ऑनलाइन गेम्स को लेकर कड़े कानून की तैयारी, जानिये कैसा है भारत का गेमिंग उद्योग
भारत में इंटरनेट के बढ़ रहे इस्तेमाल के साथ ही पैसे से जुड़े ऑनलाइन गेमिंग में भी लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है. बड़ी संख्या में ग्रामीण युवा और बच्चें भी इस वर्चुअल खेलों के शिकार हो रहे हैं.
2022 के सितंबर महीने में गुजरात में रहने वाले एक 21 वर्षीय छात्र ने ऑनलाइन गेम खेलने के दौरान कर्ज में आने की वजह से परेशान होकर अपने हॉस्टल के कमरे में आत्महत्या कर ली. उसने अपने कमरे में एक सुसाइड नोट भी छोड़ा था, जहां मृतक ने स्पष्ट रूप से कर्ज को इस तरह के कदम उठाने का कारण बताया था.
इसके अलावा पिछले साल 2 अगस्त को मध्य प्रदेश के छतरपुर में रहने वाले राहुल पाण्डेय के बेटे ने भी खुदकुशी कर ली थी. उसके परिवार वालों ने बताया कि वह 'फ्री फायर' नाम का एक ऑनलाइन शूटिंग गेम खेला करता था. इस खेल में पैसों की जरूरत पड़ती है. मृतक ने ऑनलाइन सट्टेबाजी के लेनदेन के लिए मां के अकाउंट से 40,000 रुपये खर्च कर दिए थे."
वहीं इसी परेशानी से जूझ रहे दिल्ली के करोल बाग के अमन भाटिया ने एबीपी से बातचीत करने हुए कहा, 'मेरा बेटा 16 साल का है और उसे ऑनलाइन गेम खेलने की ऐसी लत लग गई थी कि वह दिनभर गेम खेलता रहता था. हालांकि अब हम इस बात का ख्याल रखते हैं कि उसे दिन भर में 2 घंटे ही फोन दें.'
उन्होंने कहा कि इन सभी ऑनलाइन गेम्स को डाउनलोड करने में कुछ नियम होने चाहिए. अभी इसे डाउनलोड करना बहुत आसान. जिसे बच्चे आसानी से डाउनलोड कर पाते हैं और फिर इसमें आकर्षित हो जाते हैं.
भारत में इंटरनेट के बढ़ रहे इस्तेमाल के साथ ही पैसे से जुड़े ऑनलाइन गेमिंग में भी लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है. बड़ी संख्या में ग्रामीण युवा और बच्चें भी इस वर्चुअल खेलों के शिकार हो रहे हैं. लेकिन हमारे देश में इन गेम्स को खेलने से रोकने के नियम कायदे लगभग जीरो है.
कुछ राज्यों में जुए के समान माना जाने वाला गेम ऑफ चांस जैसे ऑनलाइन खेल प्रतिबंधित है. लेकिन यह राज्य सरकारों के दायरे में आता है कि उसे प्रतिबंधित माना जाए या नहीं. ऑनलाइन रियल मनी गेम यानी पैसे लगाकर खेले जाने वाले ऑनलाइन गेम्स को लेकर हमारे देश में आज भी कोई स्पष्ट कानून नहीं है.
इस साल एक अप्रैल को कांग्रेस सांसद डीन कुरियाकोस ने ऑनलाइन गेमिंग (रेगुलेशन) बिल, 2022 पेश किया. बिल में बताया गया कि भारत में साल 2022 में लगभग 42 करोड़ सक्रिय ऑनलाइन गेमर्स हैं. साल 2021 में लगभग 390 मिलियन सक्रिय ऑनलाइन गेमर्स दर्ज किए गए थे. वहीं 2020 में 360 और 2019 में 300 मिलियन गेमर्स दर्ज किए गए. भारतीय ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र हर साल करीब 30 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है. इसी बिल में बताया गया कि यह इंडस्ट्री साल 2025 तक पांच बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी.
जुए की लत और देश में लगातार जुए से संबंधित आत्महत्याओं को देखते हुए भारत सरकार ने एक टास्क फोर्स का गठन किया है जो देश के औपनिवेशिक युग के सार्वजनिक जुआ अधिनियम को बदलने और ऑनलाइन गेम को सुरक्षित सुनिश्चित करने के लिए एक नए कानून का मसौदा तैयार करने में मदद करेगा.
दरअसल हमारे देश में जुआ खेलने पर रोक लगाने के लिए साल 1867 से ही कानून है लेकिन यह कानून सिर्फ गेम ऑफ चांस के खेलने पर ही प्रतिबंध लगाता है. इस कानून के अंदर ऑनलाइन गेम में हो रहे सट्टेबाजी के प्रतिबंध को लेकर कोई नियम नहीं बताए गए हैं.
क्या है देश का जुआ कानून
हमारे देश में "पब्लिक गैंबलिंग" पर रोक लगाने के लिए जुआ पर प्रतिबंध लगाने के लिए सौ साल से भी पहले ‘सार्वजानिक जुआ अधिनियम,1867’ लागू किया गया था. यह कानून अंग्रेजों के समय बनाया गया था. इस कानून के तहत जुआघर चलाना, इसे चलाने में किसी का सहयोग करना, जुए में पैसा लगाना और जुआ उपकरण रखना को अपराध के दायरे में रखा गया है. हालांकि ज्यादातर ऑनलाइन गेमिंग पोर्टल अपने 'गेम को चांस' की बजाय 'गेम ऑफ स्किल' के तौर पर प्रमोट करते हैं.
3 दिसंबर,2021 को राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुशील कुमार मोदी ने भी भारत में ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर हो रहे गैंबलिंग को रोकने के लिए कानून बनाने की बात कही थी. उन्होंने इसे एक बड़ी लत बताते हुए कहा था, "मैं इस बात को रेखांकित करना चाहूंगा कि क्रिप्टो इंडस्ट्री की तरह इस क्षेत्र में भी नियामक खामियां हैं. मैं सरकार से ऑनलाइन गेमिंग पर एक समान टैक्स लाने का आग्रह करूंगा. साथ ही मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि ऑनलाइन गेमिंग के लिए नियम का एक व्यापक ढांचा बनाया जाए."
क्या होता है ऑनलाइन गैंबलिंग
ऑनलाइन जुए या गैंबलिंग का मतलब आम तौर पर दांव लगाने और पैसे कमाने के लिए इंटरनेट का उपयोग होता है. यह एक कैसीनो की तरह ही है, लेकिन फर्क बस इतना है कि ये वर्चुअल तरीके से खेला जाता है. इसमें पोकर, स्पोर्ट गेम, कैसिनो गेम आदि शामिल हैं. भारत में 'तीन' और 'रमी' सबसे पॉपुलर ऑनलाइन गैंबलिंग गेम हैं. यूजर्स ऑनलाइन पेमेंट मोड जैसे क्रेडिट, डेबिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग या यूपीआई के जरिए दांव लगाते हैं. एक शर्त रखने के बाद जीतने या हारने वाला अपने हिसाब से पेमेंट करता है.
ऑनलाइन गेमिंग और ऑनलाइन गैंबलिंग में फर्क
ऑनलाइन गेमिंग और ऑनलाइन गैंबलिंग के बीच एक बहुत बारीक सी लकीर है. मल्टीप्लेयर गेमिंग मजेदार है जिसके जरिए आप अपने दोस्तों के साथ अच्छा टाइम पास कर सकते हैं. हालांकि जुए में एक-दूसरे के खिलाफ पैसे का दांव लगाया जाता है और खिलाड़ियों के बीच पैसों का लेन देन होता है. ज्यादातर ऑनलाइन गेम फ्री हैं और खेलने के लिए किसी भी पैसे की आवश्यकता नहीं है जबकि ऑनलाइन गैंबलिंग के लिए यूजर्स को पहले पैसों की शर्त लगाने और फिर खेल खेलने की आवश्यकता होती है.
आत्महत्या का कारण बन रहा है ऑनलाइन गेमिंग
ऑनलाइन गेमिंग में पैसे गंवाने के बाद आत्महत्या करने वालों में सिर्फ बच्चे ही नहीं बल्कि युवा वर्ग भी शामिल है. साल 2022 के अक्टूबर महीने में तेलंगाना के हनमकोंडा जिले के मलकपल्ली गाँव में एक 26 साल के युवक ने आत्महत्या कर ली. कारण था ऑनलाइन गेम के कारण कर्ज का शिकार होना.
इसी महीने में आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले में एक 21 साल के छात्र ने 80,000 रुपये गंवाने के बाद आत्महत्या कर ली. चेन्नई में इसी साल जून के समय 29 साल की एक मां ने खुदकुशी की थी. उनके दो बच्चों ने ऑनलाइन रमी में 10 लाख रुपये गंवा दिए थे, जिसका कर्ज वह नहीं चुका पा रही थी. इसके अलावा मई महीने में 20 साल के NEET उम्मीदवार ने ऑनलाइन जुए में पैसे गंवाने के बाद अपनी जान दे दी थी. फरवरी में एक 25 साल के छात्र ने इंदौर में खुद को मार डाला.