Russia-Ukraine War: दुनिया भर में चिंता का सबब बढ़ा रहे रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारत ने तत्काल संघर्ष विराम की अपील को दोहराया है. साथ ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुलाकात करने पहुंचे रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से कहा कि अगर शांति के प्रयासों में भारत योगदान करने के लिए तैयार है तो हमें कोई ऐतराज नहीं है.


रूसी विदेश मंत्री ने शांति प्रयासों की जानकारी दी
प्रधानमंत्री कार्यालय के मुताबिक रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने पीएम मोदी से मुलाकात में जहां यूक्रेन संकट और अपना पक्ष बताया वहीं शांति प्रयासों की भी जानकारी दी. मुलाकात के दौरान लावरोव ने पीएम को राष्ट्रपति पुतिन की तरफ से भेजा शुभकामना सन्देश भी दिया.


भारत की शांति के लिए मध्यस्थता के प्रयासों पर रूस राजी
पीएम से मुलाकात के पूर्व लावरोव ने भी मीडिया कैमरों के आगे कहा कि भारत अगर शांति के लिए मध्यस्थता करता है तो रूस उसके लिए राजी है. इतना ही नहीं लावरोव ने भारतीय विदेश नीति के संतुलन की सराहना करते हुए इस बात पर भी जोर दिया कि भारत ने किसी एक तरफ का नज़रिया नहीं देख बल्कि पूरी व्यापकता और तथ्यों के साथ मामले को समझा. एक सवाल के जवाब में लावरोव ने अमेरिका का नाम लिए बिना कहा कि भारत और रूस की साझेदारी उनके (अमेरिका के) दबाव से प्रभावित नहीं होगी.


बंद कमरे में भी हुआ संवाद
जाहिर है लावरोव अपने से पहले भारत दौरे पर आए अमेरिका के डिप्टी एनएसए दलीप सिंह की उस टिप्पणी पर भी तंज कर रहे थे जिसमें कहा गया था कि चीन अगर हमला करता है तो अब की बार रूस भारत के समर्थन में नहीं आएगा. इससे पहले रूसी विदेश मंत्री की भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर से भी करीब दो घण्टे की मुलाकात हुई. इस दौरान दोनों नेता जहां अपने अपने प्रतिनिधिमंडलों के साथ मिले वहीं उनके बीच बंद कमरे का सीधा संवाद भी हुआ.


द्विपक्षीय संबंधों पर हुई चर्चा
बताया जाता के कि बातचीत की मेज पर यूक्रेन संकट पर तो चर्चा हुई. लेकिन अधिक बात द्विपक्षीय संबंधों और मौजूदा स्थिति में आपसी कारोबार व पहले से चल रही सहयोग परियोजनाओं पर भी हुई. जाहिर तौर पर भारत की चिंता का एक बड़ा मुद्दा खरीद परियोजनाओं के लिए भुगतान की व्यवस्था का है. रूस इसके लिए रूपए-रूबल विनिमय पर जोर दे रहा है. लावरोव ने भी कहा कि इससे अवैध प्रतिबंधों को बेअसर करने में मदद मिलेगी. हालांकि रूस के खिलाफ लगाए गए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बीच भारत की इससे जुड़ी अपनी परेशानियां भी हैं.


हिंसा और शत्रुता खत्म करने की जरूरत-भारत का पक्ष
विदेश मंत्रालय के मुताबिक वार्ता के दौरान भारत ने कहा कि विदेश मंत्री जयशंकर ने इस बात पर ज़ोर दिया कि एक विकासशील अर्थव्यवस्था होने के कारण वैश्विक अस्थिरता को लेकर भारत की विशेष चिंताएं हैं. दोनों देशों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि उनके आर्थिक, तकनीकी और पारस्परिक संपर्क स्थिर रहें. यूक्रेन संकट पर रूसी विदेश मंत्री ने जहां अपना पक्ष सामने रखा. वहीं भारत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि हिंसा और शत्रुता खत्म करने की ज़रूरत है. साथ ही ज़रूरी है कि मतभेदों और विवादों को.कूटनीतिक तरीकों और बातचीत के जरिए हल किया जाए. साथ.ही इसमें अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर, राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का ध्यान रखा जाना चाहिए.


अफगानिस्तान पर भी हुई बात
चीन में अफगानिस्तान के मुद्दे पर बातचीत कर लौटे रूसी विदेश मंत्री ने भारत को इस बाबत भी जानकारी दी. अफगानिस्तान के हालात पर हुई बातचीत के दौरान कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की चिंताओं को जाहिर किया. साथ ही अफगान लोगों के लिए मानवीय समर्थन की बात भी स्पष्ट की हैं जिसे नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता है.  


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