अलीशा उन्नीस की है और अपने दोस्तों के उलट वो अभी तक वर्जिन है. अपने ब्वायफ्रेंड के साथ अपनी वर्जिनिटी से निजात पाने का उसका मंसूबा तब धरा रह जाता है जब उसके पेरेंट उसे अपनी सालाना छुट्टियों पर लेकर चले जाते हैं. शिमला में अलीशा अपने ब्वॉयफ्रेंड को मिस कर रही है. लेकिन तभी वो एक खूबसूरत अजनबी से टकराती है जो उसके जितना संकोची नहीं था.
पहली बार
स्कार्लेट ग्रे
'तो अजीब बात ये है कि मैं वर्जिन हूं.' शब्द उसके मुंह से बरबस निकल पड़े और इस पर उसका मन किया कि वो खुद को थप्पड़ मारे. उसने अपनी निगाहें दूर फेर लीं और चाहती थी कि आखिरी के कुछ पलों की यादें अपने दिमाग से मिटा डाले. वो अपने ऊपर उसकी निगाह को महसूस कर रही थी और अचानक, उसने उसे हंसते सुना. वह उस पर हंस नहीं रहा था, वह कह सकती थी.
विवेक ने अभी भी हंसते हुए कहा, 'तुमने मुझे यह क्यों बताया?' 'मैं सच में नहीं जानती,' अलीशा ने कहा. उसने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे करीब खींच लिया. उसने अपना हाथ उसकी कमर पर लपेट दिया. अलीशा ने उससे बात करने के लिए ऊपर की ओर देखा लेकिन उसके चेहरे और कसे हुए जबड़े की ओर देखकर चुप रह गई.
उसने अपनी शक्ल में कभी भी सुंदरता नहीं देखी थी. उसे पता नहीं चला कि कब उसके हाथों ने विवेक के चेहरे की हल्की दाढ़ी को सहलाना शुरू कर दिया था. विवेक ने उसका चेहरा अपने हाथों में ले लिया और उसे अपने होंठों के करीब लाया.
अलीशा अपने दिल की धड़कन को महसूस कर सकती थी. उसने सिड के अलावा किसी को भी नहीं चूमा था. वह विश्वास नहीं कर सकती थी कि वह क्या कर रही थी. उनके शरीर एक दूसरे के साथ कसने लगे. वह उसकी हर इंच को अपने हर इंच पर महसूस कर सकती थी, और उसके चेहरे पर उसकी गर्म सांसें करीब आती जा रही थीं. उसके होंठों ने हल्के से उसे छुआ और अलीशा बस अपने दिल की धड़कन ही सुन पा रही थी. विवेक थोड़ा पीछे हटा और उसने अपनी आंखें खोलीं. वह उसे देख रहा था, मुस्कुरा रहा था, फिर भी उसे कस कर पकड़े हुए था.
'गॉड, तुम बहुत खूबसूरत हो.' विवेक ने आह भरी, मानो अपना भाग्य उसके हाथों में सौंप रहा हो. इससे पहले कि अलीशा कुछ कह सके, वह उसे ऐसे जुनून और ताकत के साथ चूमने लगा कि वो हैरान रह गई. उसकी जीभ उसके होंठों पर फिर रही थी और फिर वो उसके मुंह में चली गई. अलीशा ने उसे चूसा, उसे कस कर पकड़ा, वो उसे छोड़ना नहीं चाहती थी. उसके हाथ अलीशा के पूरे शरीर पर फिर रहे थे, उसकी जींस से उसकी शर्ट खींच कर निकाल दिया था. अलीशा ने अपने हाथ उसकी शर्ट में घुसाए, जहां उसकी कसी हुई पेशियों को महसूस करते हुए वो कांप रहे थे.
वह धीरे धीरे पीछे हटा, और अलीशा को लगा कि वह बहुत दूर चला गया है. वह पल अनंतकाल की तरह लगा. वो बोला, 'मेरे साथ आओ.’ उसने उसका हाथ ले लिया. अलीशा ने नहीं पूछा था कि कहां; वह सिर्फ साथ हो ली. अलीशा ऐसा महसूस कर रही थी कि वह पूरे जीवन ऐसा करते रह सकती है.
वे रिजॉर्ट की मुख्य इमारत में लौटे और अलीशा बाहर खड़े होकर उसका इंतजार करने लगी. उसे पता नहीं था कि विवेक के पास वहां एक कमरा भी था. यह बात उसे तब पता लगी जब उसने उसे मैनेजर से अपनी चाबी मांगते हुए सुना. उसने यह भी कहा कि वह आज रात यहीं रहेगा.
अलीशा ने इस बारे में सोचना शुरू कर दिया था कि इसका क्या मतलब है और क्या उसे अपने दोस्तों को फोन करना चाहिए और उन्हें पूछना चाहिए कि तभी उसे पीठ पर उसका हाथ महसूस हुआ.
उसने पूछा, 'क्या आप आना चाहती हैं?' हल्की मुस्कान बिखेरते हुए उसने इस तरह पूछा कि वह मना नहीं कर सकी. 'ठीक है,' अलीशा ने कहा, वह महसूस कर रही है कि वह फिर से एक मदहोशी की हालत में थी.
वे सीढ़ियों से दूसरी मंजिल पर गए. कमरे में जाते ही, अलीशा ने आह भरी. उनके सामने एक खिड़की के पार धूप में चमकते हुए शिमला का एक सुंदर दृश्य था. सूरज कुछ समय में डूबने वाला था. 'यह शानदार है.'
'मैं यहां हर किसी को नहीं लाता. अगर आप यह जानना चाहती हों,' उसने कहा. अलीशा ने उसे देखा और मुस्कुराई, शाम की थोड़ी ठंड में वो खुद में कसमसा रही थी.
वह उसके पीछे से आया और उसे अपनी बांहों में लपेट लिया. उसके चेहरे एक दूसरे की बगल में थे. उसके शरीर की गर्मी किसी भी प्रकार के अलाव से अधिक प्यारी थी. उसने गाल पर धीरे से उसे चूमा और फिर उसकी गर्दन पर. वह मुड़ गई और उसके होंठों पर उसे चूमा.
विवेक ने पूछा, 'क्या तुम श्योर हो कि तुम ये करना चाहती हो?'
अलीशा ने उसकी आंखों में देखा और कहा, 'हां, पल भर पहले की तुलना में अब मैं ज्यादा श्योर हूं.'
'क्या तुम इस रात के बारे में अपने परिवार को बताओगी?' 'वे जानते हैं कि मेरे पास कुछ दोस्त हैं. मैं उनसे कहूंगी कि मैं उनसे मिलने गई थी और रात में वहीं रह गई.'
'ठीक है, अगर तुम श्योर हो.'
'मैं श्योर हूं.' अलीशा ने उसका हाथ थाम लिया और उसे बिस्तर पर ले गई. उसने उसकी जींस को खोला और उसकी बेल्ट ढीली की. विवेक ने अपनी कमीज खुद उतारी.
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(स्कार्लेट ग्रे की कहानी का अंश प्रकाशक जगरनॉट बुक्स की अनुमति से प्रकाशित)