उत्तर प्रदेश आज अगर एक देश होता तो यह आबादी के लिहाज से दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा देश होता. आजादी के बाद से यूपी राष्ट्रीय राजनीति एक महत्वपूर्ण स्थान रखता आया है, और देश में सबसे ज्यादा सांसद यहीं से भेजे जाते रहे हैं. देश को सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री देने का श्रेय भी उत्तर प्रदेश को ही जाता है और बड़े राजघराने भी यही से हैं. उसके बावजूद यह राज्य विकास के पायदान पर बाकी राज्यों की तुलना में लगातार पिछड़ता चला गया.
राष्ट्रीय राजनीति में इतनी अहमियत रखने वाले सबसे ताकतर प्रदेश कैसे समय के साथ विकास के उस पायदान पर नहीं चढ़ सका, इसकी तस्वीर बयां कर रही है किताब ‘फ्रॉम लखऊ टू लुटियंस’. वरिष्ठ पत्रकार और एबीपी न्यूज़ के नेशनल एफेयर्स एक्सपर्ट अभिज्ञान प्रकाश के कलम से लिखी गई इस किताब में यह बताया गया है कि वो राज्य जहां से भारतीय राजनीति के बड़े चेहरे आए, उसके बावजूद इस प्रदेश की ये दुर्दशा क्यों हुई. कैसे यहां जाति, सांप्रदायिकता और अपराध इसके विकास में अड़चन बने.
*ताकतवर उत्तर प्रदेश क्यों पिछड़ा?*
कई ऑवर्ड्स से सम्मानित, टेलीविजन की दुनिया में चर्चित चेहरा और वरिष्ठ पत्रकार अभिज्ञान प्रकाश अपनी इस किताब ‘फ्रॉम लखऊ टू लुटियंस’ के बारे में बताते हुए कहते हैं कि उन्होंने उत्तर प्रदेश को एक नए परिवेश में पेश करने की कोशिश की है, ताकि लोग यह समझ सकें कि क्यों इस देश का सबसे ताकतवर प्रदेश जिसने इतने प्रधानमंत्री दिए, जहां से कई बड़े राजनीतिक वंशज हैं, इन सबके बावजूद यूपी में वो विकास नहीं हो पाया, जितनी क्षमता थी.
अभिज्ञान प्रकाश के मुताबिक, पाठकों के लिए यह समझना बहुत जरूरी है कि आज भी यूपी के लिए बड़े-बड़े मुद्दे क्या हैं जो बदलने चाहिए थे, क्योंकि इसका सीधा असर देश पर पड़ता है. अभिज्ञान प्रकाश बताते है कि दिल्ली के रास्ते यूपी से होकर गुजरते हैं, इसलिए इस राज्य के बारे में जानना लोगों को लिए जरूरी है. इसके अलावा, आगे क्या बदलाव हो सकता है, चाहे वो जाति की बात हो, सांप्रदायिकता की बात हो या फिर अपराध की, इस बारे में भी इस किताब में विस्तार से वर्णन है.
*शिक्षा, रोजगार क्यों आज भी हैं मुद्दे*
अभिज्ञान प्रकाश बताते हैं कि यूपी के अंदर सामाजिक और राजनीतिक माहौल में गिरावट की सबसे बड़ी वजह है सर्वशिक्षा की कमी. उनके मुताबिक, इतने बड़े राज्य में ये कमी अब तक पूरी हो जानी चाहिए थी. इसके अलावा, रोजगार के मौके और मिलने चाहिए और बढ़ने चाहिए. तभी पुरानी कुरीतियों को बदला जा सकेगा. इस बारे में चर्चा तो हो रही है लेकिन इनके रास्ते वहां का पॉलिटिकल सिस्टम नहीं दे पाया है. जब ये होगा तभी यहां का सामाजिक और राजनीतिक माहौल बदला जा सकेगा.
अभिज्ञान प्रकाश की ये किताब 10 फरवरी से पाठकों के लिए उपलब्ध रहेगी और आप आगे दिए गए लिंक से ऑर्डर भी कर सकते हैं.- From Lucknow To Lutyens