वाराणसी: टेररिस्ट आर्गेनाइजेशन लश्कर-ए-तैयबा ने वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर सहित यूपी के कई धार्मिक स्थलों को बम से उड़ाने की धमकी दी है. इस धमकी के बाद वाराणसी सहित यूपी के कई जिलों में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है. पिछले दिनों एक धमकी भरा लेटर गुरुदासपुर के डीआरएम को भेजा गया था. इसके बाद आईबी ने दो जून को अलर्ट जारी करते हुए यूपी के डीजीपी को पत्र लिखकर सूबे की पुलिस को अलर्ट पर रहने के लिए कहा था.
जांच में जुटी हुई है इंटेलिजेंस एजेंसीज
लेटर लश्कर-ए-तैयबा के जम्मू और कश्मीर के एरिया कमांडर मौलाना अब्बू शेख के नाम से लिखा गया था. इस में धमकी दी गई थी कि काशी विश्वनाथ मंदिर, मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान सहित कई प्रमुख रेलवे स्टेशनों को 6, 8 और 10 जून को ब्लास्ट कर उड़ा दिया जाएगा. इस लेटर के मिलने के बाद आईबी ने डीजीपी और यूपी की होम मिनिस्ट्री को इनपुट दिए थे. वहीं इंटेलिजेंस एजेंसीज इस लेटर की सत्यता की जांच में जुटी हुई हैं.
प्रमुख मंदिरों और रेलवे स्टेशनों की सुरक्षा बढ़ाए जाने के निर्देश
धमकी की बात सामने आने के बाद सूबे के एडीजी लॉ एंड आर्डर आनंद कुमार ने सूबे के सभी प्रमुख मंदिरों और रेलवे स्टेशनों की सुरक्षा बढ़ाए जाने के निर्देश दिए हैं. इस बारे में वाराणसी के एसएसपी राम कृष्ण भारद्वाज ने बताया कि सिक्यूरिटी और इंटेलिजेंस एजेंसीज से मिले इनपुट पर जिले की पुलिस को अलर्ट पर रहने को कहा गया है. सभी थानों के पुलिसकर्मियों को महत्वपूर्ण जगहों की निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं. इसके साथ ही लोकल इंटेलिजेंस यूनिट को भी अलर्ट पर रखा गया है ताकि ऐसी किसी भी वारदात को अंजाम देने से पहले उसको रोका जा सके.
7 दिसंबर 2010 को शीतला घाट पर हुआ था जोरदार बम धमाका
बता दें कि प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र बनने से पहले भी काशी हमेशा से आतंकियों के निशाने पर रही है. यहां आखिरी बार बम ब्लास्ट शीतला घाट पर हुआ था. 7 दिसंबर 2010 को शीतला घाट पर जोरदार बम धमाके में दो लोगों की मौत हुई थी और 35 लोग घायल हो गए थे. सबसे पहले 23 फरवरी 2005 को यहां के सबसे भीड़-भाद वाले दशाश्मेध घाट पर बम ब्लास्ट में सात लोगों की मौके पर ही मौत हुई थी. इस ब्लास्ट में 16 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे.
7 मार्च 2006 को संकट मोचन मंदिर और कैंट रेलवे स्टेशन पर भी हुआ था ब्लास्ट
इसके पहले 7 मार्च 2006 को संकट मोचन मंदिर और कैंट रेलवे स्टेशन पर बम ब्लास्ट किया गया. उस समय संकट मोचन मंदिर में एक शादी का कार्यक्रम भी चल रहा था. अचानक वेद मंत्रों और हनुमान चालीसा के पाठ के बीच तेज बम धमाका हुआ. देखते-देखते मंदिर के प्रांगण में लाशों का ढेर लग गया.
जब तक पुलिस संकट मोचन मंदिर के धमाके पर कुछ रिस्पांस करती कैंट स्टेशन के टूरिस्ट रूम के बगल में धमाके की खबर आई. उसी दौरान गोदौलिया चौराहे पर कई ज़िंदा बम बरामद हुए. उस दिन हुए दोनों धमाकों में 27 लोगों की मौत और डेढ़ सौ से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे. इसके बाद आतंकियों ने 23 नवम्बर 2007 को कचहरी को सीरियल ब्लास्ट का निशाना बनाया था. उस दिन लखनऊ सहित वाराणसी और फैजाबाद में 25 मिनट के अंतराल में सीरियल ब्लास्ट से यूपी दहल गया था. तीनों शहरों ब्लास्ट से कुल 15 लोगों की मौत हुई थी जबकि 60 से अधिक लोग लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे.