Rajkumar Explained: अपने जमाने के लीजेंड्री एक्टर रहे राजकुमार ने अपने दमदार डायलॉग्स की बदौलत बॉलीवुड और फैन्स के दिलों पर राज किया है. लोग उनकी रौबदार आवाज के आज भी कायल हैं. 8 अक्टूबर 1926 यानी आज के ही दिन पैदा होने वाले राजकुमार असल जिदगी में अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते थे. वो किसी को कुछ भी बोल दिया करते थे. आइए जानते हैं राजकुमार के जीवन से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से...  


जब चौंक गई थीं वहीदा रहमान


कहते हैं राजकुमार न सिर्फ फिल्मी दुनिया बल्कि पर्सनल लाइफ के चलते भी चर्चाओं में रह चुके हैं. राजकुमार से जुड़े ढेरों किस्से आज भी सुने और सुनाए जाते हैं. साल 1952 में फिल्म 'रंगीली' से बॉलीवुड में डेब्यू करने वाले राजकुमार को ना सिर्फ उनके कहे जबरदस्त डायलॉग्स बल्कि अक्खड़ मिजाजी के लिए भी जाना जाता था. एक्टर का यही मिजाज एक डिनर पार्टी के दौरान देखने को मिला था. यह डिनर पार्टी किसी और ने नहीं बल्कि राज कुमार की दोस्त रहीं वहीदा रहमान ने होस्ट की थी. 
 
अभिनेत्री वहीदा रहमान और राजकुमार अच्छे दोस्त थे. कहा जाता है दोनों साथ में फिल्म 'उल्फत की नई मंजिलें' में काम कर रहे थे. इस बीच एक दिन वहीदा रहमान ने राजकुमार को खाने पर घर बुलाया. इस डिनर पार्टी में एक्ट्रेस साधना को भी इनवाइट किया गया था. राजकुमार वहीदा के घर पहुंचे. इस बीच डिनर का समय होने के बाद वहीदा रहमान ने राजकुमार को खाने पर चलने के लिए कहा तो राजकुमार ने खाने से मना कर दिया. 


इस पर वहीदा रहमान ने राजकुमार से पूछा कि खाना तो खाते होंगे ना आप? इस पर राजकुमार ने अपने ही अंदाज में जवाब देते हुए कहा, 'जानी हम खाना तो खाते हैं लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि कुछ भी खा लेंगे.' राजकुमार की यह बात सुनकर ना सिर्फ साधना बल्कि वहीदा रहमान भी चौंक गई थीं.


जब राजकुमार का दिल जेनिफर पर आया 


राजकुमार की एक्टिंग और दमदार डायलॉग डिलिवरी के कारण उनका रुतबा अलग ही था. उन्होंने हिंदी सिनेमा की एक से बढ़कर एक अभिनेत्रियों के साथ काम किया लेकिन उनका दिल एक एंग्लो-इंडियन लड़की जेनिफर पर आया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राजकुमार और जेनिफर की पहली मुलाकात एक फ्लाइट में हुई थी और पहली बार में राजकुमार को वो पसंद आ गई थीं. दरअसल, जेनिफर एक एयर होस्टेस थीं. इसी के बाद से दोनों के बीच मुलाकातें बढ़ने लगीं.


इसके बाद 1966 में राजकुमार और जेनिफर ने एक-दूसरे से शादी कर ली थी. शादी के बाद जेनिफर ने हिंदू धर्म अपनाया और उनका नाम गायत्री हो गया. राजकुमार, गायत्री से बेहद प्यार करते थे. दोनों 3 बच्चों के माता-पिता बने जिनके नाम पाणिनी, पुरु राजकुमार और वास्तविकता है. राजकुमार अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर मीडिया में कम ही बात किया करते थे.




जब झेंप गए थे बप्पी दा 


इसके अलावा राजकुमार अपनी तुनकमिजाजी के लिए भी जाने जाते थे. सभी जानते हैं कि मशहूर संगीतकार और गायक बप्पी लाहिड़ी अपने खास सोने के पहनावे को लेकर जाने जाते थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक बार बप्पी दा बप्पी दा का एक पार्टी में जाना हुआ यहां बप्पी दा हमेशा की ही तरह खूब सारा सोना पहनकर पहुंचे थे. 
 
इस पार्टी में राजकुमार भी मौजूद थे. ऐसे में जैसे ही राजकुमार और बप्पी दा का आमना-सामना हुआ तो एक्टर ने कुछ ऐसा कहा जिसे सुनने के बाद बप्पी दा हैरान रह गए थे. असल में बप्पी दा को देखते ही राजकुमार ने कहा था कि, 'बहुत खूब, तुमने तो एक से बढ़कर एक गहने पहने हुए हैं, बस एक मंगलसूत्र की कमी रह गई थी वो भी पहन लेते.'




राज कुमार के 10 मशहूर डायलॉग



  • जिसके दालान में चंदन का ताड़ होगा, वहां तो सांपों का आना-जाना लगा ही रहेगा. पृथ्वीराज, बेताज बादशाह (1994)

  • जब राजेश्वर दोस्ती निभाता है तो अफसाने लिखे जाते हैं और जब दुश्मनी करता है तो तारीख बन जाती है. राजेश्वर सिंह, सौदागर (1991)

  • चिनॉय सेठ, जिनके घर शीशे के हों, वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते. राजा, वक्त (1965)

  • बिल्ली के दांत गिने नहीं और चला शेर के मुंह में हाथ डालने, ये बद्तमीज हरकतें अपने बाप के सामने घर के आंगन में करना, सड़कों पर नहीं. प्रोफेसर सतीश खुराना, बुलंदी (1980)

  • बेशक मुझसे गलती हुई है. मैं भूल ही गया था, इस घर के इंसानों को हर सांस के बाद दूसरी सांस के लिए भी आपसे इजाजत लेनी पड़ती है और आपकी औलाद खुदा की बनाई हुई जमीन पर नहीं चलती, आपकी हथेली पर रेंगती है. सलीम अहमद खान, पाकीजा (1972) 

  • जब खून टपकता है तो जम जाता है, अपना निशान छोड़ जाता है, और चीख-चीखकर पुकारता है कि मेरा इंतकाम लो, मेरा इंतकाम लो. जेलर राणा प्रताप सिंह, इंसानियत का देवता (1993)

  • हम अपने कदमों की आहट से हवा का रुख बदल देते हैं. पृथ्वीराज, बेताज बादशाह (1994) 

  • हम कुत्तों से बात नहीं करते. राणा, मरते दम तक (1987)

  • हम तुम्हें वो मौत देंगे, जो ना तो किसी कानून की किताब में लिखी होगी और ना ही कभी किसी मुजरिम ने सोची होगी. ब्रिगेडियर सूर्यदेव सिंह, तिरंगा (1992)

  • शेर को सांप और बिच्छू काटा नहीं करते.. दूर ही दूर से रेंगते हुए निकत जाते हैं. राजेश्वर सिंह, सौदागर (1991)