एक्सप्लोरर

दावा राहुल का, समीकरण नीतीश के…, आंकड़ों से समझिए क्या सच में दिल्ली दरबार से आउट होगी बीजेपी?

जनवरी 2023 में नीतीश कुमार ने पटना में सबको एकजुट कर बीजेपी को 100 सीटों पर समेट देने की बात कही थी. अब राहुल गांधी ने इसे अमेरिका में दोहराया है. आइए, डेटा से समझते हैं कि यह दावा कितना फिट बैठता है?

कर्नाटक की जीत से उत्साहित कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने 2024 में सरकार में आने का समीकरण बताया है. न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि एकजुट विपक्ष बीजेपी को लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हराएगी. राहुल ने तेलंगाना, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधासभा चुनाव में भी कांग्रेस की जीत का दावा किया. राहुल के इस दावे के पीछे नीतीश कुमार के सियासी गुणा-गणित को माना जा रहा है.

जनवरी 2023 में नीतीश कुमार ने पटना में सभी विपक्षी दलों को एकजुट कर बीजेपी को 100 सीटों पर समेट देने की बात कही थी. इसके बाद से ही सियासी गलियारों में उनकी रणनीति की चर्चा होने लगी.

वहीं राहुल गांधी ने जिस तरह से दावा किया है, उससे इस समीकरण को और बल मिला है. ऐसे में आइए आंकड़ों के जरिए समझते हैं कि किस रणनीति से दिल्ली दरबार से बीजेपी को आउट करने की तैयारी है.

पहले 3 प्वॉइंट्स में कांग्रेस की चुनावी स्थिति को समझिए

1. 148 सीटों पर बीजेपी से सीधा मुकाबला
कांग्रेस और बीजेपी के बीच लोकसभा चुनाव में 7 राज्यों की 148 सीटों पर सीधा मुकाबला होना है. इन 148 सीटों में से बीजेपी के पास 135 सीट है, जबकि कांग्रेस को सिर्फ 7 सीटों पर जीत मिली थी. अन्य पार्टियों को 6 सीटें हासिल हुई थी.

2019 के मुकाबले 2024 में स्थिति काफी बदल गई है. कांग्रेस मध्य प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक और असम में मजबूत हुई है. हाल ही में कर्नाटक में कांग्रेस ने बड़ा उलटफेर किया है. इसके अलावा छत्तीसगढ़ में पार्टी की स्थिति मजबूत है.

इन 5 राज्यों में लोकसभा की कुल 102 सीटें हैं. असम में 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को भले 3 सीटों पर जीत मिली हो, लेकिन वोट फीसदी का फासला बहुत कम था. बीजेपी को 36.05% और कांग्रेस को 35.44% वोट मिले थे. 


दावा राहुल का, समीकरण नीतीश के…, आंकड़ों से समझिए क्या सच में दिल्ली दरबार से आउट होगी बीजेपी?

करीब 7 फीसदी वोट लाने वाले AIUDF भी कांग्रेस के साथ मिलकर इस बार चुनाव लड़ सकती है. इसी तरह हरियाणा में लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने क्लीन स्विप किया था, लेकिन उसके 6 महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लगा था.

पार्टी को सरकार बनाने के लिए गठबंधन का सहारा लेना पड़ा. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का 7 प्रतिशत वोट बढ़ा था. कर्नाटक में भी बीजेपी की स्थिति लोकसभा चुनाव 2019 में काफी मजबूत थी, लेकिन हाल में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी सरकार से बाहर हो गई है.

2. 3 राज्यों में अन्य दलों से मुकाबला, यहां कांग्रेस मजबूत
तेलंगना, केरल और पंजाब में कांग्रेस का अन्य दलों से मुकाबला है. इन राज्यों में लोकसभा की कुल 50 सीटें हैं. इन 50 सीटों में कांग्रेस के पास करीब 30 सीटें हैं. 3 में से 2 राज्यों में बीजेपी के पास एक भी सीट नहीं है. 

कांग्रेस का केरल में सीपीएम से और पंजाब में आम आदमी पार्टी से इस बार भी मुकाबला तय माना जा रहा है. तेलंगाना में कांग्रेस का मुकाबला पुराने सहयोगी बीआरएस से होगा. कांग्रेस को केरल और तेलंगाना से बड़ी उम्मीद है.


दावा राहुल का, समीकरण नीतीश के…, आंकड़ों से समझिए क्या सच में दिल्ली दरबार से आउट होगी बीजेपी?

तेलंगना में लोकसभा चुनाव से ऐन पहले असेंबली इलेक्शन भी होगा. बीजेपी भी तेलंगाना की लड़ाई में है, लेकिन कर्नाटक की हार के बाद पार्टी के लिए यहां मुश्किलें थोड़ी बढ़ गई है.

2019 में तेलंगाना में कांग्रेस 3 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि 8 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी. इनमें से 2 सीटों पर जीत का मार्जिन 15 हजार से भी कम था. कांग्रेस को विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा में भी बेहतरीन परफॉर्मेंस की उम्मीद है.

3. बड़े राज्यों में गठबंधन की बैसाखी पर हालात बेहतर
बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में गठबंधन के सहारे बीजेपी को पटखनी देने की तैयारी है. इन 6 राज्यों में लोकसभा की 260 से अधिक सीटे हैं. 2019 में बीजेपी को इन राज्यों में करीब 130 सीटें आई थी.

कांग्रेस को इन 6 राज्यों में सिर्फ 18 सीटें ही मिली. बाकी के 52 सीट जीतने वाली पार्टियों के साथ कांग्रेस गठबंधन की तैयारी में है. महाराष्ट्र में कांग्रेस शिवसेना (यूबीटी), तमिलनाडु में डीएमके, पश्चिम बंगाल में टीएमसी और यूपी में सपा से गठबंधन की तैयारी में है.

महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में कांग्रेस जिन दलों के साथ गठबंधन करेगी, उनकी स्थिति बीजेपी के मुकाबले काफी मजबूत है. महाराष्ट्र में लोकसभा की कुल 48 सीटे हैं. हाल ही में मराठी अखबार सकाल ने एक सर्वे किया है.


दावा राहुल का, समीकरण नीतीश के…, आंकड़ों से समझिए क्या सच में दिल्ली दरबार से आउट होगी बीजेपी?

सर्वे में कांग्रेस गठबंधन को 48 फीसदी वोट, जबकि बीजेपी गठबंधन को 39 फीसदी वोट मिलने का अनुमान व्यक्त किया गया है. इसी तरह बिहार की बात करे तो बिहार में कांग्रेस के साथ सात पार्टियों का गठबंधन है.

2019 में सातों पार्टियों को 55 फीसदी वोट मिले थे. तमिलनाडु में बीजेपी फोकस कर रही है. हालांकि, द्रविड़नाडु पॉलिटिक्स की वजह से कांग्रेस और उसके सहयोगी दल डीएमके का पलड़ा भारी है. 

इसी तरह बंगाल की स्थिति भी कांग्रेस गठबंधन के लिए अनुकूल है. 2021 के विधानसभा चुनाव की आंकड़ों को अगर देखे तो कांग्रेस, सीपीएम और तृणमूल के पास वोट प्रतिशत 50 से अधिक है. बीजेपी के पास सिर्फ 37% वोट है.

नीतीश कुमार की रणनीति क्या है?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले 6 महीने से विपक्षी एका तैयार करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. नीतीश राहुल गांधी से भी 2 बार मिल चुके हैं. नीतीश कुमार करीब 20 पार्टियों को साथ लाने की तैयारी में है. आइए इसकी वजह को जानते हैं...

गठबंधन बनाकर ग्रामीण इलाकों में पटखनी- नीतीश कुमार गठबंधन बनाकर बीजेपी को ग्रामीण इलाकों की लोकसभा सीटों पर पटखनी देने की तैयारी में है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में लोकसभा की कुल 353 सीटें हैं.

2009 में कांग्रेस को 123, बीजेपी को 77  और अन्य पार्टियों को 153 सीटों पर जीत मिली थी. 2014 के मोदी वेब में कांग्रेस की संख्या में बड़ी कमी आई. कांग्रेस 28 पर सिमट गई, जबकि बीजेपी को 190 सीटों पर जीत मिली. हालांकि, अन्य पार्टियों की सीटों में ज्यादा कमी नहीं आई.

2014 में ग्रामीण इलाकों में अन्य पार्टियों को 135 सीटों पर जीत मिली. 2019 में भी ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस प्रदर्शन करने में विफल रही. कांग्रेस को 353 में से सिर्फ 26 सीटें मिली. बीजेपी 207 और अन्य पार्टियों ने 120 सीटों पर जीत दर्ज की.

ग्रामीण इलाकों में अगर कांग्रेस बीजेपी की घेराबंदी में सफल रही तो पार्टी को सरकार बनाने में मुश्किलें आ सकती है.


दावा राहुल का, समीकरण नीतीश के…, आंकड़ों से समझिए क्या सच में दिल्ली दरबार से आउट होगी बीजेपी?

शहरी-अर्द्ध शहरी सीटों के लिए अलग रणनीति- लोकसभा में शहरी और अर्द्धशहरी सीटों की संख्या 190 है. शहरी सीटें कांग्रेस के लिए कमजोर कड़ी साबित हुआ है. 2009 में 108 अर्द्ध शहरी सीटों में से कांग्रेस को 50 पर जीत मिली थी

बीजेपी के खाते में 20 और अन्य पार्टियों को 38 पर जीत हासिल हुई थी. 2019 में अर्द्ध शहरी सीटों पर अन्य पार्टियों की संख्या में कोई बदलाव नहीं आया. 2019 में कांग्रेस को 10, बीजेपी को 58 और अन्य पार्टियों को 39 सीटों पर जीत मिली थी. 

बात शहरी सीटों की करे तो यहां भी अन्य पार्टियों की संख्या में 2009 की तुलना में 2019 में कोई बदलाव नहीं आया है. 2009 में कांग्रेस को शहरी की 82 लोकसभा सीटों में से 20 पर जीत मिली थी, जबकि बीजेपी को 33 और अन्य पार्टियों को 29 सीटें हासिल हुई थी.

2019 में इन आंकड़ों में ज्यादा बदलाव नहीं आया. 2019 में कांग्रेस को 14, बीजेपी को 40 और अन्य पार्टियों को 28 सीटों पर जीत मिली. यानी अन्य पार्टियों का परफॉर्मेंस शहरी और अर्द्ध शहरी सीटों पर बेहतरीन रहा है. 

ऐसे में माना जा रहा है कि आगामी चुनाव में शहरी और अर्द्ध शहरी सीटों पर कांग्रेस की सहयोगी पार्टियां ज्यादा से ज्यादा उम्मीदवार उतार सकती है. कांग्रेस ग्रामीण इलाकों पर ज्यादा फोकस करेगी.

जातीय जनगणना और फ्रीबीज का सहारा
आम चुनाव 2024 में बीजेपी को पटखनी देने के लिए जातीय जनगणना और फ्रीबीज का सहारा विपक्षी पार्टियां लेने की तैयारी में है. कर्नाटक में कांग्रेस की 5 गारंटी अभियान हिट रहा. नीतीश कुमार का जाति कार्ड भी अब तक सक्सेस रहा है.

राहुल गांधी भी जितनी आबादी, उतना हक का नारा लगा चुके हैं. बीजेपी के धार्मिक चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए विपक्षी पार्टियां जातीय जनगणना को हथियार बना रही है. 1990 के दशक में यह फॉर्मूला सफल भी रहा है.

कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर ओल्ड पेंशन स्कीम को फिर से शुरू करने, महिलाओं को पेंशन देने और फ्री गैस सिलेंडेर देने जैसी रणनीति के सहारे चुनाव वैतरणी को पार करने की तैयारी में है. अगर यह सफल हुआ तो बीजेपी की जीत की रेस से बाहर हो सकती है. 

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

'त्योहारों के इस मौसम में मेड इन इंडिया प्रोडक्ट ही खरीदें', मन की बात कार्यक्रम में PM मोदी ने की लोगों से अपील
'त्योहारों के इस मौसम में मेड इन इंडिया प्रोडक्ट ही खरीदें', मन की बात कार्यक्रम में PM मोदी ने की लोगों से अपील
हरियाणा में कांग्रेस के CM चेहरे पर सचिन पायलट का बड़ा दावा, 'पार्टी में लंबे समय से परंपरा है कि...'
हरियाणा में कांग्रेस के CM चेहरे पर सचिन पायलट का बड़ा दावा, बताया क्या है पार्टी की परंपरा
करियर की शुरुआत में इस एक्टर के पास नहीं थे खाने तक के पैसे, करने पड़े थे छोटे-मोटे रोल्स, डायरेक्टर का खुलासा
करियर की शुरुआत में इस एक्टर के पास नहीं थे खाने तक के पैसे, करने पड़े थे छोटे-मोटे रोल्स
ईशान किशन टीम इंडिया से फिर हुए नजरअंदाज? जानें क्यों बांग्लादेश के खिलाफ टी20 सीरीज में नहीं मिला मौका
ईशान किशन टीम इंडिया से फिर हुए नजरअंदाज? जानें क्यों बांग्लादेश टी20 सीरीज में नहीं मिला मौका
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Hezbollah New Chief: हिजबुल्लाह का नया लीडर बना Hachem Safieddine | Israel | Hassan NasrallahIsrael Lebanon War: Hassan Nasrallah की मौत के बाद इजरायल का बड़ा एक्शन | NetanyahuBihar Rains: नेपाल ने बढ़ाई बिहार की टेंशन...उफान पर कोसी, मंडराने लगा बाढ़ का खतरा | ABP NewsTop News: 10 बजे की बड़ी खबरें | Hassan Nasrallah | Israel Hezbollah War | Netanyahu | Weather News

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'त्योहारों के इस मौसम में मेड इन इंडिया प्रोडक्ट ही खरीदें', मन की बात कार्यक्रम में PM मोदी ने की लोगों से अपील
'त्योहारों के इस मौसम में मेड इन इंडिया प्रोडक्ट ही खरीदें', मन की बात कार्यक्रम में PM मोदी ने की लोगों से अपील
हरियाणा में कांग्रेस के CM चेहरे पर सचिन पायलट का बड़ा दावा, 'पार्टी में लंबे समय से परंपरा है कि...'
हरियाणा में कांग्रेस के CM चेहरे पर सचिन पायलट का बड़ा दावा, बताया क्या है पार्टी की परंपरा
करियर की शुरुआत में इस एक्टर के पास नहीं थे खाने तक के पैसे, करने पड़े थे छोटे-मोटे रोल्स, डायरेक्टर का खुलासा
करियर की शुरुआत में इस एक्टर के पास नहीं थे खाने तक के पैसे, करने पड़े थे छोटे-मोटे रोल्स
ईशान किशन टीम इंडिया से फिर हुए नजरअंदाज? जानें क्यों बांग्लादेश के खिलाफ टी20 सीरीज में नहीं मिला मौका
ईशान किशन टीम इंडिया से फिर हुए नजरअंदाज? जानें क्यों बांग्लादेश टी20 सीरीज में नहीं मिला मौका
KRN Heat Exchanger IPO: कतार में बजाज के बाद एक और मल्टीबैगर, लिस्ट होते ही पैसा डबल करेगा ये आईपीओ!
कतार में बजाज के बाद एक और मल्टीबैगर, लिस्ट होते ही पैसा डबल करेगा ये IPO!
'हताश है आज की दुनिया, टूट रहा भरोसा', UNGA के मंच से जयशंकर ने बाकी देशों को क्यों चेताया
'हताश है आज की दुनिया, टूट रहा भरोसा', UNGA के मंच से जयशंकर ने बाकी देशों को क्यों चेताया
Indian Railway Exam Tips: रेलवे में नौकरी पाने के लिए कैसे करें तैयारी! आज ही से फॉलो कर लें ये टिप्स
रेलवे में नौकरी पाने के लिए कैसे करें तैयारी! आज ही से फॉलो कर लें ये टिप्स
World Heart Day 2024: 30 साल की उम्र में दिल की बीमारियों का खतरा कितना, इसकी वजह क्या?
30 साल की उम्र में दिल की बीमारियों का खतरा कितना, इसकी वजह क्या?
Embed widget