आशना को रोहित से शादी नहीं करनी, उसके साथ रहना है, प्यार करना है, उसे एक आजाद ज़िंदगी चाहिए. क्या रोहित इसके लिए तैयार होगा?


आशना


बिजली 


सबटाइटल – कॉल सेंटर का मॉडर्न प्यार 



“सुनो डियर, तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हें अब कोई तो चाहिए?” बारिस्ता में बैठकर कॉफी का घूंट भरते हुए रोशनी ने आशना से पूछा. “चाहिए तो, मगर कौन? कौन होगा जो हम जैसी लड़कियों को बांधने की हिम्मत कर पाए?” आशना ने अपनी कॉफी में चीनी मिलाते हुए रोशनी की तरफ मफिन बढ़ाया.


आज दोनों सहेलियां कई दिनों के बाद बारिस्ता आई थीं. वैसे तो आशना को कॉफी पीना उतना कुछ ख़ास पसंद नहीं था, मगर बारिस्ता आना पसंद था. बारिस्ता में उसे एक सपना लगता था. यहां आकर उसे लगता कि उसका मिडल क्लास वाला टैबू कहीं झड़ गया है. बारिस्ता में उसे कॉफी और केक खाना खुद को अपग्रेड करने की एक प्रक्रिया लगती थी.


हालांकि वह कई दफे बार भी जा चुकी थी, मगर वह अपनी शादीशुदा सहेली के साथ बार की बजाय यहां आना ज़्यादा पसंद करती थी. शादीशुदा सहेली के साथ बार जाकर क्या करेगी, जो मज़ा किसी लड़के के साथ वाइन पीने का है, बियर पीने का है वह किसी लड़की के साथ? न न! वैसे भी उसकी पीजी वाली बहुत हल्ला करती है. तो हल्ला झेलना है तो लड़के के लिए झेलो न, काहे किसी लड़की के लिए हल्ला झेलने की ज़रूरत!


“कुछ सोच रही हो क्या तुम?” उसने उसे हाथ मारा “नहीं तो!” आशना ने चौंकते हुए कहा


“तो फिर, अब कोई तो खोजो और आगे बढ़ो यार,” रोशनी ने उसे समझाते हुए जैसे कहा. “अरे यार, अब तुम बताओ किससे साथ आगे बढ़ें, साला, जब किसी को गर्लफ्रेंड चाहिए होती है तो, तो वह सारे नखरे उठाने के लिए तैयार होता है! किसी के साथ लिव इन में रहने की बात हो तो वो भी तैयार, मगर जब बीवी की बात आए?”


“बीवी की बात आए तो?” रोशनी को समझ नहीं आ रहा था, वह और आशना इस कॉल सेंटर में तीन साल से साथ काम कर रही हैं. रोशनी को कभी नाईट शिफ्ट नहीं भायी, और उसने अपने प्रमोशन आदि की परवाह न करते हुए केवल दिन की ही शिफ्ट ली. वह बुलंदशहर से आते हुए संस्कारों की भी एक पोटली अपने साथ लाई थी. हालांकि लाई तो आशना भी थी, मगर उसने ज़रा संस्कार अपने हिसाब से मोल्ड कर लिए थे. 


रोशनी जहां शादी करके सेटल हो गयी थी वहीं आशना अभी भी शादी से दूर भाग रही थी. उसे शादी से डर लगता है, वह तीन साल से एक आज़ाद ज़िंदगी जी रही है. जब मन आए तब उठो, जब मन आए तब सो जाओ, मन का खाओ, मन का पहनो, कोई टोकने वाला नहीं. और सबसे बड़ी बात कोई उस पर अधिकार जताने वाला नहीं. उसे प्यार तो चाहिए, पति भी चाहिए मगर जैसे ही वह शादी के बारे में सोचती है, उसके सामने कई वे लड़कियां आकर खड़ी हो जाती हैं, जिनकी अभी हाल फिलहाल में ही शादी हुई है, मैली कुचैली नाइटी पहनी हुई, रसोई तक सिमटी. नाइट शिफ्ट वाली रंगोली ने तो नौकरी ही छोड़ दी. वह आज़ाद ख्याल लड़की अब घर की चारदीवारों में बंद है. जो लड़की खुलकर वाइन पीती थी अब वह चाय और वह भी घर की चाय तक सिमट कर रह गयी है.


आशना घबरा जाती है. “सुन!” तभी रोशनी ने उसे फिर टोका. “अब मुझे लग रहा है कि तुम्हारी भटकने वाली उम्र जल्दी ख़त्म हो जाएगी. इतने लड़कों के साथ तुम घूम चुकी हो, इतने लड़कों को नचा चुकी हो, अब तो तुम्हारी उंगलियां भी उतनी नहीं रहीं, जितने लड़कों को तुम अपने इशारे पर नचा चुकी हो” रोशनी ने उसकी उंगलियों को देखते हुए ठहाका लगाया.


वह भी हंस पड़ी.  “देख लो, इन उंगलियों की ताकत,” आशना ने भी आंखें नचाईं.


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(बिजली की कहानी का यह अंश प्रकाशक जगरनॉट बुक्स की अनुमति से प्रकाशित)