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राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़..., क्या 2018 की तरह झटका खा जाएगी बीजेपी?

राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सामने सत्ता बचाने की चुनौती है, जबकि तेलंगाना और एमपी में पार्टी वापसी की कोशिशों में जुटी है. बीजेपी के पास 4 में से सिर्फ एक राज्य (मध्य प्रदेश) में ही सरकार है

कर्नाटक में जीत का खुमार उतरने से पहले राजस्थान की बगावत ने कांग्रेस हाईकमान की टेंशन बढ़ा दी है. राजस्थान में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के साथ इस साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं. 

इन चुनावों को लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल भी माना जाता है, इसलिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए यह काफी अहम है.  2024 लोकसभा चुनाव से पहले तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा के चुनाव होंगे. 

राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सामने सत्ता बचाने की चुनौती है, जबकि तेलंगाना और मध्य प्रदेश में पार्टी वापसी की कोशिशों में जुटी है. बीजेपी के पास 4 में से सिर्फ एक राज्य (मध्य प्रदेश) में ही सरकार है.

साल 2018 में कर्नाटक में सरकार बनाने से चूकी बीजेपी को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी तगड़ा झटका लगा था. हालांकि, पार्टी ने 2019 लोकसभा चुनाव में इन राज्यों में बड़ी वापसी की थी. 

ऐसे में आइए जानते हैं कि आगामी 4 राज्यों के विधानसभा चुनाव का लोकसभा पर कितना असर होगा?

पहले जानिए क्यों महत्वपूर्ण हैं 4 राज्यों के चुनाव?
लोकसभा से पहले जिन 4 राज्यों में विधानसभा के चुनाव हैं, उनमें से 3 राज्य उत्तर भारत के और एक राज्य दक्षिण भारत के हैं. यानी लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर से लेकर दक्षिण तक के जनता का सियासी मूड का पता चल जाएगा. 

लोकसभा चुनाव में मुद्दा तय करने में भी इन राज्यों की भूमिका होगी. साथ ही जिस पार्टी को इन राज्यों में जीत मिलेगी, उसके कार्यकर्ता लोकसभा के समर में उतरने से पहले मनोवैज्ञानिक तौर पर काफी मजबूत रहेंगे. इन राज्यों में विधानसभा चुनाव के बाद नया समीकरण भी बनेगा. 

ऐसे में आइए एक-एक राज्यों के बारे में जानते हैं...

बात पहले मरुभूमि राजस्थान की
मई के महीने मौसमी तापमान से अधिक राजस्थान का सियासी पारा चढ़ा हुआ है. राजस्थान में नवंबर 2023 में विधानसभा के चुनाव होने हैं. यहां लोकसभा की कुल 25 सीटें हैं. वर्तमान में राज्य में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है.

कांग्रेस में सत्ता भागीदारी को लेकर सचिन पायलट और अशोक गहलोत में जारी झगड़ा चरम पर पहुंच गया है. पायलट ने गहलोत सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम भी दे रखा है. माना जा रहा है कि हाईकमान अगर इस महीने विवाद सुलझाने में नाकाम रहती है, तो पायलट कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं.

कांग्रेस की तरह ही अंदरुनी कलह बीजेपी में भी जारी है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जिम्मेदारी मिलने का इंतजार कर रही हैं. बीजेपी ने राज्य में गुटबाजी खत्म करने के लिए सीपी जोशी को अध्यक्ष बनाया है. राज्य बीजेपी में मुख्यमंत्री दावेदारी को लेकर पेंच है.

वसुंधरा राजे पश्चिमी राजस्थान में तेजी से सक्रिय हो गई हैं. जगह-जगह रैली और सभाएं कर रही हैं. ऐसे में उन्हें इग्नोर करना पार्टी को भारी पड़ सकता है. 

2018 में राजस्थान की सत्ता में आने के बावजूद कांग्रेस लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई. खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे जोधपुर सीट से चुनाव हार गए. कांग्रेस के सामने विधानसभा चुनाव के साथ-साथ लोकसभा में भी बढ़िया परफॉर्मेंस करने की चुनौती है.

गुटबाजी के बीच अशोक गहलोत राज्य में खुद की छवि कल्याणकारी नेता की बनाने में जुटे हैं. कांग्रेस अगर एकजुट होकर चुनाव लड़ती है, तो बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती है.

मध्य प्रदेश: कमलनाथ वर्सेज शिवराज और महाराज
मध्य प्रदेश में लोकसभा की कुल 29 सीटें हैं और 2019 में बीजेपी ने यहां एकतरफा जीत दर्ज की थी. मध्य प्रदेश में 2018 के चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत की वजह से 2020 में कांग्रेस की सरकार गिर गई. 

सिंधिया केंद्र में मंत्री हैं और राज्य में शिवराज के नेतृत्व में सरकार चल रही है. चुनाव में कांग्रेस की ओर से कमलनाथ चेहरा हैं, जबकि दिग्विजय सिंह रणनीति तैयार कर रहे हैं. मध्य प्रदेश में इस बार कमलनाथ का मुकाबला सिंधिया और शिवराज की जोड़ी से है.

कमलनाथ को अपने 18 महीने के किए कामों पर भरोसा है, जबकि सिंधिया-शिवराज की जोड़ी को जमीनी समीकरण के सहारे सत्ता में वापसी की उम्मीद है. कर्नाटक में झटका लगने के बाद मध्य प्रदेश में हाईकमान ज्यादा प्रयोग करने की स्थिति में नहीं है.

विधानसभा चुनाव के साथ-साथ कांग्रेस के सामने लोकसभा चुनाव में भी जबरदस्त परफॉर्मेंस करने की चुनौती है. 2018 में चुनाव जीतने के बावजूद 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह हार गई. 29 में से सिर्फ एक सीट कांग्रेस जीत पाई.

तेलंगना में क्षेत्रीय वर्चस्व को तोड़ने में जुटी कांग्रेस-बीजेपी
2013 में तेलंगना बनने के बाद से ही के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व में बीआरएस सत्ता में है. 2019 में कांग्रेस ने यहां 19 सीटें जीती थी, लेकिन 14 विधायक बीआरएस में शामिल हो गए. तेलंगना में लोकसभा की 17 और विधानसभा की 119 सीटें हैं. तेलंगना में जनवरी 2024 में चुनाव होने हैं. 

विधानसभा में बीआरएस के बाद कांग्रेस दूसरे नंबर पर थी, तो लोकसभा में बीजेपी. इसलिए तेलंगना का चुनाव इस बार काफी अहम हो गया है. कर्नाटक हार के बाद दक्षिण में एंट्री के लिए बीजेपी पूरी ताकत तेलंगाना में ही लगाएगी. 

कर्नाटक जीत के बाद कांग्रेस भी तेलंगाना पर ही फोकस करेगी. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को यहां अभूतपूर्व समर्थन मिला था. कांग्रेस में इससे काफी उत्साह भी है. यही वजह है कि कांग्रेस ने बीआरएस से गठबंधन के प्रयास को ठुकरा दिया. 

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस मजबूत पर लोकसभा चुनाव बड़ी चुनौती
लोकसभा से पहले जिन 4 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं, उनमें से सबसे मजबूत स्थिति में कांग्रेस छत्तीसगढ़ में ही है. 2018 के बाद से ही छत्तीसगढ़ बीजेपी में भारी गुटबाजी है. लोकल स्तर पर रमन सिंह के बाद पार्टी कोई बड़ा चेहरा नहीं खड़ा कर पाई है.

हाल ही में बड़े आदिवासी नेता नंद कुमार साय ने बीजेपी छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया था. छत्तीसगढ़ में विधानसभा की 90 और लोकसभा की 11 सीटें हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत दर्ज करने के बावजूद कांग्रेस लोकसभा में फिसड्डी साबित हुई.

कांग्रेस लोकसभा की 11 में से सिर्फ 2 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई. बीजेपी ने 9 पर जीत हासिल कर कमबैक का दावा ठोक दिया था. छत्तीसगढ़ में इस बार विधानसभा के चुनाव लोकसभा के मद्देनजर काफी अहम होने वाले हैं. 

2024 का सेमीफाइनल कांग्रेस के लिए क्यों महत्वपूर्ण?
1. लोकसभा चुनाव से पहले जिन 4 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं, उमें से 3 राज्यों में बीजेपी का सीधा मुकाबला कांग्रेस से हैं. यहां अगर कांग्रेस मजबूती से लड़ पाती है, तो पार्टी 2024 के लिए जनता के बीच मजबूत दावेदारी करने की स्थिति में होगी.

2. कांग्रेस अगर 3 राज्यों में बढ़िया परफॉर्मेंस करने में कामयाब होती है, तो बीजेपी के खिलाफ बन रहे महागठबंधन के केंद्र में आ जाएगी. ममता बनर्जी, नवीन पटनायक और जगन मोहन रेड्डी जैसे नेता 2024 में साथ आ सकते हैं.

2024 का सेमीफाइनल बीजेपी के लिए क्यों महत्वपूर्ण?
1. लोकसभा से पहले जिन 4 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं, वहां लोकसभा की कुल 82 सीटें हैं. बीजेपी के पास इन 82 में से 66 सीटें हैं. अगर बीजेपी का परफॉर्मेंस खराब होती है, तो इसका असर सीटों पर पड़ सकता है.

2. सेमीफाइनल में कांग्रेस अगर बढ़िया परफॉर्मेंस करने में कामयाब हो जाती है, तो बीजेपी के खिलाफ एक मजबूत महागठबंधन बन सकता है. इसका असर बीजेपी को यूपी, बंगाल, बिहार समेत कई राज्यों की 180 सीटों पर सीधा हो सकता है.

बीजेपी बदल सकती है रणनीति, कांग्रेस ने तैनात किए रणनीतिकार
2024 से पहले होने वाले सेमीफाइनल में बीजेपी अपनी रणनीति में बदलाव कर सकती है. कर्नाटक में लोकल लेवल पर बड़े नेताओं का न होना पार्टी के लिए नुकसानदायक रहा. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि भी विधानसभा के चुनाव हार गए.

बीजेपी को सेंट्रल कर्नाटक और बेंगलुरु जोन में भी भारी नुकसान हुआ. ऐसे में बीजेपी आगामी चुनावों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के साथ-साथ लोकल लीडरों को भी चुनाव में आगे करने की रणनीति पर काम कर सकती है.

राजस्थान और मध्य प्रदेश में बीजेपी के पास मजबूत स्थानीय नेता भी हैं. तेलंगाना में भी पार्टी पुराने जनाधार वाले नेताओं को वापस लाने की कोशिशों में जुट गई है. इधर, कर्नाटक जीत के बाद कांग्रेस ने भी 4 राज्यों पर फोकस करना शुरू कर दिया है.

कांग्रेस के लिए कर्नाटक में रणनीति बनाने वाले सुनील कानुगोलू जल्द ही मध्य प्रदेश और तेलंगाना में मोर्चा संभाल सकते हैं. दोनों राज्यों में कानुगोलू को रणनीति बनाने का जिम्मा मिला हुआ है. 

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