लखनऊ: पैसा लेकर कांस्टेबल बनाने की गारंटी देने वाले 19 जालसाज उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के हत्थे चढ़ गये हैं. उनके पास से हाईटेक उपकरण बरामद हुए हैं. दो दिवसीय परीक्षा उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती बोर्ड करा रहा है. कांस्टेबल के 41 हजार 520 पदों को भरने के लिए परीक्षा 56 जिलों के 860 भर्ती केन्द्रों पर यह संचालित हो रही है.
एसटीएफ के महानिरीक्षक अमिताभ यश ने बताया कि गोरखपुर से 11 और इलाहाबाद से पांच लोग पकड़े गये हैं. इलाहाबाद के एसएसपी नितिन तिवारी ने जानकारी दी कि इलाहाबाद में तीन और लोग गिरफ्तार किए गए हैं. उनके पास से जासूसी माइक (स्पाई माइक) और कान में लगाया जाने वाला एक छोटा उपकरण बरामद किया गया है.
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नकल माफिया पर लगाम कसने के लिए सरकार एसटीएफ और स्थानीय खुफिया एजेंसियों की मदद से यूपी बोर्ड की परीक्षाएं सफलतापूर्वक कराने में सफल रही थी. पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि गोरखपुर से अनिल गिरि पकड़ा गया है. गिरि ने कबूला कि उसने आवेदकों से पैसे लिए हैं. उसने उन्हें साल्वर (प्रश्नपत्र हल करने वाला) उपलब्ध कराने की गारंटी दी.
प्रवक्ता के मुताबिक गिरफ्तार आनंद यादव बीएससी और एलएलबी पास है. वह एक सॉल्वर है. अमरनाथ यादव नामक शख्स भी पकड़ा गया है. वह खुद आवेदक है. अन्य आवेदकों को गिरि के पास वही लाता था. उनके पास से लगभग चार लाख रूपये और दर्जन भर आवेदकों के पहचान पत्र मिले हैं.
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उन्होंने बताया कि एसटीएफ इस नकल रैकेट से जुडे अन्य लोगों की तलाश में छापेमारी कर रही है. एसटीएफ आईजी ने बताया कि इलाहाबाद से इरफान अहमद, इमरान, कौशल और सतेन्द्र कुमार सिंह को भी गिरफ्तार किया गया है. बलिया का रहने वाला सतेन्द्र इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अधिवक्ता है.
यश ने बताया कि पटना का पवन कुमार सिंह सॉल्वर है. वह भी पकड़ा गया है. उन्होंने बताया कि सॉल्वर आमतौर पर मेधावी छात्र होते हैं जो परीक्षा केन्द्र में फर्जी दस्तावेज और फोटो लेकर जाते हैं और किसी दूसरे आवेदक का पर्चा देकर चले आते हैं.
यश ने बताया कि पूर्व में भी परीक्षा के दौरान ब्लू टूथ उपकरण के इस्तेमाल की घटनाएं हो चुकी हैं. प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि सोशल मीडिया पर चल रही गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिये गये हैं. उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर अफवाह थी कि मौजूदा परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक हो चुका है लेकिन बाद में पता चला कि जिस प्रश्नपत्र का जिक्र किया जा रहा था, वह फर्जी था.