नई दिल्ली: यूपी में समाजवादी पार्टी में चल रहे महाभारत के बीच एबीपी न्यूज ने सबसे बड़ा ओपिनियन पोल किया है. सर्वे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव को सचेत कर रहा है कि एकजुट हो जाओ नहीं तो सत्ता हाथ से चली जाएगी. मुलायम के लिए विशेष संदेश है कि बेटा अखिलेश जनता में भी आप पर भारी है यह बात अब आपको समझनी होगी.

समाजवादी पार्टी में पिछले दिनों से जो कुछ भी हो रहा है उसकी वजह से पार्टी की जमकर किरकिरी हो रही है लेकिन अखिलेश यादव का सितारा बुलंदियों पर है. विधानसभा चुनाव से पहले पहले नोटबंदी हुई. फिर समाजवादी पार्टी और मुलायम परिवार में झगड़ा हुआ. इन सब से यूपी में चुनाव की तस्वीर उलझ गई है. कौन जीतेगा, कौन हारेगा? कोई आपस में लड़ रहा है, कोई दूसरे की लड़ाई में अपना फायदा देख रहा है. वर्तमान राजनीति का मिजाज समझने के लिए ही एबीपी न्यूज-लोकनीति-सीएसडीएस ने सबसे बड़ा ओपिनियन पोल किया.

ABP न्यूज ओपिनियन पोल: अखिलेश-मुलायम के बीच होती रही 'दंगल' तो बीजेपी चुनाव में करेगी सबको चित! पूरा सर्वे यहां पढ़ें

सीएम की पहली पसंद कौन?

सीएम के पद के लिए अखिलेश यादव सबसे ज्यादा 28 फीसदी लोगों की पसंद बने वहीं मायावती 21 फीसदी लोगों की पसंद बनी तो बीजेपी के आदित्यनाथ को महज 4 फीसदी तो मुलायम को 3 फीसदी लोगों ने पसंद किया. सर्वे के मुताबिक पारिवारिक विवाद के बावजूद अखिलेश लोगों के बीच अपना चेहरा चमकाने में सफल रहे हैं. सर्वे का लब्बोलुबाब यही दिख रहा है कि फिलहाल यूपी में अखिलेश लोगों की पहली पसंद बनकर उभरे हैं.



समाजवादी पार्टी में झगड़े का जिम्मेदार कौन?

शिवपाल को समाजवादी परिवार में झगड़े का जिम्मेदार मानते हैं. 25 फीसदी शिवपाल को तो 6 फीसदी अखिलेश को  जिम्मेदार मानते हैं.



अखिलेश की जगह कौन सीएम बने?

एबीपी न्यूज-लोकनीति-सीएसडीएस के सर्वे के मुताबिक अखिलेश को 37 फीसदी तो मुलायम को 33 फीसदी लोग सीएम के तौर पर देखना चाहते हैं.



क्या मायावती से बेहतर है अखिलेश सरकार?

एबीपी न्यूज-लोकनीति-सीएसडीएस के सर्वे के मुताबिक  41 फीसदी लोगों ने अखिलेश सरकार को पूर्ववर्ती मायावती सरकार से बेहतर बताया है.



कैसे हुआ सर्वे?

एबीपी न्यूज-लोकनीति-सीएसडीएस ने 5 दिसंबर से 17 दिसंबर के बीच यूपी के लोगों की राय ली थी लेकिन तब मुलायम और अखिलेश का झगड़ा इतना प्रचंड नहीं था. एबीपी न्यूज और लोकनीति-सीएसडीएस ने यूपी की 65 विधानसभा क्षेत्रों के 5 हजार 932 लोगों से बात की. यह सर्वे यूरोपियन सोसाइटी फॉर ओपिनियन एंड मार्केटिंग रिसर्च यानी ESOMAR के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए किया गया.