पालघर में साधुओं की हत्या के पीछे कोई सांप्रदायिक कारण नहीं है. ये कहा है महाराष्ट्र की सीआईडी ने अदालत में दाखिल की गई अपनी चार्जशीट में. इसी साल अप्रैल में मुंबई से सटे पालघर में हिंसक भीड़ ने 2 साधुओं और उनके ड्राईवर को पीट पीट कर मार डाला था. उस हत्याकांड पर काफी सियासी घमासान भी मचा था.


पालघर जिले के गडचिंचले गांव में साधुओं को बेरहमी से पीटने वाली भीड़ एक अफवाह के कारण बौखलाई हुई थी. उस भीड़ ने 70 साल के साधु कल्पवृक्षगिरी, 35 साल के उनके शिष्य सुशीलगिरी और 30 साल के उनके ड्राईवर नीलेश तेलगडे पर इस अफवाह के चलते हमला कर दिया कि इलाके में बच्चों को अगवा करने वाला गिरोह घूम रहा है. वे साधु मुंबई से गुजरात के सूरत जाने के लिये निकले थे. लेकिन लॉकडाऊन के कारण जगह जगह पुलिस चेकिंग कर रही थी जिससे बचने के लिये उन्होने जंगल से भीतर के रास्ते से जाने का फैसला किया. लेकिन उसी वक्त उस इलाके में बच्चा चोरी की अफवाह फैली हुई थी जिसकी चपेट में ये लोग आ गये.


वन विभाग के कर्मचारियों की ओर से इत्तला किये जाने पर चंद पुलिसकर्मी इन्हें बचाने वहां पहुंचे लेकिन 500 से ज्यादा लोगों की हिंसक भीड के सामने पुलिसकर्मियों की संख्या बेहद कम थी. इन पुलिसकर्मियों के सामने ही भीड ने तीनों की पीट पीट कर हत्या कर दी. पुलिसकर्मियों की गाड़ी पर भी हमला किया गया. हमले के बाद पुलिस ने संदिग्धों की धरपकड शुरू की. करीब 150 लोगों की गिरफ्तारी हुई जिनमें से 128 के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई है.


इस हत्याकांड के बाद जमकर सियासत हुई और इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई लेकिन सीआईडी की चार्जशीट से ये साफ हो गया कि घटना के पीछे कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं था. लेकिन बीजेपी ने चार्जशीट में कही गई बातों को मानने से कार कर दिया है. बीजेपी की मांग है कि इस हत्याकांड की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिये.


कुछ संगठनों का मानना है कि साधुओं की हत्या सुनियोजित तरीके से की गई. इस मामले की जांच सीबीआई से कराने को लेकर कुछ याचिकाएं भी अदालत के सामने दायर की गईं हैं.