नई दिल्ली: पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों में सभी पार्टियों ने जमकर आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को टिकट दिया है. पार्टियों में झगड़ा इस बात का हो रहा है कि कौन बड़ा गुंडा और कौन छोटा?


पांच राज्यों में हो रहे चुनावों के बीच एक बार फिर बाहुबलियों का मुद्दा छिड़ गया है. यूपी में चुनाव लड़ रही कोई पार्टी ऐसी नहीं है जो ये दावा कर सके कि उसका दामन बिल्कुल पाक-साफ है, लेकिन अब बहस इस बात पर छिड़ गई है कि किसका दामन कितना मैला है. किसकी पार्टी में कितने ज्यादा गुंडे हैं. समाजवादी पार्टी का दावा है कि बीजेपी ने सबसे ज्यादा दागियों को टिकट दिया है.

कल एक चुनावी सभा में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि बीजेपी की सरकार बनी तो समाजवादी पार्टी के गुंडो को उल्टा लटकाया जाएगा. ये हाल बीजेपी और समाजवादी पार्टी का है तो यूपी की तीसरी बड़ी पार्टी बीएसपी का हाल भी कुछ जुदा नहीं है, एसपी से लौटकर आए अंसारी भाइयों को मायावती ने अपनी पार्टी में वापस ले लिया है.

ADR की रिपोर्ट के मुताबिक यूपी फर्स्ट फेज में 11 फरवरी को होने वाले 73 सीटों के चुनावों में सबसे ज्यादा अपराधिक छवि वालों को बीजेपी ने ही टिकट दिया है. यूपी में प्रथम चरण में 73 सीटों पर 836 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं, इनमें से 168 का आपराधिक इतिहास है.

- इस लिस्ट में पहले नंबर पर है सबके विकास का दावा कर रही बीजेपी, बीजेपी के 73 उम्मीदवारों से 29 आपराधिक छवि वाले हैं.
- दूसरे नंबर पर है दलितों की राजनीति करने वाली मायावती की बीएसपी- बीएसपी ने 73 में से 28 दागी उम्मीदवारों को टिकट दिया है.
- RLD ने 57 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, इसमें से 19 दागी हैं.
- बीजेपी जिस एसपी के उम्मीदवारों को उल्टा लटकाने की बात कर रही है उसका चौथा नंबर है- 51 में से 15 दागी उम्मीदवारों को अखिलेश ने भी टिकट दिया है.

गोवा में चुनाव हो चुके हैं लेकिन यहां भी दागी उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के मामले में बीजेपी दूसरे नंबर पर है. कांग्रेस 9 उम्मीदवारों के साथ पहले नंबर, बीजेपी 6 दागी उम्मीदवारों के साथ दूसरे नंबर पर और आप 3 उम्मीदवारों के साथ तीसरे नंबर पर है.

गोवा ही नहीं पंजाब में भी कांग्रेस दागी उम्मीदवारों के मामले में सबसे ऊपर है. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने 9-9, अकालियों ने 8 और बीजेपी ने 1 आपराधिक छवि वाले उम्मीदवार को मैदान में उतारा है.

हालांकि आंकड़े बताते हैं कि आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को टिकट देने में पिछले चुनावों के मुकाबले 12 प्रतिशत की कमी आयी है, फिर भी ऐसा नहीं है कि किसी पार्टी ने इन बाहुबालियों के लिए अपनी पार्टी के दरवाजे हमेशा के लिए बंद कर लिए हों ना उनमें अतीक और अंसारी जैसे बाहुबलियों को लेकर अपने पिता से बगावत करने वाले अखिलेश हैं और ना ही सुचिता और सुराज का दावा करने वाली बीजेपी.