(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
गांव के विकास के लिए लड़ रहे युवक ने खुद को आठ दिनों से मंदिर में किया कैद, कहा- जब मुख्यमंत्री आएंगे तभी खुलेगा गेट
युवक को मनाने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस लगी है लेकिन वो किसी की बात सुनने को तैयार नहीं है. अगर प्रशासन जबरन मंदिर से निकालने की बात करता है तो वो मंदिर के अन्दर सुसाइड करने की धमकी भी दे रहा है.
कानपुर: गांव में विकास कार्य नहीं होने से नाराज युवक ने खुद को 8 दिनों से मंदिर में कैद कर के रखा है. युवक कि जिद है कि जब तक मुख्यमंत्री नहीं आएंगे मंदिर का दरवाजा नहीं खुलेगा. युवक 8 दिन से मंदिर के अन्दर मौन अनशन पर बैठा है. युवक को मनाने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस लगी है लेकिन वो किसी की बात सुनने को तैयार नहीं है. अगर प्रशासन जबरन मंदिर से निकालने की बात करता है तो वो मंदिर के अन्दर सुसाइड करने की धमकी भी दे रहा है.
जनपद कानपुर देहात के अकबरपुर कोतवाली स्थित ज्योतिषपुर गांव इन दिनों जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है. विकास के नाम पर यह गांव बहुत पिछड़ा है, गांव में ही रहने वाले घनश्याम तिवारी अपनी बुजुर्ग मां के साथ रहते हैं. घनश्याम ने खुद को बीते 28 जुलाई को गांव में ही बने प्राचीन शिव मंदिर में कैद कर लिया. मंदिर के बहार के बाहर एक पोस्टर भी चस्पा किया है, जिसमें लिखा है "मंदिर का दरवाजा मुख्यमंत्री के आने तक बंद रहेगा ग्राम वासी सहयोग करे ". इस बात की चर्चा पूरे गांव में है और रोजाना हजारों लोग घनश्याम को देखने के लिए आ रहे है.
घनश्याम ने अपना अनशन सावन के मौके पर शुरू किया और मौन होकर अनशन कर रहा है. घनश्याम जब किसी से बात करता है तो कागज में लिख कर बात कर रहा है, जब से यह बात जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन पता लगी, अधिकारियों का रोजाना मंदिर पर आना जाना लगा हुआ है. घनश्याम ने पानी और खाना भी भी छोड़ रखा है ताकि उसे शौच क्रिया के लिए मंदिर से बाहर नही निकलना पड़े. इस सब के बीच उसकी हालत बिगड़ती जा रही है, लेकिन वो अपनी जिद भी छोड़ने को तैयार नहीं है.
घनश्याम का कहना है कि गांव का प्रधान और सचिव गांव के विकास के आने वाले रुपए को आपस में मिल बांट कर खा जाते हैं. जिसकी वजह से गांव का विकास नहीं हो पा रहा है. गांव आज भी शौचालय, खडंजा और जर्जर मकानों में रहने को मजबूर हैं. जब इस सम्बन्ध में उच्च अधिकारियों समेत मुख्यमंत्री को भी लिखित शिकायत की गई लेकिन कोई कार्यवाई नहीं हई.
मेरी शिकायत पर ग्राम प्रधान और सचिव मुझे जान से मारने की धमकी देने लगे. मैं शिकायत कर-कर हताश हो गया, मेरे पास इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा था. मैं डर कर नहीं जीना चाहता हूं, अगर मुझे मरना होगा तो मैं अपने और ग्रामीणों के अधिकार के लिए लड़ कर मरूंगा.
घनश्याम का कहना है कि मेरे आगे पीछे कोई नहीं सिर्फ बुजुर्ग मां हैं, मैंने उनसे भी कह दिया है तुम्हारा बेटा न्याय के लिए लड़ रहा है. अगर इसमें मेरी जान भी चली जाए तो मुझ पर गर्व करना. उसका कहना है कि जब तक मुख्यमंत्री नही आएंगे मै मंदिर प्रांगण से बाहर नहीं आऊंगा. मैं उनको बताना चाहता हूं कि आप के अफसर क्या कर रहे हैं, किस तरह से गरीबों का हक मार रहे हैं.
ग्रामीण प्रभु दयाल के मुताबिक पूरा गांव घनश्याम के साथ है, अब यह लड़ाई घनश्याम की नहीं बल्कि पूरे गांव की है. गांव का बेटा गांव के लिए अधिकार की लड़ाई लड़ रहा है और गांव का प्रधान निलेश कुमार गांव के साथ सौतेला व्यव्हार कर रहा है. अगर जिला प्रशासन के अधिकारी घनश्याम को जबरन निकालने का प्रयास किया तो पूरा गांव विरोध में खड़ा हो जाएगा.
हम सभी चाहते हैं कि मुख्यमंत्री गांव में आए और खुद देखे गांव की क्या स्थिति है. विकास के नाम पर गांव में क्या हुआ है, घनश्याम की जमीनों पर दबंगों ने कब्ज़ा कर लिया है. वो दिन रात अधिकारियों के दफ्तरों पर चक्कर लगता रहा लेकिन उसकी कहीं सुनवाई नहीं हई.
अकबरपुर कोतवाली इन्स्पेक्टर ऋषि कान्त शुक्ला के मुताबिक एक शख्स ने खुद को मंदिर के अन्दर बंद किया है. उसे बाहर निकालने के लिए लगातार बातचीत की जा रही है, उस पर नजर भी रखी जा रही है.