जेलों में बंद कैदी नहीं कर पाएंगे मोबाइल का इस्तेमाल, लगाए जाएंगे जैमर
प्रदेश में पांच केंद्रीय कारागार हैं जो आगरा, बरेली, फतेहगढ़, बनारस और नैनी में स्थित हैं. इन जेलों में अक्सर कैदियों के पास से मोबाइल फोन बरामद होने की खबरें आती रही हैं.
इलाहाबाद: उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद कैदी अधिक दिनों तक चोरी छिपे मोबाइल का उपयोग नहीं कर सकेंगे. प्रदेश सरकार ने जल्द ही प्रदेश के सभी पांच केंद्रीय कारागारों और अन्य जेलों में 4जी सिग्नल ब्लॉक करने वाले जैमर लगाने की तैयारी कर ली है.
उत्तर प्रदेश के कारागार महानिरीक्षक चंद्र प्रकाश ने बताया, "कुछ तकनीकी मुद्दों की वजह से अभी तक प्रदेश की जेलों में 4जी सिग्नल रोकने वाले जैमर नहीं लग पाए थे. केंद्र सरकार के साथ इन मुद्दों को लगभग हल कर लिया गया है और जल्द ही प्रदेश की जेलों में ये जैमर लगा दिए जाएंगे."
प्रदेश में पांच केंद्रीय कारागार हैं जो आगरा, बरेली, फतेहगढ़, बनारस और नैनी में स्थित हैं. इन जेलों में अक्सर कैदियों के पास से मोबाइल फोन बरामद होने की खबरें आती रही हैं.
इलाहाबाद स्थित नैनी सेंट्रल जेल ने 4जी सिग्नल जैमर लगाने के लिए 11 अप्रैल, 2017 को उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव (गृह) को पत्र लिखा था.
इसी तरह, नैनी सेंट्रल जेल प्रशासन ने 8 दिसंबर, 2017 को गोबर गैस प्लांट का प्रस्ताव भी शासन को भेजा था. हालांकि उस पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है.
नैनी सेंट्रल जेल के एक अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में कैदियों के लिए भोजन पकाने में हर महीने 900 से 1000 सिलेंडर की खपत होती है. गोबर गैस प्लांट लगने से एलपीजी सिलेंडरों का खर्च बहुत हद तक घट सकता है. इस जेल में लगभग 4,000 कैदी बंद हैं.
बता दें कि कुछ दशक पहले लगाए गए जैमर 2G और 3G नेटवर्क को आसानी से ब्लॉक कर देते हैं लेकिन 4G नेटवर्क के मामले में विफल थे. ऐसे में कारागार अधिकारियों को बंदियों की गतिविधियों पर रोक लगाने में मशक्कत करनी पड़ती थी.