कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर में चमनगंज में शबीना पर तेजाब से हमले को बारह साल हो चुके हैं. पीड़ित बेटी के लिए वर ढूंढ रहे बाबुल का इंतजार खत्म हुआ. शबीना की शादी गुरुवार की रात हुई. विदाई के वक्त लोगों की आंखें नम थीं. लोग दूल्हे की सराहना करते दिखे.


कई साल तक इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती रही पीड़िता


बारह वर्ष पूर्व शादी से इनकार करने पर वसीम ने चमनगंज निवासिनी शबीना के चेहरे पर तेजाब डाल दिया था. युवती का चेहरा और आधा शरीर बुरी तरह जल गया. इस बावत भले ही आरोपी जेल की सजा काट रहा हो, लेकिन पीड़िता कई साल तक इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती रही.


आखिरकार चिकित्सकों ने उसकी जान तो बचा ली, पर चेहरा बुरी तरह झुलस गया. उसे कोई भी देखता तो डर जाता. है. शादी के लिए परिजन ऐसे हमसफर को तलाशते रहे जो हर कदम पर उसके साथ खड़ा हो. घरवालों की यह तलाश और आस पूरी हुई.


शमशाद ने रखा शादी का प्रस्ताव


शबीना का हमसफर बनने के लिए पड़ोसी शमशाद ने जब शादी का प्रस्ताव रखा तो पिता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. शबीना के घर बारात आई तो पड़ोसियों ने पिता की हर प्रकार से मदद की और बाराती बन बैठे. समाजसेविकाओं ने भी शादी में शामिल होकर शबीना को आशीर्वाद दिया.


मस्जिद के काजी ने शबीना और शमशाद को निकाह पढ़ाया और बाबूल ने हंसी-खुशी से बेटी को विदा किया. लोगों ने शमशाद के इस कदम को सराहा और समाज में एक मिसाल पेश होने की बात कही.


शबीना ने किया अल्लाह का शुक्रिया अदा


शमशाद से निकाह करने के बाद शबीना ने अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हुए कहा, "मुझे पता था कि अगर उसने जख्म दिया है तो मरहम भी वह देगा. लेकिन इतने साल लग जायेंगे यह नहीं पता था. खैर जो भी हुआ, उसमें अल्लाह की रजामंदी थी. उसने मुझे जो हमसफर दिया है, उसका शुक्रिया अदा कर अपने आने वाले दिनों की दुआ मांगती हूं."