क्या आतंकी बलवंत राजोआना को मिलेगी फांसी की सजा से माफी? SC ने राष्ट्रपति के सामने फाइल पेश करने को कहा
Balwant Rajoana Mercy Plea: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री की हत्या का दोषी आतंकी बलवंत राजोआना जेल में बंद है. साल 2007 में इसे फांसी की सजा मिली थी. इस सजा को उम्रकैद में बदलने की सिफारिश हो रही है.
Supreme Court Order: सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति के सचिव से आतंकी बलवंत सिंह राजोआना की फांसी माफी की फाइल 2 सप्ताह में राष्ट्रपति के सामने रखने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 5 दिसंबर तय की है. कोर्ट ने कहा है कि अगर तब तक फैसला नहीं लिया गया तो वह याचिका में की गई प्रार्थना पर विचार करेगा.
राजोआना पंजाब के तत्कालीन सीएम बेअंत सिंह की 1995 में हुई हत्या का दोषी है. उसका कहना है कि वह 29 साल से जेल में है. 12 साल से दया याचिका भी राष्ट्रपति के पास लंबित है. इसलिए, अब उसकी फांसी माफ कर सजा उम्र कैद में बदल दी जाए.
राष्ट्रपति के पास मामला लंबित
सुप्रीम कोर्ट में 4 नवंबर को हुई पिछली सुनवाई में केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि मामला राष्ट्रपति के पास लंबित है. वह इसकी स्थिति को लेकर कोर्ट को जानकारी देंगे. सोमवार, 18 नवंबर को जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले को सुनने बैठी, लेकिन केंद्र की तरफ से कोई पेश नहीं हुआ.
पिछले साल मई में सुप्रीम कोर्ट ने राजोआना की फांसी को उम्र कैद में बदलने से मना कर दिया था. कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से राजोआना की दया याचिका पर जल्द फैसला लेने के लिए कहा गया था. अब एक बार फिर उसने अपनी दया याचिका के निपटारे में हो रही देरी के आधार पर फांसी को आजीवन कारावास में बदलने की मांग की है.
कौन है बलवंत राजोआना?
बलवंत राजोआना आतंकी संगठन बब्बर खालसा से जुड़ने से पहले पंजाब पुलिस का पूर्व कांस्टेबल रह चुका है. 31 अगस्त 1995 को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या हुई थी, जिसमें राजोआना को दोषी पाया गया और 1 अगस्त 2007 को चंडीगढ़ की एक विशेष सीबीआई अदालत ने इसे मौत की सजा सुनाई थी. इसमें दूसरे आतंकियों के अलावा मुख्य रूप से बलवंत और दिलावर सिंह शामिल थे. दिलावर ने आत्मघाती बम विस्फोट कर बेअंत सिंह समेत 17 लोगों की हत्या कर दी थी. घटनास्थल पर दिलावर के बैकअप के रूप में मौजूद राजोआना फरार हो गया था.
22 दिसंबर 1995 को बलवंत पकड़ा गया. 2007 में उसे निचली अदालत ने फांसी की सजा दी. 2010 में हाई कोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा. बलवंत ने खुद तो दया याचिका दाखिल नहीं की, लेकिन 2012 में उसकी फांसी से पहले शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने राष्ट्रपति को दया याचिका भेज दी, जिससे उसकी फांसी पर रोक लग गई. लेकिन दया याचिका पर अब तक कोई फैसला नहीं आया है.
गृह मंत्रालय की सिफारिश
2019 में गुरु नानक की 550 जयंती के मौके पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बलवंत सिंह राजोआना की फांसी को उम्र कैद में बदलने की घोषणा की. लेकिन अब तक इस पर औपचारिक आदेश जारी नहीं हुआ. इसे आधार बनाते हुए पिछले साल आतंकी ने सुप्रीम कोर्ट से राहत की मांग की थी. उस मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने इसे पंजाब की कानून व्यवस्था के लिहाज से बहुत संवेदनशील मामला बताया था. सरकार ने अनुरोध किया था कि कोर्ट इस पर कोई आदेश न दे.
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