कुशीनगर: बौद्ध धर्म के प्रवर्तक महात्मा बुद्ध की 2562वीं जयंती बुध पूर्णिमा के अवसर पर उनके परिनिर्वाण स्थल कुशीनगर में मनाई गई. कार्यक्रम का आयोजन कुशीनगर भिक्षु संघ और बुद्ध जयंती आयोजन समिति ने किया था. इस अवसर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु और देश-विदेश से आए बौद्ध भिक्षु मौजूद थे. इस अवसर पर विभिन्न वक्ताओं ने बुद्ध के उपदेशों और उनके पंचशील सिद्धांतों को याद करते हुए उनकी आज के दौर में प्रासंगिकता पर रोशनी डाली.


भारत में म्यांमार के राजदूत रहे विशिष्ट अतिथि, कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य थे मुख्य अतिथि


कार्यक्रम में भारत में म्यांमार के राजदूत यू आंग किन सू विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित थे. साथ ही बतौर मुख्य अतिथि सूबे के श्रम और सेवायोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, सांसद कुशीनगर राजेश पाण्डेय, जापान, म्यांमार और वियतनाम से कार्यक्रम में शिरकत करने आए बौद्ध भिक्षुओं के साथ ही साथ भारत के विभिन्न प्रान्तों से आए बौद्ध धर्म के भिक्षु और अनुयायी भी मौजूद थे.


बुध पूर्णिमा का बौद्ध धर्म में है विशेष महत्व, जानिये क्यों


बुद्ध पूर्णिमा का बौद्ध धर्म के अनुयायियों में विशिष्ट महत्व है. बौद्ध धर्म के प्रवर्तक महात्मा बुद्ध का जन्म बुद्ध पूर्णिमा को हुआ, उन्हें गया में ज्ञान की प्राप्ति बुद्ध पूर्णिमा को हुई साथ ही महात्मा बुद्ध के पार्थिव शरीर का परिनिर्वाण कुशीनगर में बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही हुआ था. यही वजह है कि 52 देशों में फैले बौद्ध धर्म के अनुयायियों में बुद्ध पूर्णिमा का दिन बहुत विशिष्ट माना जाता है.


बुद्ध का दर्शन व्यवहारिक और वैज्ञानिक था, आडम्बर के सख्त विरोधी थे


मुख्य अतिथि स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि महात्मा बुद्ध का दर्शन अत्यंत ही व्यवहारिक और वैज्ञानिक था. वे ढोंग-आडम्बर के सख्त खिलाफ थे. यही कारण है कि विश्व के 52 देशों में बौद्ध धर्म फैलकर विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है. विशिष्ट अतिथि यू आंग किन सू ने कहा कि भारत विशिष्ट है क्योंकि यह महात्मा बुद्ध की कर्मस्थली है. भारत ने पूरे विश्व को ज्ञान का प्रकाश दिया है.


वहीं सांसद कुशीनगर ने बुद्ध के पंचशील सिद्धांतों की आज के दौर में प्रासंगिकता पर बोलते हुए कहा कि हमें अहिंसा के मार्ग पर चलने की आवश्यकता है. इस अवसर पर धम्म महासभा के वक्ताओं ने महात्मा बुद्ध के जीवन और उनके कर्मों के बारे में भी श्रोताओं को बताया.