नई दिल्ली/लखनऊ: 2019 लोकसभा चुनाव के लिए महागठबंधन बनाने में जुटी कांग्रेस को बड़ा झटका लगता दिख रहा है. सूत्रों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में बीजेपी से मुकाबले के लिए समाजवादी पार्टी (एसपी) और बहुजन समजा पार्टी (बीएसपी) ने गठबंधन कर लिया है और सीटों पर भी बात बन चुकी है. इस गठबंधन में अजित सिंह की पार्टी आरएलडी भी शामिल है. सूत्रों की मानें तो मायावती की पार्टी बीएसपी 38, अखिलेश की समाजवादी पार्टी 37 और आरएलडी 3 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. दो सीटें रायबरेली और अमेठी में गठबंधन अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगा. यहां से सोनिया गांधी और राहुल गांधी चुनाव लड़ते रहे हैं. उत्तर प्रदेश में कुल 80 लोकसभा सीटें हैं.
मायावती और अखिलेश की कांग्रेस से पिछले कुछ दिनों में नाराजगी बढ़ी है. पांच राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में हुए विधानसभा चुनाव में तीनों पार्टियां अलग-अलग होकर चुनाव लड़ी थी. चुनाव बाद मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में मायावती ने कांग्रेस को समर्थन देने का एलान किया था. अखिलेश ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस की तरफ हाथ बढ़ाया.
हालांकि अखिलेश और मायावती दोनों ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हुए कांग्रेसी मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी. इन तीनों समारोह में विपक्षी दलों के कई नेता शामिल हुए थे. दोनों कर्नाटक में मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण में शामिल हुए थे.
अखिलेश राहुल गांधी की प्रधानमंत्री उम्मीदवारी को भी खारिज कर चुके हैं. पिछले दिनों टीडीपी प्रमुख और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की पहल पर हुई बैठक में भी मायावती और अखिलेश शामिल नहीं हुए.
राहुल की पीएम उम्मीदवारी से अखिलेश का 'इनकार', कहा- जरूरी नहीं गठबंधन की राय स्टालिन जैसी हो
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं होना विपक्षी एकता पर बड़ा सवालिया निशान लगाता है. सूबे में अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे अधिक लोकसभा सीटें हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में बीजेपी ने समाजवादी पार्टी को पांच, कांग्रेस को दो सीटों पर समेट दी थी. वहीं बीएसपी खाता भी खोलने में नाकाम रही थी.
खिसकते जनाधार के डर से बीएसपी और समाजवादी पार्टी ने साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया. गोरखपुर, कैराना, फूलपुर लोकसभा उपचुनाव और नूरपुर विधानसभा उपचुनाव में दोनों ही पार्टी को शानदार सफलता मिली. सत्तारूढ़ बीजेपी के लिए यह गठजोड़ बड़ा झटका साबित हुआ.