांत किशोर काम करेंगे.
उन्होंने ये भी कहा, "सोशल मीडिया पर प्रशांत की मजबूत पकड़ है. 2018 में हमने इसी के दम पर बीजेपी को हराया था. बीजेपी की अल्पमत की सरकार है और उनकी गाड़ी धक्का प्लेट तक नहीं है. उपचुनाव में कमलनाथ ही कांग्रेस का चेहरा होंगे. कमलनाथ की अगुवाई में एक बार फिर मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार बनाएगी. 24 सीटों में होने वाले उपचुनाव में हर सीट पर कांग्रेस के पास 20 से ज्यादा दावेदार हैं."
कमलनाथ ने गुप-चुप शुरू की चुनावी तैयारियां कोरोना संकट के दौर में कांग्रेस प्रदेश अध्य्क्ष कमलनाथ गुप-चुप तरीके से उपचुनाव जीतने की रणनीति बना रहे हैं. कमलनाथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यकर्ताओं से चर्चा कर रहे हैं.
दरअसल, लॉकडाउन के दौर में ना तो रैलियां निकली जा सकती हैं ना सभाएं और ना ही डोर टू डोर जा कर प्रचार किया जा सकता है. ऐसे में एक मात्र विकल्प सोशल मीडिया प्लेटफार्म बचता है. लॉकडाउन की अवधि में राजनीतिक पार्टियों के पास सोशल मीडिया ही एक मात्र बड़ा हथियार बचता है. चुनाव के प्रचार-प्रसार का जिसके चलते दोनों ही प्रमुख पार्टियों ने सोशल मीडिया पर अपनी गतिविधियों को बढ़ाने का काम शुरू कर दिया है.
बता दें, प्रशांत किशोर चुनाव जीतने के लिए चुनावी मैनेजमेंट गुरू माने जाते है. चुनावी मैनेजमेंट गुरु प्रशांत किशोर लोकसभा और विधानसभा में पीएम नरेंद्र मोदी, अरविंद केजरीवाल और नीतीश कुमार के साथ काम कर चुके हैं और नतीजा सबके सामने है.
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