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फिर गरमाया सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामला, बॉम्बे HC के पूर्व जस्टिस ने जांच पर उठाए सवाल

पूर्व जस्टिस ने कहा, ''बॉम्बे हाईकोर्ट के कुछ आदेशों में भी यह लिखा हुआ है कि प्रथम दृष्टया तो केस है लेकिन पांच-पांच साल से कस्टडी में हैं. तो इस आधार पर जमानत दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने भी जो जमानत दी उसमें यही कहा कि जब केस चल नहीं रहा है तो प्री केस डिटेन्शन में रखना सही नहीं है.''

नई दिल्ली: गुजरात के चर्चित सोहराबुद्दीन मामले में एक फिर गरमा गया है. बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस अभय ठिप्से ने सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस की जांच को लेकर सवाल उठाए हैं. जस्टिस ठिप्से ने कहा है कि जांच में कमी रही. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को लेकर पूछे गए सवाल पर पूर्व जस्टिस ठिप्से ने कहा कि जिन आरोपों पर पुलिस वाले फंसे, ठीक वैसे ही आरोपों में अमित शाह कैसे बरी हुए? एक ही केस में दो तरह की बातें नहीं हो सकती.

पूर्व जस्टिस अभय ठिप्से ने कहा, ''मुझे ऐसा लगा कि जैसे नॉर्मल कोर्ट में कोई ट्रायल चलती है, वैसे ये ट्रायल चल नहीं रही है. बहुत सारी बातें ऐसी हुईं जो आम तौर पर बाकी ट्रायल में नहीं होती हैं. कई जो आरोपी हैं उनको कई साल तक जमानत नहीं मिली थी, अलग अलग कोर्ट ने जमानत अर्जियां खारिज कीं. इसका मतलब है कि जब किसी के खिलाफ केस मजबूत होता है तभी जमानत अर्जी खारिज होती है. पांच सात साल बाद कुछ आरोपियों को जमानत मिली. सुप्रीम कोर्ट ने कुछ लोगों को जमानत तो दी थी लेकिन ये किसी ने नहीं कहा था कि उनके खिलाफ कोई केस नहीं हैं. अगर किसी को पहले जमानत मिलने में दिक्कत थी तो पांच साल बाद ये कैसे कह सकते हैं कि इनके खिलाफ कोई केस ही नहीं था.''

पूर्व जस्टिस ने कहा, ''बॉम्बे हाईकोर्ट के कुछ आदेशों में भी यह लिखा हुआ है कि प्रथम दृष्टया तो केस है लेकिन पांच-पांच साल से कस्टडी में हैं. तो इस आधार पर जमानत दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने भी जो जमानत दी उसमें यही कहा कि जब केस चल नहीं रहा है तो प्री केस डिटेन्शन में रखना सही नहीं है.''

अमित शाह के सवाल पर क्या बोले पूर्व जस्टिस?

इसके साथ ही पूर्व जस्टिस ने कहा, ''जिन लोगों के खिलाफ केस चल रहा है उनके खिलाफ भी वही सबूत हैं जो बरी किए गए लोगों के खिलाफ हैं. एक केस में दो तरह की बातें नहीं हो सकती. दोनों बातों को जोड़कर अगर कहा जाए कि कोई केस ही नहीं है तो यह गलत है.''

पूर्व जस्टिस ठिप्से ने कहा, ''हाईकोर्ट के पास पॉवर है, जो भी रिवीजन फाइल की गई हैं उनकी जांच करते वक्त अगर हाईकोर्ट को लगता है कि कुछ गलत हैं तो पहले के मामलों में यह देखना चाहिए कि वो सही हैं या नहीं.''

क्या है सोहराबुद्दीन केस?

26 नवंबर 2005 को अहमदाबाद में सोहराबुद्दीन शेख का एनकाउंटर किया गया था. कुल 38 आरोपी थे जिनमें से 15 बरी किए जा चुके हैं. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी इसमें आरोपी रह चुके हैं. अमित शाह को दिसंबर 2014 में पर्याप्त सबूत नहीं होने की वजह से बरी कर दिया गया था. कौन हैं रिटायर्ड जस्टिस अभय ठिप्से?

जज ठिप्से इस केस के चार आरोपियों गुजरात एटीएस के पूर्व डीआईजी डी जी वंजारा, गुजरात एटीएस के पूर्व डीएसपी एम परमार, अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के पूर्व डीएसपी नरेंद्र अमीन और गुजरात पुलिस के सब इंस्पेक्टर बी आर चौबे की जमानत अर्जी की सुनवाई कर चुके हैं. नरेंद्र अमीन को 2013 और डी जी वंजारा को 2014 में जमानत दी थी. जस्टिस ठिप्से पिछले साल ही इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज के पद से रिटायर हुए हैं.

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