मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन ने दिया बयान-चमकी बुखार से पिछले 13 दिन में 47 बच्चों की गई जान
बिहार के मुजफ्फरपुर समेत अन्य जिलों में चमकी बुखार का कहर जारी है. अब तक इस बुखार से 47 बच्चों की मौत हो चुकी है.
![मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन ने दिया बयान-चमकी बुखार से पिछले 13 दिन में 47 बच्चों की गई जान 47 kids dead in Bihar Muzaffarpur this month state government says low blood sugar is the reason मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन ने दिया बयान-चमकी बुखार से पिछले 13 दिन में 47 बच्चों की गई जान](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2019/06/13073615/ani.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
पटना: बिहार में चमकी बुखार से बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. जून महीने में अब तक 47 बच्चों की मौत चमकी बुखार की वजह से हो चुकी है. इस बात की जानकारी मुजफ्फरपुर सिविल सर्जन डॉ. शैलेश प्रसाद सिंह ने दिया है. बता दें कि मुजफ्फरपुर और इसके आस-पास के इलाकों में भयंकर गर्मी और उमस की वजह से बच्चे एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम यानी कि चमकी बुखार के शिकार हो गए हैं. हालांकि राज्य सरकार मौत का कारण दिमागी बुखार नहीं बता रही है. सरकार का कहना है कि अधिकतर मौत का कारण हाईपोग्लाइसीमिया है, यानी लो ब्लड शुगर. वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि हाईपोग्लाइसीमिया इस बुखार का ही एक भाग है.
Dr. Shailesh Prasad Singh, Civil Surgeon, Muzaffarpur: Death toll rises to 47 due to acute encephalitis syndrome (AES). #Bihar pic.twitter.com/XsboACSFAN
— ANI (@ANI) June 13, 2019
राज्य और केंद्र सरकार परेशान
लगातार बच्चों की जान जाने से राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों परेशान है. केंद्र सरकार की सात सदस्यीय टीम द्वारा जल्द ही अस्पतालों का दौरा करने और दिशानिर्देशों का सुझाव देने की संभावना है. वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्थिति पर चिंता जाहिर की है और स्वास्थ्य विभाग को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र और अस्पताल मामलों से निपटने के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन करें.
वहीं बिहार के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव संजय कुमार ने कहा, "हमें केंद्रीय टीम से कुछ दिशानिर्देश मिलने की उम्मीद है. अधिकांश मौतें हाइपोग्लाइसीमिया के कारण हुईं. इनमें से कुछ मरीज सीतामढ़ी, शिवहर, वैशाली और पूर्वी चंपारण जिलों से हैं."
जनवरी से अबतक 172 बच्चे अस्पताल में भर्ती, 47 की मौत और 41 को छुट्टी
जनवरी से लेकर अभी तक जिले के दो अस्पतालों में एईएस से पीड़ित 172 बच्चे भर्ती हुए. जिनमें से 157 एक जून के बाद भर्ती हुए और जो 47 मौत हुईं वो सभी जून महीने में हुई हैं. यहां के श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) में जनवरी से अब तक 117 बच्चे भर्ती हुए, जिनमें से 102 जून में भर्ती हुए थे. इन बच्चों में से 36 की मौत हो गई है.
वहीं केजरीवाल मातृ सदन (अस्पताल) में जून के बाद से इस बीमारी के 55 मामले आए, जिनमें से सात बच्चों की मौत हो गई. अभी इस अस्पताल में चार और एसकेएमसीएच अस्पताल में छह बच्चों की हालत गंभीर बनी हुई है. वहीं इलाज के बाद अस्पताल ने 41 बच्चों को छुट्टी दे दी है.
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में एक नर्स का कहना है कि एईएस में आने वाले अधिकांश बच्चे हाइपोग्लाइसीमिया (लो ब्लड शुगर) और कुछ हाइपरग्लाइसेमिया (हाई ब्लड शुगर) से पीड़ित हैं. डॉक्टरों का कहना है कि पीड़ित बच्चों में अधिकतर गरीब परिवारों से हैं और कुपोषित हैं. फर्जी डॉक्टरों से इलाज कराने पर मामला और भी खराब हो जाता है. इसलिए जब भी बच्चा ठीक से खाए पीए ना तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.
क्या है चमकी बुखार
एईएस (एक्टूड इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) और जेई (जापानी इंसेफलाइटिस) को उत्तरी बिहार में चमकी बुखार के नाम से जाना जाता है. इससे पीड़ित बच्चों को तेज बुखार आता है और शरीर में ऐंठन होती है. इसके बाद बच्चे बेहोश हो जाते हैं. मरीज को उलटी आने और चिड़चिड़ेपन की शिकायत भी रहती है.
यह भी देखें
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)