कानपुर: इलाहबाद में होने वाले कुम्भ मेले से पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने तीन महीने तक सभी टेनरियो (चमड़ा उद्धोग) को बंद करने का फरमान सुना चुकी है. इन टेनरियों 15 दिसंबर 2018 से 15 मार्च 2019 तक बंद रखने के आदेश है. तीन महीने तक टेनरी बंद रहने से चमड़ा उद्धोग पूरी तरह से चौपट होने के अासार है. इस बंदी की वजह से टेनरी संचालकों ने 2500 करोड़ का नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है. वहीं उन लोगों को लगभग 8 लाख लोगों के  बेरोजगार होने का डर भी सता रहा है. बता दें कि कानपुर से बड़ी मात्रा में चीन, जापान, कोरिया और यूरोपीय देशों में चमड़ा एक्सपोर्ट होता है.


टेनरी संचालक अबरार अहमद के मुताबिक कानपुर में चमड़े से बनने वाले प्रोडक्ट की डिमांड सबसे अधिक विदेशो में है. उनका कहना है कि इस बंदी का सीधा फायदा पाकिस्तान और बांग्लादेश को होने वाला है. तीन महीने की बंदी की वजह से टेनरी संचालकों की बकाया रकम तक फंस जाएगी. इसके साथ ही इस बात भी गारंटी नहीं है कि विदेशों से उन्हें चमड़े से बनी सामग्री के ऑर्डर मिलेंगे भी या नहीं.


अबरार अहमद के मुताबिक कानपुर का चमड़ा पूरे विश्व में प्रसिद्ध है, विदेशों से हमें बड़े-बड़े ऑर्डर मिलते हैं. जिन्हें हम बनाकर उन देशों तक पहुंचाते हैं. चीन, जापान, कोरिया यूरोपीय देश हमारे कानपुर के चमड़े से बड़े जूते, सैंडल, बेल्ट, पर्स, ग्लब्स, हैट, हॉर्स राइडिंग बेल्ट आदि सामग्री यहीं से बनकर जाती है.



उन्होंने कहा कि कानपुर से चमड़ा जाना तो बंद हो जाएगा लेकिन विदेशों में इसकी डिमांड नही बंद होगी. तीन महीने तक टेनरी बंद रहेगी तो जो देश हमें ऑर्डर देते हैं वो पाकिस्तान और बांग्लादेश को से संपर्क कर लेंगे. हमारी बड़ी पेमेंट भी फंस जाएगी, हो सकता है कानपुर के चमड़ा लेना बंद भी कर दें. सरकार के इस फैसले से हमें बहुत बड़ा नुकसान होने वाला है.


बता दें कानपुर की पहचान उद्योग नगरी के नाम से होती है, चमड़े की वजह से कानपुर का नाम पूरी दुनिया में मशहूर है. कानपुर में 400 टेनरी हैं जिसमें से 378 टेनरी गीले चमड़े का काम करती है और 13 टेनरी सूखे चमड़े का काम करती है. मौजूदा समय में 264 टेनरी ही मात्र चल रही है.


टेनरी एसोसियेशन कानपुर के पदाधिकारी हाजी इक़बाल सोलंकी के मुताबिक बीते पांच साल में चमड़ा उद्योग लगभग 70 फीसदी ख़त्म हो चुका है. यदि तीन माह तक टेनरी बंद हुयी तो पूरी चमड़ा उद्योग को लगभग 2500 करोड़ का नुकसान होने वाला है. इसके साथ ही सिर्फ कानपुर में ही लगभग 8 लाख लोग बेरोजगार हो जायेंगे. तीन महीने में तो कर्मचारी भुखमरी की कगार में आ जायेगे. अगर ऐसा हुआ तो क्राइम बढ़ जायेगा.

टेनरी में काम करने वाले कर्मचारी मोहम्मद आमिर के मुताबिक यह कैसी हुक्मरान है जिसे इस बात की जरा भी फिक्र नहीं है कि तीन महीने तक टेनरी बंद रहेगी तो उसमे काम करने वाले मजदूर और कर्मचारी कैसे अपना परिवार पालेंगे. हमारे बच्चे और परिवार तो भुखमरी की कगार पर आ जायेंगे. कैसे बच्चों की स्कूल की फीस जमा होगी आखिर हम लोग तीन महीने तक क्या करेंगे. सरकार को हमारी फिक्र तो करनी चाहिए थी. इससे पहले की सरकारों के वक्त में भी कुम्भ मेले का आयोजन होता था उस दौरान की सरकारें तीन से चार दिन तक टेनरी बंद करते थे.

मई 2018 में प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड ने टेनरियो को क्लीन चीट दी थी. बोर्ड ने रिपोर्ट में कहा था कि नाले में कोई भी औद्योगिक प्रवाह नहीं मिला है, नाले से घरेलु कचरा पास हो रहा है . इसके बाद मई में ही जल निगम की एक गोपनीय जांच में पता चला था कि टेनरी संचालक टेनरी में लगे प्राइमरी ट्रीटमेंट प्लांट में प्रदूषित जल डालने की बजाये घरेलु सीवर नलों में डाला जा रहा है.



सरकार ने कानपुर के जाजमऊ से टेनरी शिफ्ट करने की भी योजना बनायीं है. रमईपुर के सेनपूरब पारा में 800 करोड़ रुपये से लेदर क्लस्टर बनाने की योजना है. इस योजना को सफल बनाने के लिए यूपीएसआईडीसी ने 450 एकड़ जमीन चिन्हित भी कर चुकी है. इस जमीन में 300 करोड़ रुपये के सिर्फ ट्रीटमेंट प्लांट में खर्च किये जायेगे. 300 करोड़ रुपये अधिग्रहण में खर्च होंगे इसके साथ ही 100 करोड़ रुपये सड़क, सीवर लाइन और ड्रेनेज में खर्च होंगे.


स्माल टेनर्स एसोशियेशन के अध्यक्ष बाबु भाई के मुताबिक बरसों से लगी मशीने शिफ्टिंग के बाद किसी से काम की नहीं रहेगी उन्हें स्क्रैब के रूप में बेचना पड़ेगा. रमईपुर में 11 हजार रूपये मीटर के भाव में जमीन खरीदना किसी भी टेनरी संचालक के बस की बात नहीं है. नई मशीनें खरीदना, नई ईमारत बनाना इससे उत्पादन की लागत लगभग 22 फीसदी बढ़ जाएगी. टेनरी संचालको का यहां तक कहना है कि अगर यही हाल रहा तो उत्तर प्रदेश से बाहर प्लांट लगा लेंगे लेकिन शिफ्ट नहीं करेंगे.