रेलवे ने टिकट बुकिंग के लिए लॉगइन सूचना को Aadhaar और PAN से जोड़ने का बनाया प्लान, जानें वजह
रेलवे फिलहाल इस पर विचार कर रहा है. अगर ऐसा हुआ तो लोगों को बुकिंग में दलालों से मुक्ति मिल सकेगी. जल्द ही इस बारे में फैसला लिया जा सकता है.
नई दिल्लीः दलालों से मुक्ति पाने के लिए रेलवे टिकट बुकिंग वेबसाइट आईआरसीटीसी पर यात्रियों के लिए लॉगइन ब्योरे से आधारकार्ड, पैनकार्ड और पासपोर्ट जैसे पहचानपत्रों को लिंक करने की योजना बना रहा है. रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के महानिदेशक अरुण कुमार ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. उन्होंने प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि पहले दलालों के खिलाफ कार्रवाई मानव खुफिया सूचना पर आधारित रहती थी, जिसका जमीनी स्तर पर बहुत कम या नहीं के बराबर असर होता था.
उन्होंने कहा, ‘‘ हम उस कमी को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं. भावी कार्ययोजना यह है कि आखिरकार हमें टिकट के वास्ते लॉगइन को किसी पहचान पत्र जैसे पैन या आधार कार्ड या किसी अन्य सबूत से जोड़ना होगा, जिसके नंबर का इस्तेमाल यात्री लॉगइन करने के लिए इस्तेमाल कर सकता है ताकि दलाली पर हम पूर्ण विराम लगा सकें.’’
उन्होंने पिछले दो साल में आरपीएफ द्वारा किये गये कार्य के बारे में कहा, ‘‘ यह हमारी भावी योजना है. हमें पहले नेटवर्क तैयार करना होगा. हम आधार के प्राधिकारियों के साथ अपना कार्य करीब पूरा कर चुके हैं. जब यह व्यवस्था बन जाएगी, हम उसका इस्तेमाल करना शुरू कर देंगे.’’
कुमार ने कहा कि दलालों के खिलाफ अक्टूबर-नवंबर, 2019 में कार्रवाई शुरू की गयी थी और उसी साल दिसंबर से अवैध सॉफ्टवेयर के विरुद्ध कार्रवाई की गयी. उनके अनुसार मई, 2021 तक 14257 दलाल गिरफ्तार किये गये और अबतक 28.34 करोड़ रुपये के टिकट जब्त किये गये.
महानिदेशक ने कहा कि यात्रा के दौरान यात्रियों द्वारा सरकारी रेलवे पुलिस और आरपीएफ में सुरक्षा संबंधी शिकायत दर्ज कराने के लिए रेल सुरक्षा ऐप विकसित किया गया है. उन्होंने कहा, ‘‘ हम 6049 स्टेशनों एवं सभी यात्री ट्रेन डिब्बों में सीसीटीवी कवरेज के लिए निगरानी एवं जवाबी कार्रवाई प्रणाली तैयार कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि आरपीएफ ने कोविड के चलते अनाथ हो गये बच्चों तक ‘पहुंचने, उन्हें सुरक्षित रखने एवं उनके पुनर्वास के लिए’ एक विशेष योजना बनायी है. उन्होंने कहा, ‘‘ आरपीएफ ने कोविड के चलते अनाथ हुए एवं मुश्किल स्थिति में स्टेशन, ट्रेनों या समीप के शहरों, गांवों, अस्पतालों में मिलने वाले बच्चों की पहचान के लिए विशेष अभियान चलाया है. कर्मियों को महामारी के फैलने से प्रभावित हुए ऐसे बच्चों पर विशेष ध्यान देने के लिए संवेदनशील बनाया गया है. बच्चे के मिलने से उसके पुनर्वास तक हर बच्चे के लिए एक नोडल आरपीएफ कर्मी जिम्मेदार हैं.’’