गोरखपुर ट्रेजडी: IAS अनीता की छुट्टी, पूर्व प्रिंसिपल और डॉ कफील समेत 6 के खिलाफ FIR दर्ज
बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज गोरखपुर में सीएमएस डॉक्टर अशोक श्रीवास्तव ने हमें बताया कि गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी का बकाया पैसा क्यों रोका जा रहा था जिसके कारण 10 और 11 अगस्त को 36 बच्चों की जान चली गई.
रिपोर्टर- ये बताइये सर 1 तारीख को चिट्ठी आई, इतना रिमाइंडर आया, पेमेंट इतना दिन से रोका क्यों 6 महीने से?
सीएमएस- क्या चीज पेमेंट का, पेमेंट देखिए वो भी @#$%7 ही था ना, @#$%& ये था कि जैसे
रिपोर्टर- पुष्पा वाला.
सीएमएस- जैसे मान लीजिए एक बार में आता था उसका ढाई लाख करीब, ढाई लाख पौने तीन लाख का आता था, 2 लाख 60-65 हजार का इतने का आसपास एक टैंकर आता था अभी खड़ा था
रिपोर्टर- हां सामने है सामने है गया अभी अभी गया
सीएमएस- हां गया तो वो आता था, तो देखिए अभी तीन चार बार आ चुका अभी बिल नहीं भेजा है. उसने ठीक है. वो इकट्ठे ही भेजता था. 4-6-10 तो जैसे अभी सिलेंडर आ रहा है उसका अभी देखिए मई के बाद से मई कह रहे है जून में, जून के बाद से कोई बिल नहीं आया उसका.
रिपोर्टर- जुलाई अगस्त दो महीने का
सीएमएस- ठीक है अब जुलाई बीत गया अगस्त बीत गया अब जब पेपर भेजेगा वो तो कहेगा इतना पैसा हो गया जल्दी से दीजिए जल्दी, तो वो चाहता था बल्क में मिले पैसा अब उसकी डिलिंग कहा कहा है ये तो वो ही जानेगा, अब यहां पे आता था तो यहां मैडम दौड़ाती थी उसको 4 दिन.
रिपोर्टर- मैडम कौन
सीएमएस- अरे वही...
रिपोर्टर- अच्छा प्रिंसिपल साहब की
सीएमएस- वो तो जो यहां आता था तो कहते थे कि कैंप कार्यालय में मिलो.
रिपोर्टर- मतलब मैडम के
सीएमएस- हां घर पर
रिपोर्टर- सारी डिलिंग मैडम ही करती थी
सीएमएस- मैडम करती थी वो नहीं करते थे.
किसी भी सरकारी जांच रिपोर्ट में अब तक ये बात सामने नहीं आई है कि गोरखपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल की डॉक्टर पत्नी भ्रष्टाचार का पूरा तंत्र चला रही थीं. ये खुलासा अब खुद बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के सीएमएस डॉक्टर अशोक श्रीवास्तव ने किया है.
रिपोर्टर- सर ये इसमें कमीशन वाली क्या कहानी थी जो सुनने में आ रहा है कि मैडम को कमीशन जाता था.
सीएमएस- देखो ऐसा है कि ये तो हर आदमी, जहां भी खरीद फरोख्त होता है वहां चलता है तो ये लोग अपना उनको रोकती थी सिर्फ इसीलिए कि जब तक हमारा कुछ फाइनल ना हो जाए.
रिपोर्टर- सर पुष्पा में भी कहीं ये ही मामला था
सीएमएस- नहीं पुष्पा में तो लम्बा काम है, उसका सब बिगड़ा हुआ है. वही तो दिखा रहा था टीवी पे, उसके स्टेब्लिशमेंट से ले के अब तक सब झमेला ही झमेला है.
रिपोर्टर- मैडम का पेमेंट भी वो ही अटकाया था क्या, पेमेंट भी अटकाया था क्या
सीएमएस- नहीं मैडम का पेमेंट कहां
रिपोर्टर- नहीं मैडम का नहीं मैडम ने पेमेंट पुष्पा का
सीएमएस- अरे पिछली बार रोकी थी वो बहुत दिन तक बहुत रोया हुआ था. आता था रोता था. हम लोगों के पास. हमने कहा देखो मुझसे मतलब नहीं है तुम उन्ही से बात करो, जब तुमको वहीं उन्हीं को आदेश करना है उन्हीं को करना है. तुम उनसे मिल लो बात कर लो, कहा हमको परेशान करती है ये है वो है मैं नहीं दूंगा बंद कर दूंगा, हम कहे जो मर्जी तुम करो, तुम जाओ उनसे बात करो.
रिपोर्टर- कितना परसेंट मांग रही थी सर
सीएमएस- पता नहीं वो ही बताएगा पुष्पा वाला, पुष्पा वाला भी बता देता है कहीं उसने बताया है..
ABP न्यूज के स्टिंग में स्टिंग में खुलासा हुआ है कि ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी के पेमेंट के लिए दो करोड़ का बजट 8 तारीख को ही आ चुका था, लेकिन कमीशन के लालच में पेमेंट नहीं किया गया.
सीएमएस- बजट आया था 2 करोड़, 2 करोड़ बजट आया था यहां पर पांच को आया रिलीज हुआ. वहां से आठ को इनके उसमें आ गया था, लेकिन उसमें इनको मौका नहीं मिला ना और ये बना रखा था बिल वो.
रिपोर्टर- कौन
सीएमएस- जो बाबू था उनसे बिल बना रखा था
रिपोर्टर- पेमेंट के लिए
सीएमएस- पेमेंट के लिए और डीडीओ ने कहां कि उसका निकाल दे तो इन्होंने कहा कि नहीं अभी नहीं निकालिएगा. हम लौट के आएंगे तो बताएंगे, इनका फाइनल नहीं हुआ उससे
रिपोर्टर- मतलब पुष्पा वाले से इनका कमीशन इनको नहीं मिला
सीएमएस- सिर्फ फाइनल नहीं हुआ था इसलिए रुके थे ये.
रिपोर्टर- अच्छा दूसरा बोल रहे थे टेंडर वेंटर के अलावा जो अस्थाई नियुक्तियां वगैरह होती हैं...
सीएमएस- सब जितना नियुक्ति हुई हैं सब वो आउटसोर्सिंग वालों का सब पैसा ले ले किए है सब.
रिपोर्टर- सामने कोई मेडिकल स्टोर वाला है उससे बोल रहे थे सेटिंग है वो अपना आदमी यहां पर लगाए हुए है सब
सीएमएस- अब मेडिकल स्टोर वाले का तो नहीं पता कुछ कर्मचारी है यहां पे जो उसके बहुत नजदीक थे वो ही सब अपना कराते थे, पैसा ले ले कराए है सब 50 हजार से ले के 2-2 लाख तक
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिसिंपल और इंडियन मेडिकल एसोसिशन के सदस्य के पी कुशवाहा ने भी ABP न्यूज के स्टिंग में बेहद चौंकाने वाला खुलासा किया है. कुशवाहा गोरखपुर कांड की जांच करने वाली समिति के सद्स्य भी हैं. कुशवाहा के मुताबिक ऑक्सीजन सिलेंडर को जान बूझकर महंगा कर दिया गया है.
डॉ. कुशवाहा- जब हमारे समय में कोई कमीशन नहीं देता था और इसीलिए इसका दाम कम पर था. पहले जो ये गैस था ना.. वो 55 रुपये में आता था अब 120 रुपये.
रिपोर्टर- अच्छा मोदी से 55 रुपये में आ रही थी ?
डॉ. कुशवाहा- हम लेते थे पहले जब हमारे समय में 55 रुपये में भी गैस और जम्बो सिलेंडर उसका 90 रुपये में था . फिर धीरे धीरे बढ़ाते बढ़ाते जो है 150 रुपये तक हो गया तो रेट भी बढ़ा होगा. 2 साल में महंगाई बढ़ी. हो सकता है बढ़े लेकिन इतना नहीं बढ़ेगा जिस रेट से ये बढ़ा.
गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में कमीशन का खेल चल रहा था. ये बात हमें उसके पूर्व प्रिंसिपल के पी कुशवाह भी ने बताई. कुशवाहा ने हमें बताया कि एक मैडम हैं. जो ये सारा खेल खेलती थीं.
रिपोर्टर- वो इसलिए नहीं हो रहा था क्योंकि डील नहीं हो पा रही थी उनकी, तो मैडम सर डायरेक्ट घर बुलाती अपने?
डॉ. कुशवाहा- सबको घर बुलाती थी. वो तो आप किसी से बात करेंगे मेडिकल कॉलेज में. हर आदमी ये ही बताएगा.
जिस गोरखपुर में इनसेफलाइटिस से सिर्फ अगस्त के महीने में साढ़े पांच सौ से ज्यादा बच्चे दम तोड़ते हों. उस गोरखपुर में लिक्विड ऑक्सीजन की न तो अस्पताल को चिंता थी और न ही जिला प्रशासन को.
रिपोर्टर- सर हॉस्पिटल में सबको पता था कि खत्म होने वाली है तो इन्होंने पहले से कोई प्रिकॉशन क्यों नहीं लिया था ?
डॉ.कुशवाहा- वो तो किसी से नहीं लिया ना.. डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट ने नहीं लिया . डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट इंचार्ज जो था ना पूरे जिले का.. उसको भी तो करना चाहिए था . उसको भी तो नोटिस भेजता था.
रिपोर्टर- उनको पता था ?
डॉ.कुशवाहा- नोटिस तो भेजता था ना .
रिपोर्टर- बिलकुल डीएम.
डॉ. कुशवाहा- डीजी को भेजता था. सचिव को भेजता था. किसी ने क्यों नहीं लिया ? कोई नहीं लिया ना ? इतनी नेग्लिजेंस. हर जगह ये ही होता है कि पैसा तभी मिलता है जब पैसा दिया जाता है. ये ही तो हुआ ना. इस तरह की चीजें कहीं नहीं होनी चाहिए.
ABP न्यूज के ऑपरेशन उत्तर प्रदेश में खुलासा हुआ है कि 8 अगस्त को ऑक्सीजन सप्लाई कंपनी का पेमेंट सिर्फ कमीशन की वजह से रोका गया था. बीआरडी कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉक्टर राजीव मिश्रा की पत्नी डॉक्टर पूर्णिमा शुक्ला कमीशन लेती थीं. खुलासा हुआ है कि पूर्णिमा शुक्ला ने पैसे लेकर कई लोगों की नियुक्ति की और प्रमोशन किया. इसके अलावा खुलासा हुआ है कि गोरखपुर के डीएम भी लापरवाही के दोषी है.
फिलहाल डॉक्टर पूर्णिमा शुक्ला और डॉ राजीव मिश्रा समेत कई डॉक्टरों के खिलाफ 36 बच्चों की मौत के मामले में कार्रवाई की सिफारिश हो चुकी है. लेकिन सवाल है कि आखिर कब तक भ्रष्टाचार की जड़ें सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था को खोखला बनाती रहेंगी.