कन्नौज जेल की ताजा घटना है प्रमाण
abpnews.in ने अपनी खबर के जरिए यह बताया था कि किस तरह के जेलों में हालात लगातार खराब हो रहे हैं. इसी बीच कन्नौज की ताजा घटना ने खबर की प्रमाणिकता की पुष्टि भी कर दी. ऐसे में मायावती सरकार द्वारा जेल प्रशासन के ढांचे में किए गए प्रयोग को भी गंभीरता से उठाया गया था जो कि सफल नहीं हो पाया.
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आईपीएस को दी गई थी जिम्मेदारी
दरअसल, सन 2008 में मायावती की सरकार थी औऱ जेलों की दशा सुधारने के लिए जेल डीजी की पोस्ट पर आईपीएस अधिकारी को बैठाया गया. सोच यह थी कि पुलिस अधिकारी कानून-व्यवस्था के हिसाब से जेलों को देखेगा तो सुधार आ सकता है. तबतक आईएएस अधिकारी ही जेल प्रशासन का मुखिया होता था. इस प्रयोग के बाद अबतक इस मामले में कोई रीव्यू नहीं किया गया.
तीन साल का प्रयोग था अबतक जारी
खास बात यह है कि तीन सालों के लिए ही इस प्रयोग को लागू किया गया था. लेकिन, इस बारे में पुनर्विचार हुआ ही नहीं. इससे साफ है कि जेलों की हालात को लेकर सरकारें गंभीर नहीं रहीं. अब तक यह प्रयोग जारी है और इसे लेकर कोई फैसला नहीं हो रहा है. जबकि, जेलों में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं.
दोगुने कैदी हैं जेलों में
यूपी की तमाम जेलों में 30 से 40 हजार कैदियों के रहने की व्यवस्था है लेकिन, एक समय में करीब 95 हजार कैदी इन जेलों में कैद हैं. इन जेलों की सुधार के लिए करीब 10 साल पहले तत्कालीन सरकार ने एक प्रयोग किया था, लेकिन वह प्रयोग सफल होता नजर नहीं आ रहा है और व्यवस्था को बदलने का ध्यान भी किसी का नहीं है.