जयपुर: कहावत है ''आमदनी अट्ठनी खर्चा रुपइया'', लेकिन राजस्थान में कोरोना के जारी क़हर ने इस कहावत को बदलकर आमदनी चवन्नी खर्चा रुपया में तब्दील कर दिया है. एक महीने से ज़्यादा वक़्त से लागू लॉकडाऊन ने राजस्थान की आर्थिक हालात की कमर तोड़ दी है. कॉरोना के चलते प्रदेश लॉकडाऊन में है जिसकी वजह से अब तक सिर्फ पचीस प्रतिशत राजस्व लक्ष्य अर्जित हुआ है. राजस्थान सरकार के सामने अब सबसे बड़ी समस्या अपने कर्मचारियों और पेंशन भोगियों को अप्रैल महीने का भुगतान करने की है. ख़ज़ाना ख़ाली है और खर्चा सर पर खड़ा है.


राजस्थान सरकार अपनी माली हालत की वजह से बड़ी परेशानी में है. प्रदेश के करीब नौ लाख सरकारी कर्मचरियों और पेंशनर्स को सिर्फ एक दिन में वेतन और पेंशन के पांच हज़ार करोड़ से ज़्यादा की रकम देनी है. राज्य के वित्त विभाग के अफसर इसके लिए रात दिन पैसो का इंतज़ाम करने में जुटे है क्योंकि प्रदेश के सीएम अशोक गहलोत ने साफ़ निर्देश दिए है कि वेतन और पेंशन का भुगतान समय पर किया जाए लेकिन मुश्किल ये है कि सरकार को अप्रेल में आठ हज़ार करोड़ के राजस्व की जगह सिर्फ एक हज़ार पांच सौ करोड़ रुपए मिले हैं. अब ऐसे में वेतन और पेंशन की मद में चुकाए जाने वाले पांच हज़ार करोड़ से ज़्यादा रकम का इंतज़ाम कैसे हो? प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त निरंजन आर्य का कहना है कि अप्रैल की तनख़्वाह और पेंशन तो हम जैसे तैसे चुका देंगे लेकिन अगर लॉकडाउन जारी रहा तो मई के लिए प्रावधान मुश्किल होंगे.


राजस्थान सरकार को हर साल आबकारी, ट्रांसपोर्ट, खान, स्टाम्प और रजिस्ट्रेशन जैसे बड़े महकमें हज़ारों करोड़ रुपए कमा कर देते हैं. लेकिन लॉकडाउन की वजह से शराब की सभी दुकाने बंद है और सरकार को रोजाना करीब 35 करोड़ के राजस्व से वंचित रहना पड़ रहा है. राजस्थान सरकार ने आमदनी बढ़ाने के लिए पेट्रोल और डीजल पर लॉकडाउन के दौरान ही मार्च और अप्रैल दो बार वैट बढ़ा दिया लेकिन मुश्किल ये हो गई कि लॉकडाउन की वजह से पेट्रोल और डीजल की मांग करीब 66 फीसदी घट गई. नतीजा ये हुआ कि अप्रैल में सिर्फ छह सौ करोड़ पेट्रोल और डीजल वैट के मिल सकै जबकि पिछले साल राजस्थान सरकार को इसी अवधि में बारह सौ करोड़ रुपए मिले थे.


130 करोड़ रुपए एसजएस टी के और 600 करोड़ रुपए पेट्रोल डीजल वैट की मद में मिलने के अलावा कुछ पैसा पेट्रोलियम,खान और आबकारी के पुराने बिलों का मिला है, लेकिन अब सरकार को वेतन और पेंशन के लिए करीब 5 हज़ार 187 करोड़ रुपए का इंतज़ाम करना है. पिछले महीने तो राज्य सरकार ने वेतन में तीस प्रतिशत की कटौती भी कर दी थी ऐसे में एक बार वेतन कटौती के प्रस्ताव तैयार किये जा सकते है. राज्य के सी एम अशोक गहलोत ने पीएम नरेंद्र मोदी के साथ हुई वीडियो कांफ्रेंस में भी राज्यों को राहत पैकेज दिए जाने के मांग की थी.


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