पटना: एबीपी न्यूज़ के खास कार्यक्रम 'मातृभूमि' में आज बात पटना की. बिहार सरकार की नाकामी की वजह से पूरा पटना शहर नाले के पानी में डूबा हुआ है. लोगों का घर उजड़ गया, बच्चे भूख से बिलखते रहे, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस पर सवाल किए गए तो वो अमेरिका और मुंबई से पटना की तुलना करने लगे. दूसरी ओर पटना के आम लोगों का दावा है कि उनके पास मदद नहीं पहुंच पा रही है. जब वो स्थिति सुधरने का इंतजार करते-करते थक गए तो झोला उठाकर घरों से निकलने लगे.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मुताबिक जो पटना में हुआ वो अमेरिका और मुंबई में भी होता है. आपको याद होगा कि दस दिन पहले अमेरिका के ह्यूसटन में मोदी का मेगा शो हुआ. जहां उन्होंने 50 हजार भारतीयों को संबोधित किया था. शो से दो दिन पहले टेक्सास के ह्यूसटन शहर में भीषण बारिश हुई थी.
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23 लाख की आबादी वाला शहर डूब गया था कई कॉलोनियां जलमग्न थीं, बिजली जा चुकी थी, ट्रैफिक रुक गया था. सबको लग रहा था कि इन हालात में ह्यूसटन में मोदी का शो नहीं हो पाएगा लेकिन दो दिन के भीतर ह्यूसटन में हालात सामान्य हो गए. बारिश का पानी निकाल दिया गया और मोदी का शो आयोजित हुआ.
जबकि पटना में पांच दिन होने के आए और बारिश रुकने के बाद भी लोग नाले के गंदे पानी के बीच फंसे हुए हैं. यहां तक कि बिहार के डिप्टी सीएम को तीसरे दिन एनडीआरएफ की टीम ने रेस्क्यू करके बाहर निकाला.
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2019 में रहने लायक शहरों की लिस्ट में ह्यूसटन 66 वें नंबर पर है जबकि 240 शहरों की इस लिस्ट में मगध साम्राज्य के सबसे समृद्ध और ताकतवर माने जाने वाले पटना का नाम तक नहीं है.
23 लाख की आबादी वाले ह्यूसटन की सिटी काउंसिल का बजट 35 हजार 634 करोड़ है जबकि 21 लाख की आबादी वाले पटना का बजट चार हजार करोड़. वो भी तब जब ये बजट पिछले साल की तुलना में 8 गुना बढ़ाया गया है.
अमेरिका की कहानी के बाद आपको मुंबई ले चलते हैं. मुंबई देश की आर्थिक राजधानी होने के साथ-साथ रहने लायक शहरों की लिस्ट में वो 154वें नंबर पर है जबकि इस लिस्ट में पटना का नाम नहीं है.
मुंबई में ड्रेनेज सिस्टम ऐसा है जो हर घंटे 50 एमएम बारिश के पानी को बाहर निकालता है, जबकि 1968 के बाद से पटना में ड्रेनेज सिस्टम पर कोई काम ही नहीं हुआ है. मुंबई और अमेरिका में हालात खराब होते हैं तो सुधरते भी हैं वहां पटना की तरह हालात बद से बदतर नहीं हो जाते.
नीतीश कुमार साल 2005 में बिहार के मुख्यमंत्री बने. उसके अगले साल यानि 2006 में पटना सिटी डेवलपमेंट प्लान बना जिसमें बारिश के पानी को बाहर निकालने की योजना का जिक्र था. लेकिन अभी तक बिहार इस खराब ड्रेनेज सिस्टम से परेशान है.