सावधान! कातिल आ रहा है 


जेम्स हेडली चेईज़ 



सुबह ग्यारह बजने से दस मिनट पहले ही आकाश मेघों से घिर गया और देखते-ही-देखते सारे शहर को अपनी लपेट में ले लिया. मैन हैट्टन की पहले से ही नर्म बर्फ से जमी हुई गलियां और जम गयीं और दिसम्बर मास के क्रिसमस की खरीददारी करने आए लोग वापस अपने-अपने घरों की ओर लौट पड़े.


ऐसे भीगे ठंडे मौसम में एक लम्बा पतला-सा आदमी “लेजिंगटन ऐवन्यू” के भीड़-भाड़ वाले इलाके में अपनी ही धुन में मगन चला जा रहा था. उसने पीले रंग की बरसाती पहन रखी थी. उसकी चलने की गति तेज थी और वह उस भीड़ में सबसे अलग-थलग दिखाई पड़ रहा था, जो वर्षा और शीत से बचने के लिए सुरक्षित स्थानों की ओर भागी जा रही थी. भीड़-भाड़ में उसे लोगों के धक्के लग रहे थे, पर उसे जैसे उसका होश नहीं था. उसे तो बस यह संतोष था कि वह अपनी जिंदगी के पिछले गुनाहों से मुक्त होकर अपने घर जा रहा है. वह मेरी को यह समाचार देने के लिए उत्सुक था कि उसकी सजा समाप्त हो चुकी है, उसका कालिमायुक्त भूतकाल पीछे छूट चुका है और एक नया स्वर्णिम भविष्य उसके स्वागत के लिए तैयार है. वह सोच रहा था कि मेरी कितनी खुश होगी, यह समाचार सुनकर.


जब वह उनसठ नम्बर गली के सिरे पर पहुंचा तो उसे रुक जाना पड़ा. सामने लाल बत्ती का सिगनल हो रहा था. वह एक साइड को खड़ा हो गया. उससे कुछ फुट के फासले पर सालवेशन आर्मी द्वारा बनाया गया “सान्ता क्लाज” एक खड़ा किया हुआ था. उसने अपनी जेब टटोलनी आरम्भ की, उस पर कुछ सिक्के चढ़ाने के लिए. कुछ शराबी उस प्रतिमा के पास खड़े गप्पे हांक रहे थे. उसने जेब से कुछ सिक्के निकाले और उस ओर उछालना चाहा ही था कि तभी उसे अपने पीछे से किसी ने जोर से थपथपाया. किसी अनिष्ट की आशंका से उसके बदन में ठंड की एक तेज लहर-सी गुजर आई. वह पीछे मुड़ा, उसने देखा. 


वह ब्रूस बायड था, जो उसे करीब एक वर्ष से नहीं मिला था. ब्रूस की आदतें बड़ी अजीबो-गरीब थी. वह बच्चों जैसी प्रकृति का था. उसे दूसरों को अचानक चौंका देने में अतीव आनन्द की प्राप्ति होती थी. इससे पहले कि वह ब्रूस को कुछ कहे, अचानक वह लड़खड़ाया. उसके शरीर में तेज कंपन हुआ और वह नीचे झुकता चला गया. उसकी पीठ में भयंकर दर्द उठा और वह भरभराकर जमीन पर गिर पड़ा. उसे सांस लेने में भी कठिनाई होने लगी.


भीड़ उससे बचकर भागी चली जा रही थी. उसके कान, नाक, गाल बर्फ से जमने शुरू हो गए. उसने सहायता के लिए मुंह खोलना चाहा तो उसके मुंह से रक्त की तेज धार बह निकली और नीचे गटर की ओर बह चली.


उसके शरीर में असहाय पीड़ा हो रही थी, परन्तु उसे इस अहसास से खुशी हो रही थी कि मेरी को कोई शुभ सूचना देने जा रहा था. वह मेरी को यह बताने जा रहा था कि अब वह आजाद है. पीड़ा की अधिकता से उसका बदन ऐंठता जा रहा था, पर अहसास की अनुभूति से उसने आंखें बंद कर रखी थीं. उसके शरीर पर पड़ती हुई बर्फ सख्त होती जा रही थी, उसे इसका कुछ भी अहसास न हो रहा था.

कैरोल रोबर्ट ने मुख्य द्वार के खुलने और बन्द होने की आवाज सुनी, कुछ लोग अन्दर आ रहे थे. उनके कदमों की आहट से उसने अनुमान लगा लिया कि ये लोग कौन हो सकते हैं. ये दो व्यक्ति थे. पहला अपनी आयु के तीसवें साल में था. वह एक तन्दुरुस्त व्यक्ति था. जिसका कद छह फुट तीन इंच था. उसका सिर बड़ा था. और आंखें सपाट, नीलिमायुक्त थीं. उसका चेहरा भावना शून्य था. दूसरा व्यक्ति एक छोटे कद का था. उसके फीचर सफाचट थे, पर उसके चेहरे से बुद्धिमत्ता झलकती थी. वह अपनी बादामी रंग की आंखों से सतर्कतापूर्वक इधर-उधर देख रहा था. दोनों आदमियों के हुलिए में जमीन-आसमान का अन्तर था, पर कैरोल की राय में वे दोनों एक ही थैली के चट्टे-बट्टे थे.


“ये लोग यहां कैसे?” सोचकर कैरोल की बगलों से पसीने की धारें फूट पड़ीं. वे दोनों कैरोल की डेस्क की ओर बढ़े. कैरोल भयभीत हो उठी. उसे वह दृश्य याद आने लगा जब किसी मुर्गी के नन्हे चूजे पर चील झपट्टा मारती है. वह मन-ही-मन ईश्वर से प्रार्थना करने लगी, “हे भगवान तुमने मुझे पिछले छह महीने से तो कष्ट युक्त कर रखा है, फिर आज.....”
वह वाकई पिछले छह महीनों से कष्ट युक्त थी, ठीक उस रात से जब उसने कहा था कि मैं तुमसे शादी करूंगा और यह गैंग हमेशा के लिए छोड़ दूंगा.


सैमी वह तो एयरफोर्स में था और बाहर था. यदि उसके अपने भाई को कुछ हो गया होता तो वे इन दोनों को यह खबर देने यहां न भेजते. “नहीं, यह नहीं हो सकता.” उसने सोचा. ये लोग उसे धोखा देने यहां आए हैं. उसने निश्चय किया कि वे दोनों उसे छू भी नहीं सकते. वह कोई ऐसी-वैसी औरत नहीं है जिसके साथ ये लोग मनमानी कर सकें. वह देश की सबसे बड़ी मनोविश्लेषण संस्था की रिसेप्शनिष्ट है. जैसे ही वे दोनों उसकी ओर बढ़े, उसका भय बढ़ गया.


उसे वे दिन याद आने लगे जब वह घुटन भरे सड़ियल से भीड़-भाड़ वाले फ्लैट में रहती थी और पुलिस उस इलाके से आये दिन किसी-न-किसी को किसी-न-किसी बहाने पकड़कर ले जाती रहती थी. उसके अन्दर दहशत का सैलाब-सा उमड़ रहा था, पर उसने उसे अपने चेहरे से जाहिर न होने दिया.


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(जेम्स हेडली चेईज की किताब का यह अंश प्रकाशक जगरनॉट बुक्स की अनुमति से प्रकाशित)