नई दिल्ली: प्रदर्शन को संबोधित करने और अहीर रेजिमेंट की मांग को समर्थन देने पहुंचे पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं सांसद डीपी यादव (DP Yadav) ने कहा कि “यूं तो अहीर रेजिमेंट की मांग देश भर के कई बड़े नेता करते रहे हैं लेकिन मैंने पहली बार 1996 में लोकसभा में रक्षा मंत्री की मौजूदगी में अहीर रेजिमेंट बनाने की मांग की थी.”
डीपी यादव ने कही ये बात
अपने भाषण में डीपी यादव (DP Yadav) ने आगे कहा कि “अहीर देश की बहादुर क़ौम है. देश को जब भी बलिदान की ज़रूरत पड़ी है इस क़ौम के जवानों ने अपना बलिदान देकर देश की रक्षा करने का काम किया है. भारत-चीन युद्ध में रेजांगला का मैदान एवं भारत-पाकिस्तान युद्ध में करगिल की पहाड़ियां इस बात की गवाह हैं कि अहीर वीरों ने हर वक्त देश के लिए क़ुर्बानियां देकर तिरंगे की शान बढ़ाने का काम किया है. महाभारत काल से लेकर आजतक यदुकुल का इतिहास इस बात का पुख़्ता सुबूत है कि इन बहादुर नौजवानों में देश-प्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी है और इसी बुनियाद पर मैं अहीर रेजिमेंट का समर्थन करता हूं. देश के यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी पर मुझे पूरा विश्वास है कि उनके रहते अहीर रेजिमेंट बनाने की ये बरसों पुरानी मांग पूरी हो सकती है.”
पिछले क़रीब 7 महीने से चल रहा है धरना
बताते चलें कि गुरुग्राम के खेड़की दौला टोल प्लाज़ा पर पिछले 7 महीनों से अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा ने बीते दिनों ही ये घोषणा की थी कि वे अपनी मांग को लेकर 23 सितंबर को दिल्ली के जंतर मंतर पर एक विशाल प्रदर्शन करेंगे. जिसके लिए मोर्चा के नेताओं ने देश के अलग-अलग इलाकों से अहीर समाज के लोगों को बड़ी तादात में दिल्ली में इकठ्ठा होने की अपील की थी.
कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने किया है समर्थन
अहीर रेजिमेंट की मांग को लेकर पिछले काफी समय से गुरुग्राम में चल रहे धरना प्रदर्शन को अलग-अलग राजनीतिक दलों और कई नेताओं ने समर्थन दिया है. कांग्रेस पार्टी से जुड़े राज्यसभा सांसद दिपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व मंत्री और राज्यसभा सांसद डीपी यादव (DP Yadav) समेत कई नेताओं ने इससे पहले भी धरना स्थल पर पहुंचकर अहीर रेजिमेंट की मांग को समर्थन दिया है. समाजवादी पार्टी ने भी पिछले चुनाव के दौरान अपने घोषणा पत्र में इस मांग का उल्लेख किया था और सपा के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने भी कई मौकों पर कहा है कि केंद्र में सपा की सरकार आने पर अहीर रेजिमेंट का गठन किया जाएगा.
क्या है अहीर रेजिमेंट और क्यों हो रही है इसकी मांग
अंग्रेजों ने आज़ादी से पहले सेना में कुछ विशेष जातियों जैसे जाट, महार, डोगरा एवं राजपूत आदि को मार्शल रेस का नाम देकर उनके नाम से रेजिमेंट का गठन किया. 1947 में देश की आज़ादी के बाद की चुनी गई सरकारों ने इस व्यवस्था को ज्यों का त्यों रहने दिया. अहीर समाज के लोगों का कहना है कि रेजांगला की लड़ाई हो या करगिल का युद्ध, भारतीय सेना में अहीर समाज के युवाओं ने बड़ी संख्या में शौर्य और पराक्रम का परिचय दिया और सर्वोच्च बलिदान दिया है जिसे देखते हुए सेना में अहीर रेजिमेंट का गठन किया जाना चाहिए.