पटनाः बिहार में चमकी बुखार के कारण अभी तक 150 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है. चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों को लेकर केंद्र और राज्य सरकार ज्यादा बोलने से बच रही है. चमकी बुखार से मौत को लेकर जवाब कोई नहीं दे रहा है. इन मौतों के बीच एक नई थ्योरी घूम रही है थ्योरी ये है कहीं बुखार के पीछे लीची तो नहीं. बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में सबसे ज्यादा लीची का उत्पादन होता है और सबसे ज्यादा बच्चों की मौत इसी जिले में हुई है. इस बीच चमकी का चीन कनेक्शन भी निकलना शुरू हो चुका है.
चमकी बुखार से बच्चों की मौत का मामला शुक्रवार को संसद के दोनों सदनों में सुनाई दी. सदन की कार्रवाई शुरू होते ही एक मिनट का मौन रखा गया. ऐसे में लोगों के मन में एक सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि क्या 150 से ज्यादा बच्चों को मौत के मुंह में धकेलने वाले दिमागी बुखार के पीछे मुजफ्फरपुर की लीचियां हैं.
अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा में उठाया मुद्दा
चमकी बुखार से जारी मौत को लेकर लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस मुद्दे को उठाया. अधीर रंजन चौधरी बच्चों की इन मौतों के लिए कुपोषण को दोषी मान रहे हैं. लेकिन क्या कुपोषण के अलावा मुजफ्फरपुर की लीचियों में कोई खोट है जो बच्चों को बीमार बना रही है?
अधीर रंजन ने मुद्दा उठाया तो लोकसभा में महिला एंव बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी जवाब देने खड़ी हुईं. मौत के मामले को गंभीरता समझते हुए उन्होंने अपनी बात कही. सवाल पूछे जा रहे हैं. जवाब दिए जा रहे हैं लेकिन कोई नहीं बता रहा कि आखिर एक के बाद एक अकेले मुजफ्फरपुर में 100 से ज्यादा बच्चों की जिंदगी लील जाने वाले इंसेफलाइटिस जैसे दिमागी बुखार के पीछे क्या वजह है.
नहीं दे पा रहा है कोई भी जवाब
चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है लेकिन न तो मेडिकल सिस्टम इसका कारण बता पा रहा है और ना ही केंद्र से लेकर राज्य सरकार कोई जवाब दे पा रही है. कहीं किसी के पास कोई जवाब नहीं था. ऐसे में सोशल मीडिया पर एक थ्योरी तैरने लगी. दावा किया जाने लगा कि बच्चों की मौत लीची से हो रही है.
सोशल मीडिया लीची को ठहरा रहा है जिम्मेदार
सोशल मीडिया यूजर्स चमकी के लिए लीची को जिम्मेदार ठहरा रहे है. लेकिन प्रमाण किसी के पास नहीं है. किसी का हवाला नहीं है. मतलब ये दावा कितना सच है ये कोई नहीं जानता और बगैर जाने सोशल मीडिया पर ऐसे दावों का असर क्या हुआ है ये आज लोकसभा में बिहार के बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी ने बताया.
ठहर सी गई लीची की बिक्री
बीजेपी के सांसद राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि अचानक हजारों करोड़ की लीची जो एक्सपोर्ट होती थी वो बंदरगाहों पर पड़ी है. इससे बने जूस को लोगों ने पीना बंद कर दिया.
पूरे बिहार में 32 हजार हेक्टेयर में लीची की फसल है. लगभग 3 लाख मीट्रिक टन. कहीं ये साजिश तो नहीं. चिंता का विषय ये है कि वो किसान जो लीची की फसल लगाते थे आज 50 फीसदी से ज्यादा लीची बाजार में बिक नहीं रही है.
लीची का चीन का कनेक्शन
बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी दावों के बाद लीची की दुर्दशा तो बता ही रहे हैं साथ ही आशंका जता रहे हैं कि कहीं इस अफवाह के पीछे कोई चीनी साजिश तो नहीं? राजीव प्रताप चीन का नाम क्यों घसीट रहे हैं वो भी जान लीजिए.
सदन में खड़े होकर राजीव प्रताप रूडी बिहार में मौत बरसा रहे इंसेफलाइटिस का कारण पूछ रहे हैं. जवाब कोई बता नहीं पा रहा है. लेकिन बुखार के कारण में लीची को जिम्मेदार ठहराया गया तो ये जानना जरूरी है कि आखिर ये शुरू कैसे हुआ. इस सवाल का जवाब बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के उस बयान में मिलता है जो उन्होंने 15 जून को दिया था.
मंगल पांडे का दावा
मंगल पांडे ने एक रिसर्च का हवाला देते हुए कहा था कि खाली पेट लीची खाना नुकसानदेह है. उन्होंने यह भी जोड़ा था कि इस बीमारी के लिए कई कारण है. इसके लिए सिर्फ लीची जिम्मेदार नहीं है. दिल्ली में राजीव प्रताप रूडी ने लीची में साजिश का शक जताया तो पटना में बिहार के कृषि मंत्री और बीजेपी नेता प्रेम कुमार ने भी इसी तरह की बात कही.
मौत पर नीतीश कुमार की चुप्पी
अभी तक सरकार बीमारी की जड़ तक नहीं पहुंच पाई है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तो मासूमों की मौत पर चुप्पी साधे हुए हैं. नीतीश कुमार मीडिया के सवालों का जवाब नहीं दे रहे हैं. इससे पहले भी हमारे रिपोर्टर सवाल पूछते रहे और नीतीश कुमार आगे बढ़ गए.
चमकी बुखार पर सवाल पूछे जाने के बाद सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गुस्सा भी हो रहे हैं. नीतीश कुमार ने पत्रकारों के सवाल का गुस्सा कैमरामैन पर उतार दिया. मोदी सरकार के मंत्री और एलजेपी के अध्यक्ष रामविलास पासवान का राज्यसभा सांसद के तौर पर नामांकन करवाने पहुंचे नीतीश कुमार ने पत्रकारों पर गुस्सा हो गए.
मुजफ्फरपुर सांसद का बयान
इस मामले में मुजफ्फरपुर के सांसद अजय निषाद ने फोर जी (4G) का बहाना बनाया तो बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे नीयती को जिम्मेदार ठहरा कर अपनी बात खत्म कर लिए. केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे जब रविवार को मुजफ्फरपुर गये तो सो गये थे. उनका वीडियो भी वायरल हुआ था.
क्यों चुप्पी साधे है विपक्ष
सवाल विपक्ष पर भी है. बिहार में विपक्ष नाम की कोई चीज नहीं दिख रही है. शरद यादव, मुकेश सहनी, अजय उपाध्याय के अलावा भोजपुरी गायक खेसारी लाल भी हॉस्पिटल पहुंचे थे. ऐसा लग ही नहीं रहा था कि ये वही हॉस्पिटल है जहां सौ से ज्यादा बच्चों की मौत हुई है.
बच्चों की मौत के बाद इस अस्पताल में नेता समेत कोई भी व्यक्ति बिना रोक-टोक आ जा रहा ता. एबीपी न्यूज ने मुजफ्फरपुर के प्रशासन को सवालों में घेरा तब जाकर बाहरी लोगों के अस्पताल में घुसने पर रोक लगी.
कुछ दिनो को छोड़ दें तो नीतीश कुमार बिहार में 14 साल से मुख्यमंत्री हैं. सूबे के सीएम बच्चों की बीमारी और बीमार अस्पतालों का इलाज खोज नहीं पाए हैं या यूं कहिए कि खोजने की कोशिश ही नहीं की. आज जब बात बहुत दूर तक जा चुकी हैं तो चुप्पी साधे हुए हैं. लेकिन चुप्पी आखिर कब तक. आज नहीं तो कल हिसाब तो देना होगा नेताओं को.
बिहार: बीजेपी सांसद रूडी ने चमकी बुखार का कनेक्शन चाइना से जोड़ा, विपक्ष हुआ हमलावर