संस्कृत भले ही भारत में कमजोर पड़ी हो, लेकिन दुनिया में इसकी चमक फीकी नहीं पड़ी है बल्कि इसका डंका दुनिया भर में बज रहा है. पहले ज्यादातर विदेशी सिर्फ संस्कृत भाषा सीखने के लिए आते थे और कुछ सर्टिफिकेट कोर्स कर चले जाते थे लेकिन अब यहां के संस्कृत गुरुकुलों में पीजी और पीएचडी भी करने लगे हैं. मंगलवार को स्पेन की एक संस्कृत विदुषी को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आचार्य में गोल्ड मेडल प्रदान किया. स्पेन की मारिया संपूर्णानद संस्कृत विश्वविद्यालय से आचार्य कर रही रही थीं. आचार्य में उन्हें यह गोल्ड मेडल दिया गया. आचार्य पीजी के बराबर होता है.


पूर्व मीमांसा में पीजी
मारिया सबसे पहले संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में सर्टिफिकेट कोर्स में दाखिला लिया. इसके बाद संस्कृत को पढ़ने और समझने में उनकी रुचि बढ़ती चली गई. सर्टिफिकेट कोर्स करने के बाद उन्होंने शास्त्री में दाखिला लिया और अच्छे अंकों से पास हो गईं. पीजी यानी आचार्य में मारिया ने पूर्व मीमांसा को चुना. पूर्व मीमांसा संस्कृत साहित्य में कठिन विषय माना जाता है. मारिया ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने गुरुजनों को दिया है. वे कहती है कि संस्कृत सीखने के लिए वाराणसी आई थी लेकिन इसके बाद उन्होंने कोर्स भी कर लिया. ग्रेजुएशन करने के बाद मारिया ने पूर्व मीमांसा में आचार्य परीक्षा पास किया. गोल्ड मेडल लेने के बाद मारिया ने कहा, मैं बहुत खुश हूं कि मुझे यह गोल्ड मेडल यूपी के राज्यपाल के हाथों मिला है


अब पीएचडी करना चाहती हैं मारिया
मारिया 8 साल पहले वाराणसी आई थी. वह कल्चरल एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत भारत आईं. कुछ अन्य विदेशी छात्रों के साथ वे वाराणसी के एक गुरुकुल में रहती हैं. यहीं उन्होंने हिन्दी और संस्कृत भाषाएं सीखीं और अब संस्कृत में ही आचार्य बन गई. मारिया अब संस्कृत में पीएचडी करना चाहती हैं और फिर अपने देश में संस्कृत पढ़ाना चाहती हैं.


नौकरी छोड़कर संस्कृत सीखने आई थीं
मारिया को संस्कृत से इतना लगाव हो गया कि वह अपने देश में अच्छी खासी नौकरी छोड़कर काशी आ गईं. मारिया वार्सिलोना से सोशल वर्क में ग्रेजुएशन किया है. मारिया कहती हैं, उनका मन आध्यात्म और दर्शन में अधिक लगने लगा. उनके मन में जो प्रश्न उठते, उसे वह खोजने की कोशिश करतीं. इसी दौरान उसे विदेश में पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप मिली और वह वाराणसी आ गईं.