लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार को बड़ी राहत देते हुए प्रदेश में 68000 से ज्यादा प्राइमरी शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया की सीबीआई जांच कराने के एकल पीठ के आदेश पर स्थगन आदेश जारी कर दिया. मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी.


मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति मनीष माथुर की पीठ ने यह अंतरिम आदेश पारित करते हुए सीबीआई को इस मामले पर कार्यवाही करने से रोक दिया.

अदालत ने यह आदेश गत 1 नवंबर को दिए गए एकल पीठ के सीबीआई जांच संबंधी आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार द्वारा दाखिल विशेष अपील पर दिया.

प्रदेश के महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने अदालत से कहा कि 68500 प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में किसी तरह का अपराध नहीं किया गया है.

अदालत ने सिंह की दलील को स्वीकार करते हुए एकल पीठ द्वारा सीबीआई जांच संबंधी आदेश पर स्थगन देने के अंतरिम निर्देश जारी किए.

ऐसे हाईकोर्ट तक पहुंचा था मामला

प्रदेश में 68,500 सहायक शिक्षक के पदों पर भर्ती के लिए लिखित परीक्षा में महज 41, 556 अभ्यर्थी ही पास हुए थे. इसमें 40,700 को 5 सितंबर तक नियुक्ति पत्र जारी किए गए थे. इसी दौरान कॉपियों के मूल्यांकन में गड़बड़ियों और पास अभ्यर्थियों को भी रिजल्ट में फेल दिखाए जाने की शिकायतें आई थीं. मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा था.

भूसरेडी की अध्यक्षता में बनाई गई थी जांच कमिटी

इसको संज्ञान लेते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी की सचिव रूबी सिंह को आठ सितंबर को निलंबित कर दिया था. साथ ही आईएएस संजय आर. भूसरेडी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमिटी बनाई थी. कमिटी को एक सप्ताह की मोहलत थी लेकिन करीब एक महीने बाद रिपोर्ट सौंपी गई है. इसको लेकर हाईकोर्ट ने भी नाराजगी जाहिर की थी. इस दौरान सभी 1.07 लाख कॉपियों को स्क्रूटनी भी कमिटी ने कराई.