गोरखपुरः जालसाजों ने जीएसटी का भी तोड़ निकाल लिया है. वे इससे जहां सरकार को चूना लगा रहे हैं, तो वहीं व्‍यापारी भी इनका शिकार हो रहे हैं. सीएम सिटी में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया है. जिसमें, मोबाइल कारोबारी का जीएसटी नंबर हैक कर जालसाजों ने 60 करोड़ रुपए की खरीद-बिक्री की है. जांच में खरीदे गए माल की बिक्री का पता भी फर्जी निकला है. उस माल को कहीं और बेचकर कर करोड़ों की कर चोरी कर सरकार को चूना लगाया गया है.


गोरखपुर के गोला कस्‍बे में आशीष जायसवाल की जायसवाल ट्रेडर्स नाम से मोबाइल शॉप है. फर्म के पास दो कंपनियों की एजेंसी भी है. एक माह पहले फर्म के मालिक आशीष जायसवाल को इस बात की जानकारी हुई कि उनके जीएसटी नंबर पर करीब 60 करोड़ रुपए की खरीद-बिक्री की गई है.


दुकानदार को वाणिजय कर विभाग से जानकारी मिली कि जनवरी, फरवरी और मार्च माह में गोरखपुर की दो फर्मों के नाम पर खरीद कर सामान को ई वे बिल के माध्‍यम से दिल्‍ली में बेच दिया गया है. बिक्री का जो पता दर्शाया गया है, वो पता भी जांच में फर्जी निकला है. यानी माल को कहीं और बेचकर जालसाजों ने करोड़ों की कर चोरी की है.


वाणिज्‍य कर विभाग की टीम ने बुधवार को गोला कस्‍बे में जायसवाल ट्रेडर्स पर पहुंचकर जांच-पड़ताल की. प्रथम दृष्‍टया आईडी-पासवर्ड हैक कर जालसाजी का मामला सामने आया है. व्‍यापारी आशीष जायसवाल ने बताया कि अक्‍टूबर माह में खुदरा विक्रेता ने बताया कि उसका जीएसटी कभी दायर नहीं किया गया है.


उसके बाद उन्‍होंने अपने अधिवक्‍ता से संपर्क किया, तो उन्‍होंने बताया कि उनका जीएसटी आईडी पासवर्ड खुल नहीं रहा है. किसी ने उसे हैक कर लिया है. उन्‍होंने बताया कि वे अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से ही हर माह जीएसटी फाइल करते हैं. उन्‍होंने अपनी आईडी और पासवर्ड भी उन्‍हें दे दिया था.


इसके बाद 29 अक्‍टूबर को वे वाणिज्‍य कर विभाग-4 के सहायक आयुक्‍त अनिल कुमार मिश्रा के पास गए और उन्‍हें सारी बात की जानकारी देने के बाद आधार और पैन नंबर सत्‍यापित‍ कराया. व्‍यापारी ने बताया कि उन्‍हें जानकारी दी गई कि गोरखपुर की फर्म मंजू इंटरप्राइजेज और महाराजा के माध्‍यम से ये जालसाजी की गई है.


इन्‍हीं दो फर्मों के नाम से उनके जीएसटी नंबर से जनवरी, फरवरी और मार्च माह में ई-वे बिल के माध्‍यम से 60 करोड़ रुपए का माल खरीदा और बेचा गया है. उन्‍होंने बताया कि इन तीन महीने में उन्‍होंने सिर्फ 43 लाख का माल रुपए की खरीदारी की है.


हैकरों ने उनकी फर्म की आईडी और पासवर्ड हैक कर ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर चेंज कर दिया था. यही वजह है कि माल की खरीद और बिक्री की जानकारी उन्‍हें नहीं हुई.


वाणिज्‍य कर विभाग के एडिशनल कमिश्‍नर ग्रेड-वन रवि सेठ ने बताया कि व्‍यापारियों को आगाह किया जाता है कि वे अपना आईडी और पासवर्ड किसी से शेयर न करें. व्‍यापारी ने अपना जीएसटी पहचान और आईडी-पासवर्ड की गोपनीयता भंग की है. उसकी आईडी से 60 करोड़ करोड़ का व्‍यापार कर कर चोरी की गई है. इसके लिए सीधे तौर पर वो जिम्‍मेदार है. इस मामले में व्‍यापारी और हैकर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया जाएगा. किस माल की खरीद-बिक्री हुई है, इसकी सटीक जानकारी होने के बाद ही कर चोरी का आकलन किया जा सकेगा.