लुधियाना से लंदन: उसे प्यार-व्यार के लिए जरा भी फुर्सत नहीं है
माही एक उभरता हुआ पार्टी प्लानिंग कंपनी लुधियाना टू लंदन चलाती है और उसे प्यार-व्यार के लिए जरा भी फुर्सत नहीं है. जब एक फेमिली संकट के दौरान वो अपनी सौतेली मां के कहने पर गोवा में एक शादी प्लान करने जाती है, तो वहां वो दुल्हन के हॉट बेटे के प्यार में पड़ जाती है. क्या उसे भी बदले में प्यार मिलेगा?
माही एक उभरता हुआ पार्टी प्लानिंग कंपनी लुधियाना टू लंदन चलाती है और उसे प्यार-व्यार के लिए जरा भी फुर्सत नहीं है. जब एक फेमिली संकट के दौरान वो अपनी सौतेली मां के कहने पर गोवा में एक शादी प्लान करने जाती है, तो वहां वो दुल्हन के हॉट बेटे के प्यार में पड़ जाती है. क्या उसे भी बदले में प्यार मिलेगा?
लुधियाना से लंदन
विभा बत्रा
मैंने स्वेतलाना के साथ खाना खाया और अपने कमरे में आ गई. नाइट सूट बदला लेकिन मेरा दिमाग लगातार दौड़ रहा था. तभी बिजली कट गई. मुझे बहुत तेज़ पसीना आने लगा, मैंने अपना तकिया और चादर उठाई और टेरेस की ओर भागी. लेकिन ऊपर पहुंचते ही एकदम से रुक गई.
क्योंकि टार्ज़न बीच पर नंगा नहीं पड़ा हुआ था. वह हमेशा की तरह 50 परसेंट नंगा (बिन शर्ट के) होकर टेरेस पर रखी चारपाई पर लेटा था, बियर की बोतलें उसके पैरों के पास पड़ी थीं.
‘तुम फिर से?’ जैसे कि वह कोई किसान हो और मैं कोई जंगली जानवर जो उसके खेतों में खड़ी फसल खाने फिर से पहुंच गया हो. ‘मैं जा रही हूं,’ मैंने धीरे से कहा और टेरेस के दरवाज़े की ओर मुड़ गई.
‘ओह! हे ईश्वर,’ वह बड़बड़ाया. ‘माही,’ वह चिल्लाया. ‘वापस आओ.’ यह पहली बार था कि उसने मुझे माही बुलाया था और ब्लडी महेंदर नहीं, लेकिन फ़िर भी मैंने सुनने से इन्कार कर दिया.
‘आई एम सॉरी, ओके?’ मैं धीरे से घूमी. उसने दूसरी चारपाई पर मुझे बैठने का इशारा किया. मैं वहां गई, चारपाई पर चादर बिछाई, तकिया सीधा किया और बैठ गई. हम थोड़ी देर वैसे ही बैठे रहे और आकाश को देखते रहे.
आख़िरकार मैंने ही चुप्पी तोड़ी, ‘आई एम सॉरी, मुझे तुमसे पूछे बिना स्वेतलाना को काम पर नहीं रखना चाहिए था.’ उसकी आंखें मुझे टटोलने लगी. यह निश्चित करने के लिए कि मैं सच बोल रही हूं या यूं ही हवा दे रही हूं.
‘मैं भी सॉरी हूं, मुझे इस तरह बात नहीं करनी चाहिए थी.’
‘कोई बात नहीं, तो दोस्त?’ मैंने मुस्कुराते हुए अपना हाथ आगे बढ़ाया. उसने मुझे देखकर ई ई ईई वाला चेहरा बनाया. दोस्त? तुम हो कहां, पांचवी क्लास में? ओह, यह कितना बड़ा...! मैं यहां थोड़ी समझदार बनने की कोशिश कर रही और यह मुझे नखरे दिखा रहा. उल्लू का पट्ठा, खोत्ता, कुत्ता, कमीना.
उसने अपने कानों पर हाथ रख लिया, ‘कुछ कहा तुमने?’
‘सर तेरा.’
वह हंसा और फिर से ड्रिंक करने लगा. ‘गॉड, मेरे अंदर तो ज़रा भी तहज़ीब नहीं, बियर?’ वह मुझे बियर पास करने ही वाला था कि एकदम से रुक गया जैसे कि कोई कार पहले गियर में ही रोक दी गई हो और सोचते हुए बोला, ऊप्स! मेरे दिमाग से यह बात ही फिसल गई थी.
तुम वाइन या बियर नहीं पीती न, सही है न? सिर्फ़ व्हिस्की, वह भी इंपोर्टेड, ऑन दी रौक्स, पटियाला...
मेरे शब्द हूबहू! रब्बा का शुक्र है कि अंधेरा हो गया था और उसने मेरा चेहरा नहीं देखा क्योंकि वह पूरी तरह लाल हो चुका था. हाय! मैंने झूठ क्यों बोला. अब मैंने उसे अकेले पीते और मज़ा करते देख रही थी.
‘कोई बात नहीं, मैंने ख़ूब सारा डिनर खाया और एकदम फुल हूं. वैसे भी बिना स्नैक्स के पीने में क्या मज़ा है?’ मैंने भी थोड़ा एटिट्यूड दिखाने की कोशिश की लेकिन मेरी आवाज़ एकदम दूध वाली चाय की तरह कमजोर थी.
‘थोड़ा पंजाबी हो जाओ, अहलुवालिया,’ वह फिर चहका. ‘तुम भी पंजाबी हो, साहनी. या कि नौ साल अमरीका में रहने के बाद यह भूल गए हो?’
‘वाऊ, बहुत जानकारी है तुम्हें?’
‘ओहो, ये तो पूरे लुधियाना को पता है,’ मैंने कहा.
‘क्या?’
जैसे कि मैं परीक्षा के समय करती थी, मैंने सारी जानकारी बक दी, यही कि तुम उनतीस साल के हो. न्यूयॉर्क के इनवेस्टमेंट बैंकर हो. और तुमने इंडिया तब छोड़ दिया था जब तुम बीस साल के थे और अब इंडिया वापस आने से नफ़रत करते हो.
‘तो उन्होंने तुम्हें यह नहीं बताया कि मैं इंडिया को और ऐसी रातों को कितना मिस करता हूं. मैं पुराने अच्छे दिनों को कितना मिस करता हूं – आकाश को देखते हुए, अकले तारों और लहरों की आवाज़ों के साथ वक्त बिताने को.
मुझे नहीं पता था कि वह मुझसे कोई उत्तर की आशा कर रहा है या नहीं इसलिए मैंने गाय की तरह अपना सिर हिलाया. ‘अच्छा, तो उन्होंने तुम्हें सारी महत्वपूर्ण जानकारी दी है,’ उसने नरमी से कहा. उसकी जादू भरी आंखें मुझ पर टिकी हुई थीं.
‘नहीं, सारी महत्वपूर्ण जानकारी नहीं.’ मैंने बिना सोचे हुए जवाब दिया, ‘जैसे कि मुझे नहीं पता कि यूएस में तुम्हारा किसी के साथ कोई सीन है या नहीं!’
जैसे ही यह शब्द मेरे मुंह से निकले, मैं खुद से ही कहा हौ…बस मैं एकदम साइलेंट मोड पे चली गई. हाय! मेरी दिक्कत क्या है! मैंने सिर से पांव तक कांपते हुए सोचा. मैं सच में जंगली जानवर की तरह बिहेव कर रही थी.
उसके होंठ लुधियाना के रौकी कैफे में परोसे जाने वाले फ्राइज़ की तरह घुमावदार हो गए थे. ‘क्या तुमने अभी अभी मेरे बेड पार्टनर के बारे में पूछा? क्यों महेंदर, मुझे नहीं लगता था कि तुम मेरी सेक्स लाइफ में रुचि लोगी!’ उसकी आवाज़ चिढ़ानेवाली, शैतानी से भरी और नरम थी.
हाय! पानी सिर से ऊपर गुजर चुका था. मतलब कि मेरे पास अब दो ही उपाय थे. या तो मैं लुधियाना की छुईमुई बन जाऊं और कहूं, छी, क्या कह रहे हो तुम, सेक्स और मैं? या फिर मैं मैं गोवा में आकर वहां की तरह कूल शूल बनने का नाटक करूं, जैसे कि हमारे नंगे पड़ोसी.
‘क्यों, तुम इतने ठंडे हो क्या!’ मैंने बेबाकी से दूसरा उपाय चुनते हुए कहा. ‘ओह, ऐसा तो मैं बिलकुल नहीं चाहता,’ वह फिर चहक रहा था. ‘लेकिन तुम महेंदर, तुम ज़रूर आग हो. एक्च्युअली, जब तुम बिन पिए इतनी मज़ेदार हो तो पता नहीं पी कर कैसे होती होगी?’
‘ओके, जब तुम इतना चाह रहे हो तो मैं दिखाती हूं तुम्हें,’ मैंने ललचाते हुए कहा और बियर की बोतल उसके हाथों से लेने झुकी.
लेकिन उसने अंतिम पलों में बोतल छीन ली. मैं थोड़ा और झुकी लेकिन उसने बोतल मेरे हाथों से लेकर अपने माथे के ऊपर उठा ली. वह मालिक था जिसने हड्डी उठा रखी थी और मैं लालची डौगी बन गई थी. मैंने अपना पूरा शरीर ऊपर की ओर खींचा और लपकी लेकिन बोतल की जगह मेरे हाथ में हवा आई. अचानक मेरा संतुलन बिगड़ा और मैं गिरी पहले उसकी ठुड्डी पर...फिर सीने पर.
मुझे नहीं पता फिर क्या हुआ. एकदम से कुछ गिरने की आवाज़ आई, मुझे लगा कि बियर की बोतल फर्श पर गिरी थी. उसके बाद मेरे दिमाग ने मेरे योगा टीचर को अंगूठे का निशान दिखाया और बिल्कुल काम करना बंद हो गया.
टार्ज़न मेरे चारों ओर किसी पायथन की तरह लिपटा हुआ था. कितना कड़ा था वह (मेरा मतलब है उसका सीना) उसकी बांहों में जकड़े जाना कितना अच्छा लग रहा था. मैंने हल्की सी आवाज़ निकाली. उसका दूसरा हाथ नरमी से मेरे बालों में उंगलियां कर रहा था. मैं उसकी आंखों में देख रही थी, हमारी आंखें एक दूसरे के साथ गुत्थम गुत्था थीं.
टाइगर श्रॉफ मेरे दिल में फिर से एंट्री मार रहा था. उसने हर तरह के स्टेप किए. एरोबिक्स, ज़ुम्बा, डिस्को. फिर उसके मखमली होंठ मेरे होंठों पर थे. और वह मुझे हीरो की तरह किस कर रहा था. ओहो, बॉलीवुड टाइप लल्लू हीरो की तरह नहीं, जो इस तरह किस करता है जैसे हाय, मेरे माता-पिता देख रहे हैं. हॉलीवुड मूवी हीरो की तरह. पूरे दिल और जीभ के साथ.
मैं भी उसे किसी हीरोइन की तरह किस कर रही थी. ओहो, बॉलीवुड हीरोइन की तरह नहीं, जो ऐसे किस करती है जैसे हाय, पब्लिक देख रही है, उम्मीद है वह यही समझेगी कि मैं अब तक कुंवारी हूं. बल्कि हॉलीवुड हीरोइन की तरह. पूरे दिल और जीभ की मदद से.
मुझे अंदाज़ा नहीं है हम कितनी देर ऐसे ही रहे जैसे जैम की मदद से दो ब्रेड चिपका दिए जाते हैं.
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(विभा बत्रा की किताब लुधियाना से लंदन का यह अंश प्रकाशक जगरनॉट बुक्स की अनुमति से प्रकाशित)