Risk Of Parkinsons: पार्किंसंस बीमारी का खतरा बढ़ा सकता है कोरोना संक्रमण, रिसर्च में किया गया दावा
दुनियाभर में पार्किसंस की बीमारी से दो प्रतिशत लोग ग्रस्त हैं. इस बीमारी के 55 साल की उम्र में होने की अधिक संभावना रहती है.
![Risk Of Parkinsons: पार्किंसंस बीमारी का खतरा बढ़ा सकता है कोरोना संक्रमण, रिसर्च में किया गया दावा Research Claims Covid infection can increase the risk of parkinsons Risk Of Parkinsons: पार्किंसंस बीमारी का खतरा बढ़ा सकता है कोरोना संक्रमण, रिसर्च में किया गया दावा](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/05/16/ed237fb0de5e6e071caa92aaa33f8ca3_2.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Risk Of Parkinsons: कोरोना वायरस की चपेट में आने के बाद संक्रमित व्यक्ति पर इसका कितना दुष्प्रभाव होता इसे लेकर दुनियाभर में शोध की जा रही है. ऐसी ही एक शोध में सामने आया है कि कोरोना महामारी के लिए जिम्मेदार सार्स-सीओवी-2 वायरस पार्किसंस बीमारी को बढ़ाने में सहयोग करता है. पार्किसंस एक न्यूरो डिजनेरिटिव बीमारी है, जिसमें व्यक्ति का शरीर कांपने लगता है और वो ठीक से चलने-फिरने में बैलेंस नहीं बना पाता. शोधकर्ताओं का मानना है कि इस बारे में और अधिक जानने की आवश्यकता है, जिससे कि हम अभी से इस बीमारी की रोकथाम के लिए उचित तैयारी कर लें.
पार्किसंस बीमारी में कोरोना महामारी के लिए जिम्मेदार सार्स-सीओवी-2 वायरस की भूमिका का चूहों पर की गई एक रिसर्च मूवमेंट डिसआर्डर जर्नल में प्रकाशित की गई है. इसमें बताया गया है कि कोरोना वायरस चूहों के मस्तष्कि के नर्व्स सेल्स को उस टाक्सिन के प्रति संवेदनशील बना देता है, जिस पार्किसंस बीमारी के लिए जिम्मेदार माना जाता है. जिससे दिमाग की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है.
विशेषज्ञों के अनुसार, दुनियाभर में पार्किसंस की बीमारी से दो प्रतिशत लोग ग्रस्त हैं. इस बीमारी के 55 साल की उम्र में होने की अधिक संभावना रहती है. कोरोना वायरस हमारे दिमाग में किस प्रकार से असर डालता है इसके बारे में जानना आवश्यक है. जिससे कि भविष्य में इस बीमारी से निपटने के लिए दूरगामी तैयारियां पहले से कर ली जाएं. शोधकर्ताओं के मुताबिक, कोरोना वायरस के दुष्प्रभाव को लेकर निकाला गया ये नया निष्कर्ष पहले के उन प्रमाणों पर आधारित है, जिनमें इस बात का दावा किया गया कि ये वायरस ब्रेन सेल्स या न्यूरान्स को नुकसान पहुंचाता है.
इंफ्लूएंजा होने के 10 साल बाद पार्किसंस का खतरा दोगुना
साल 2009 में इस प्रकार से इंफ्लूएंजा महामारी ने दुनियाभर के देशों में कई लोगों को अपनी चपेट में लिया था. इसके बाद इस बीमारी को लेकर को किए गए रिसर्च में पाया गया है कि इंफ्लूएंजा महामारी के फैलने के पीछे एन1एन1 नामक वायरस है. शोध के लिए जब इस वायरस से चूहों को संक्रमित कराया गया तो वो पार्किसंस के लक्षण उत्पन्न करने वाले MPTP नामक टाक्सिक के प्रति अधिक संवेदनशील हो गए. इसके बाद इस वायरस का इंसानों पर की गई शोध में सामने आया कि इंफ्लूएंजा होने के 10 साल बाद पार्किसंस होने का खतरा दोगुना हो जाता है.
इसे भी पढ़ेंः-
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)