मानसून मंदिर के इस रहस्य को जानकर हैरान रह जाएंगे, मोटी और हल्की बूंदें करती है मौसम की भविष्यवाणी
दुनिया भर में तमाम रहस्यों के बीच कानपुर के इस मंदिर की चर्चा दुनिया भर में है. मौसम की सटीक भविष्यवाणी करने वाला ये मंदिर अपने आप में अनोखा है. बारिश कैसी होगी, कब होगी ये मंदिर पहले ही संकेत दे देता है.
कानपुर. प्रभात अवस्थी. प्राचीन धरोहर, पौराणिक गाथाएं और न जाने कितने रहस्य ये हिंदुस्तान अपने आंचल में समेटे हुए है. ऐसे ही एक रहस्य से आज आप को रूबरू करवाएंगे। हम आप को एक ऐसे रहस्यमयी मंदिर की कहानी बताने जा रहे हैं, जो अपने आप में सैकड़ों राज छिपाए बैठा है. कानपुर के जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर बेहटा बुजुर्ग गांव में ये रहस्यमयी मंदिर न जाने कितने रहस्य छिपाए हुए है. इसे जगन्नाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है. यही नहीं जगन्नाथ मंदिर मानसून मंदिर के भी नाम से प्रसिद्ध है.
दरअसल इस मंदिर की सबसे खास बात ये है कि यह मंदिर बारिश की एकदम सटीक भविष्यवाणी करता है. ऐसा माना जाता है कि मानसून आने से पहले ही यह मंदिर बता देता है कि इस बार कितनी बारिश होगी. इस मंदिर से बेहटा बुजुर्ग गांव के साथ-साथ आसपास के सैकड़ों गांवों के लोगों की भी निगाहें लगी रहती हैं। एबीपी गंगा की टीम ने इस मंदिर के साथ साथ इस ऐतिहासिक गांव की भी हकीकत जानी.
4200 साल पुराना मंदिर
ये मंदिर कितना पुराना है, इसको लेकर कई मत हैं. इतिहासकारों की मानें तो इसे 9वीं शताब्दी का तो कुछ इसे बुद्ध कालीन बताते हैं। क्योंकि इसकी कलाकृति 9वीं शताब्दी की है, तो देखने मे ये बौद्ध स्तूप की तरह लगता है. इसलिए इसके अलग अलग मत है. लेकिन अंदर से ये मंदिर 4200 साल पुराना और बाहर से जीर्णोद्धार के बाद 1800 साल पुराना बताया जाता है.
इस तरह पता चलता है कैसी होगी बारिश
जगन्नाथ जी का ये मंदिर भविष्यवाणी करता है. मानसून के लगभग 15 दिन पहले ही ये बता देता है कि अब पानी बारिश होने वाली है. यही नहीं गर्भ गृह के चारों ओर 14 फ़ीट की दीवार है और जगन्नाथ की प्रतिमा के ऊपर गुंबद में ऐसा मंदिर है, जो मानसून आने से पहले ही पसीज जाता है और पानी की बूंद टपकती है, जिससे पता चलता है कि मानसून आने वाला है.
भगवान विष्णु के 24 अवतार
आपको बता दें कि बेहटा बुजुर्ग गांव में भगवान जगन्नाथ का इकलौता मंदिर है. ऐसा मंदिर पूरे हिंदुस्तान में आप को दूसरा नहीं मिलेगा. क्योंकि इस मंदिर की बनावट की बात हो या इसकी मूर्ति की, दोनों ही अपने आप में अनोखे हैं. इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ की मूर्ति है, उसमे भगवान विष्णु के 24 अवतार साफ देखे जा सकते हैं. इन 24 अवतार में कलयुग में अवतार लेने वाले कल्कि भगवान की भी मूर्ति स्थापित है. जब इस मंदिर परिसर की देखभाल करने वाले पुरातत्व विभाग के कर्मचारी से ये पूछा गया कि आखिर ये मंदिर कितना पुराना है और इसकी मूर्ति कितनी पुरानी है. आखिर इस मंदिर को किसने बनाया? उन्होंने बताया कि इस मंदिर में स्थापित मूर्ति की कार्बन रेटिंग के मुताबिक 42 सौ वर्ष पुरानी बतायी गयी है.
गुबंद के पत्थर पर उभर आती हैं बूंदें
इस मंदिर की सबसे खास बात ये है कि इसके गर्भगृह के भीतर ऊपर गुंबद में एक ऐसा पत्थर लगा हुआ है, जो मानसून आने से पहले ही बारिश कितनी होगी ये साफ कर देता है. और पत्थर से अचानक पानी की बूंदे अपने आप साफ नजर आने लगती है. उन्होंने बताया कि जब बड़ी बूंदे गिरती है तो बारिश अच्छी होती है मगर जब बूंदे कम और छोटी होती हैं तो बारिश कम होती है. वहीं जब बारिश शुरू हो जाती है तब इस पत्थर में एक भी बूंद नहीं दिखती है. उन्होंने ये भी बताया कि इस मंदिर का 18 सौ साल पहले दोबारा जीर्णोद्वार कराया गया था. इस मंदिर के गुंबद पर एक चक्र लगा हुआ है, जिसकी वजह से इस गांव मे आज तक कभी भी बारिश के वक्त बिजली नहीं गिरती है. मगर पुरातत्व विभाग के कर्मी हमे ये नहीं बता सके कि आखिर इस मंदिर को किसने और कब बनाया है?
गांव के लोगों से भी इस मंदिर के रहस्य और गांव के विकास पर जानकारी की तो लोगों ने बताया कि उनके गांव को जो सम्मान मिलना चाहिए वो कभी नहीं मिला. उनके गांव में विदेश शैलानी और देश भर से शोधकर्ता भी आते रहते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि वो मौसम विभाग से ज्यादा यहां के संकेत पर भरोसा करते हैं. संकेत मिलते ही बारिश को लेकर सतर्क हो जाते हैं और तैयारी शुरू कर देते हैं.
लंबे समय से इस मंदिर पर अध्ययन करने वाले क्षेत्रीय पत्रकार राघवेंद्र सिंह बताते हैं कि कलाकृति से ये मंदिर 9 वीं शताब्दी का है लेकिन बाहर से ये बौद्धकाल का लगता है. बहुत सी टीमों ने रिसर्च किया. फिलहाल अब पुरात्तव विभाग के आधीन है.
कभी नहीं गिरी आकाशीय बिजली
यही नहीं मौसम की भविष्यवाणी के साथ इस मंदिर की एक और खासियत है. इस मंदिर के ऊपर एक सूर्य चक्र लगा है, जिसकी वजह से आज तक यहां पर और आसपास के क्षेत्र में कभी आकाशीय बिजली नहीं गिरी.
बेहटा बुजुर्ग गांव में ही मानसून मंदिर के परिसर में एक राम कुंड तालाब भी है। जिसको लेकर कहा जाता है कि भगवान राम ने यहां पर लंका पर विजय के बाद अपने पिता का पिंड दान किया था। एक वक्त था जब लोग इस तालाब में पिंड दान किया करते थे. मगर समय के साथ साथ मंदिर हो या तालाब और या फिर गांव सब बदहाल हो चुके हैं.