चुनाव आयोग की ओर से जारी रुझानों के मुताबिक कर्नाटक में कांग्रेस ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है जबकि बीजेपी काफी पीछे चल रही है. चुनाव से पहले बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने कर्नाटक में तगड़ा चुनाव प्रचार किया.


राज्य में 10 मई को मतदान हुआ था. रुझानों में निर्णायक बढ़त हासिल करने के बाद कांग्रेस ने कहा कि राज्य में उसकी जीत और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हार हुई है. 


पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी दावा किया कि बीजेपी ने अपने चुनाव अभियान को प्रधानमंत्री मोदी पर जनमत संग्रह के रूप में तब्दील कर दिया था, लेकिन उसकी इस कोशिश को जनता ने ठुकरा दिया.


जयराम रमेश ट्वीट किया, ‘‘कर्नाटक में यह तय हो गया है कि कांग्रेस की जीत और प्रधानमंत्री की हार हुई है. बीजेपी ने अपने चुनाव प्रचार को पीएम मोदी पर जनमत संग्रह का रूप दे दिया था और राज्य को उनका ‘आशीर्वाद’ मिलने पर केंद्रित कर दिया था. इसे जनता ने खारिज कर दिया है. 


क्षेत्रवार समझिए, कर्नाटक विधान सभा चुनाव के अबतक नतीजे


मध्य कर्नाटक में कांग्रेस को 12, बीजेपी को 9, जेडीएस 1 और अन्य को 1 सीटें मिली हैं. बेंगलुरु शहर में कांग्रेस को 11, बीजेपी को 16, जेडीएस को 01, अन्य के खाते में एक भी सीटें नहीं आई हैं. ओल्ड मैसुरू में कांग्रेस को 37, बीजेपी को 5, जेडीएस को 19, अन्य को 3 सीटें मिली हैं. हैदराबाद कर्नाटक कांग्रेस में  25, बीजेपी के10, जेडीएस को 03,  अन्य के खाते में 02 सीटें आई  हैं.


करावल तटीय कांग्रेस को 3, बीजेपी को 15, जोडीएस को 0 , अन्य को 01 सीटें मिलीं. महाराष्ट्र कर्नाटक में कांग्रेस को 30, बीजेपी को 17, जेडीएस को 02, अन्य को एक भी सीट हासिल नहीं हुई हैं. कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार चुनाव जीत गए हैं. मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई अपने निर्वाचन क्षेत्र शिगगांव में आगे चल रहे हैं.


पीएम मोदी का रोड शो कितना काम आया 


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 मई से कर्नाटक में रोड शो करना शुरू किया था. शुरुआत बेंगलुरु से हुई थी. मोदी के रोड शो में 'बजरंग बली' ने सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया. मोदी के रोड शो के दौरान जनता का भारी हूजूम दिखा था.


प्रधानमंत्री मोदी अपनी रैलियों में जय बजरंग बली का नारा लगाया. उन्होंने एक चुनावी रैली में कहा था कि राम को ताले में बंद करने के बाद कांग्रेस अब बजरंगबली को ताले में बंद करने की तैयारी में है. 


पीएम मोदी द्वारा बजरंग बली को मुद्दा बनाने से कांग्रेस परेशान हुई थी. पार्टी ने कर्नाटक में चुनावी रैलियों के दौरान भगवान हनुमान के नाम का इस्तेमाल करने को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ मुख्य निर्वाचन अधिकारी से शिकायत भी की. 


पीएम मोदी की बदौलत कर्नाटक में बच गई बीजेपी? 


नतीजों के साथ जिस बात की चर्चा सबसे ज्यादा रही, वो है प्रधानमंत्री मोदी के प्रचार का बीजेपी को कितना फायदा पहुंचा पाया? पीएम मोदी ने राज्य में कुल 25 चुनावी कार्यक्रम किए. इसमें रैली, जनसभा और रोड शो शामिल हैं. आक्रामक प्रचार अभियान की कमान पीएम मोदी के हाथों में ही थी. 


बीजेपी मुख्य रूप से मोदी के चेहरे और विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ी थी. पूरे कर्नाटक चुनाव प्रचार में पीएम मोदी ने हिंदुत्व से जुड़े मुद्दे भी प्रमुखता से उठाया. बीजेपी के चुनाव पोस्टरों पर पीएम मोदी और कमल के फूल की तस्वीर थी. 


बीजेपी ने अपने वरिष्ठ नेता के एस ईश्वरप्पा को भी चुनाव मैदान में नहीं उतारा था. पूरा चुनाव प्रचार पीएम मोदी पर ही दारोमदार था. अब ये कहा जा रहा है कि कर्नाटक मे बीजेपी को जितनी सीटें मिली हैं वो पीएम मोदी की ही वजह से संभव हो पाया है .


वरिष्ठ पत्रकरा यशवंत व्यास भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं. यशवंत व्यास ने एबीपी को बताया कि ग्रेटर बेंगलुरु में पीएम मोदी ने लंबा रोड शो किया था और वहां पर पीएम मोदी का असर दिखा. बेंगलुरु में पीएम मोदी के रोड शो ने 8 विधानसभा सीटों को कवर किया. 


चुनावी अभियान में मोदी राष्ट्रवाद और विकास को जोड़कर मतदाताओं के सामने रखते आए हैं. साल 2014 में चुनाव से पहले ही ये देखा गया गया था कि किस तरह ब्रांड मोदी राष्ट्रीय स्तर पर छा गया था. पिछले पांच सालों में सोशल मीडिया हो या रेडियो या फिर ग्लोबल प्लेटफॉर्म- हर जगह ब्रांड मोदी ने जलवा दिखाया. वैसे इस ब्रांड को और चमकदार बनाए रखने में खुद मोदी भी काफी सचेत रहे. कर्नाटक चुनाव में भी मोदी ब्रान्ड का इस्तेमाल बीजेपी ने जम कर किया. 


पत्रकार और एबीपी न्यूज़ के नेशनल एफेयर्स एक्सपर्ट अभिज्ञान प्रकाश ने भी इस बात को स्वीकारते हुए कहा कि ब्रांड मोदी पर बीजेपी की निर्भरता बढ़ती जा रही है. वरिष्ठ पत्रकार शशि शेखर ने भी इस बात पर सहमती जताई की बेंगलुरु शहर खराब गर्वनेंस से परेशान था. लेकिन पीएम मोदी के रोड शो ने माहौल बना.


एक जमाने में कांग्रेस भी इंदिरा पर निर्भर हो गई थी और राज्यों में स्थानीय नेता खत्म हो गए. अब यही बीजेपी में भी हो रहा है. कर्नाटक में स्थानीय नेता के तौर पर बीजेपी के पास सिर्फ येदियुरप्पा थे. बाकी नेता कमजोर थे. लेकिन कांग्रेस के पास सिद्धारमैया, डीके शिवकुमार और मल्लिकार्जुन खरगे जैसे स्थानीय नेता थे. 


कर्नाटक और मोदी फैक्टर का गुणा-गणित


मोदी फैक्टर का मतलब वैसे वोटरों से है जो वोटर सीधे तौर पर पीएम मोदी के नाम पर पार्टी से जुड़ते हैं. वो वोटर जो नरेंद्र मोदी के चेहरे पर भरोसा करके वोट देता है. ये वोटर किसी विचारधारा से न जुड़ कर एक चेहरे से जुड़े हुए हैं.


इसका हिसाब अगर फैक्ट पोल में दल में देखें तो 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 20 फीसदी वोट पाती है, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में कर्नाटक में बीजेपी का वोट शेयर बढ़कर 43.37 फीसदी हो जाता है .


इसी तरह 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का वोट का हिस्सा 36.22 फीसदी होता है, जो ठीक एक साल लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक में बढ़कर 51.72 फीसदी हो जाता है. कर्नाटक में नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट देने वाले


लोकसभा चुनाव में बढ़ जाते हैं. 2018 के चुनाव में जब प्रधानमंत्री मोदी ने 150 से ज्यादा सीटों को कवर करते हुए चुनाव प्रचार कर्नाटक में किया था तो 80 सीट बीजेपी उन जगहों पर जीती थी.