लखनऊ: उन्नाव गैंगरेप मामले में पीड़िता के पिता की जेल में मौत मामले में प्रदेश सरकार ने उन्नाव के उमाशंकर दीक्षित जिला पुरुष चिकित्सालय में तैनात मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) एवं आकस्मिक चिकित्साधिकारी (कैजुएल्टी अफसर) को निलंबित कर दिया.
सरकार ने तीन चिकित्सकों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. इस संबंध में चिकित्सा एवं स्वास्थ विभाग की ओर से आवश्यक आदेश जारी कर दिए गए हैं.
प्रमुख सचिव (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) प्रशांत त्रिवेदी ने बताया कि राज्य सरकार ने उन्नाव में विचाराधीन बंदी पप्पू उर्फ सुरेंद्र सिंह की 'उमाशंकर दीक्षित जिला पुरुष चिकित्सालय' उन्नाव में उपचार के दौरान हुई मृत्यु के संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति की जांच रिपोर्ट और जिलाधिकारी उन्नाव की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर दोषी पाए गए मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. डी.के. द्विवेदी एवं आकस्मिक चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रशांत उपाध्याय को पदीय दायित्वों एवं कर्तव्यों के प्रति घोर उदासीनता एवं लापरवाही बरतने के आरोप में तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है.
उन्होंने बताया कि निलंबन अवधि में डॉ. द्विवेदी एवं डॉ. उपाध्याय को महानिदेशक (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं) के कार्यालय से संबद्ध किया गया है.
त्रिवेदी ने बताया कि सर्जन डॉ जी.पी. सचान, डॉ. मनोज कुमार आर्थो सर्जन, डॉ. गौरव अग्रवाल अपने दायित्वों एवं कर्तव्यों के प्रति घोर उदासीनता एवं लापरवाही बरतने के दोषी हैं. इन लोगों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई शुरू की गई है. विभागीय कार्यवाही में निदेशक (प्रशासन) चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं उप्र लखनऊ को जांच अधिकारी नामित किया गया है.