चमकी बुखार: मुजफ्फरपुर में अब तक 112 बच्चों ने दम तोड़ा, बीमारी से प्रभावित बच्चों के घर जाकर सर्वे करेंगे डॉक्टर
चमकी बुखार: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच का दौरा किया और स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश देते हुए कहा कि इस अस्पताल की क्षमता बढ़ाएं और यहां 2500 बिस्तर की व्यवस्था सुनिश्चित करें.
मुजफ्फरपुर/पटना: बिहार में ‘चमकी’ बुखार से मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 137 हो गई है. केवल मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच अस्पताल और केजरीवाल अस्पताल में मरने वाले बच्चों की संख्या देखें तो यह 112 तक पहुंच चुकी है. एसकेएमसीएच में 93 और केजरीवाल अस्पताल में 19 बच्चों की मौत हुई है. चमकी बुखार एक्यूट इन्सेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस) को कहा जा रहा है.
काफी फजीहत के बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुजफ्फरपुर पहुंचे और एसकेएमसीएच का दौरा किया तो उन्हें आम लोगों की नाराजगी झेलने पड़ी. लोगों ने 'नीतीश वापस जाओ' के नारे लगाए. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों और चिकित्सकों के साथ बैठक की और कई आवश्यक निर्देश दिए.
एईएस के ज्यादातर मामले मुजफ्फरपुर में सामने आए हैं लेकिन पड़ोस के पूर्वी चंपारण और वैशाली जैसे जिलों में भी इस तरह के मामलों की खबर है. इससे पहले, मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉ. शैलेश प्रसाद ने बताया था कि मंगलवार देर शाम तक एईएस (चमकी बुखार) से मरने वाले बच्चों की संख्या 109 हो गयी है, जिनमें से श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) में 90 बच्चों और केजरीवाल अस्पताल में 19 बच्चों की मौत हुई है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि परिजन से बात करने पर यह जानकारी मिली कि भूख नहीं लगने के कारण रात में बच्चा बिना भोजन किए ही सो गया और सुबह में उनकी तबियत खराब हो गयी, इसलिए इस पहलू से भी देखना होगा कि कहीं दिन में ही उसकी ऐसी स्थिति तो नहीं हो गई थी जिसके कारण बच्चे को रात में भूख महसूस नहीं हुई.
किया जाएगा सर्वे नीतीश कुमार ने कहा कि पूरा इलाका, जो चमकी बुखार (एईएस) से प्रभावित है, उसका वातावरणीय अध्ययन कराकर यह विश्लेषण करना होगा कि इससे बचाव के लिए प्राकृतिक और तकनीकी तौर पर क्या किया जा सकता है. गर्मी में अक्सर मच्छर गायब हो जाते हैं, लेकिन उच्च तापमान, अस्वच्छता और आर्द्रता के कारण अगर प्रभावित इलाकों में मच्छर पाए जाते हैं तो उसका भी उपाय करना होगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभावित परिवारों के सामाजिक-आर्थिक अध्ययन के साथ-साथ साफ-सफाई के लिहाज से उनके घरों के वातावरण का भी आकलन करना होगा. उन्होंने अधिकारियों से कहा, ‘‘पेयजल की गुणवत्ता तो कहीं खराब नहीं है, उसकी भी निगरानी करवाइए. एक भी कच्चा घर नहीं रहे, इसके लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना और मुख्यमंत्री आवास योजना के जरिए जो मकान बनाए जाने हैं, उस पर भी ध्यान दीजिए.’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि जागरूकता अभियान के साथ-साथ और क्या कुछ करने की आवश्यकता है, हर बिंदु पर गौर करके कार्रवाई सुनिश्चित करें. उन्होंने कहा कि पीड़ित और मृत बच्चों में लड़के और लड़कियों का क्या अनुपात है, इसकी भी जानकारी लीजिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना से भी एक-एक परिवार को अवगत कराना होगा.
2500 बिस्तर बनेंगे मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश देते हुए कहा कि इस अस्पताल की क्षमता बढ़ाएं और यहां 2500 बिस्तर की व्यवस्था सुनिश्चित करें और तत्काल 1500 बेड का प्रबंध किया जाए.
उन्होंने कहा कि यहां एक धर्मशाला का भी निर्माण कराया जाए ताकि मरीजों के साथ आने वाले परिजनों को रहने की दिक्कत न हो. इससे अस्पताल के अंदर अनावश्यक आवाजाही पर भी रोक लगेगी.
मुख्यमंत्री ने 50 वर्ष पुराने एसकेएमसीएच के पुनरोद्धार की बात कही और दो साल के अंदर सभी काम पूरा करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि 24 घंटे चिकित्सक उपलब्ध हों, इसके लिए अतिरिक्त चिकित्सकों की तैनाती सुनिश्चित होनी चाहिए.
मुख्यमंत्री ने एसकेएमसीएच के अस्पताल अधीक्षक डॉ. सुनील कुमार शाही को निर्देशित करते हुए कहा कि प्रतिदिन के क्रियाकलापों और वर्तमान स्थिति के संदर्भ में अस्पताल में मीडिया ब्रीफिंग का समय निर्धारित करें.
इस अवसर पर उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, नगर विकास एवं आवास मंत्री सुरेश शर्मा, विधान पार्षद देवेश चंद्र ठाकुर, मुख्य सचिव दीपक कुमार, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, मुजफ्फरपुर के प्रमंडल आयुक्त नर्मदेश्वर लाल सहित एसकेएमसीएच के चिकित्सक और कई अन्य अधिकारी उपस्थित थे.
सरकार खर्मच वहन करेगी बाद में यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुए मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा कि बीमार बच्चों को अस्पताल लाने के लिए 400 रुपए का भुगतान किया जाएगा और सभी बीमार बच्चों के इलाज का खर्चा सरकार वहन करेगी.
मुख्य सचिव ने कहा कि रात में खाली पेट नहीं सोएं और बीमार होने की स्थिति में मरीजों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया जाए. इसे लेकर गांव-गांव लोगों के बीच जागरूकता पैदा की जाए और आशा, एएनएम कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी सेविका के माध्यम से वहां ओआरएस पहुंचाया जाए जहां यह नहीं पहुंचा है.
उन्होंने कहा कि बीमारी के कारण के प्रति अलग-अलग राय को लेकर चिकित्सकों से बातचीत करने पर इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं इससे प्रभावित हुए करीब 400 बच्चों के घरों पर वातावरणीय अध्ययन एवं सामाजिक-आर्थिक स्थिति जानने के लिए एक टीम कल से जाएगी.
दीपक ने कहा कि हम लोग एसकेएमसीएच में बच्चों के इलाज के लिए किए जा रहे प्रयास से संतुष्ट हैं और किसी भी बीमार बच्चे के अभिभावक ने कोई शिकायत नहीं की है. वहां केंद्रीय टीम के साथ साथ आईसीएमआर का दल शोध के लिए पहुंचा है.