पटनाः चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों के माता-पिता की आय को लेकर बड़ा खुलासा सामने आया है. बिहार सरकार की ओर से मिले आदेश के बाद स्वास्थ्य विभाग ने एक सर्वे करवाया. स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी सोशियो इकोनॉमिक सर्वे की प्रारंभिक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. सर्वे के मुताबिक जो रिपोर्ट सामने आई है. इसमें कहा गया है कि अधिकांश पीड़ित बच्चों का परिवार गरीबी रेखा (बीपीएल) के नीचे हैं.
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, अभी तक विभाग ने 287 पीड़ित परिवारों से मिला है जिसमें यह खुलासा हुआ है कि मरने वाले बच्चों के माता-पिता काफी गरीब हैं. इन परिवारों की मासिक आमदनी करीब 4,465 रुपये है.
सर्वे के मुताबिक कई परिवार की सलाना आमदनी मात्र 10 हजार रुपये है. सर्वे में एक और बात का खुलासा हुआ है जिसमें कहा गया है कि पीड़ित परिवारों में से करीब 77 प्रतिशत परिवार में 6-9 सदस्य हैं. पीड़ित 235 मरीजों के परिवार मजदूरी कर अपना भरण पोषण कर रहे हैं. बता दें कि बीमारी से जान गंवाने वाले बच्चों को लेकर कई डॉक्टर कह चुके हैं कि एइएस की एक बड़ी बजह कुपोषण भी है.
नहीं है घरों में पीना का साफ पानी
मरने वाले बच्चों के परिजनों ने बताया कि बुखार लगने से पहले उनके बच्चे धूप में खेल रहे थे तभी अचानक से बीमार होने लगे. 61 परिवार ने बताया कि उनका बच्चा बीमार पड़ने से एक रात पहले कुछ नहीं खाया था. अनुमान के मुताबिक जिन लोगों का सर्वे हुआ है उनमें से 191 के पास कच्चा मकान है. जबकि, 102 लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मिला है.
अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, इन घरों में 87% लोगों के पास पीना का साफ पानी नहीं है जबकि करीब 60% फीसदी लोगों के घरों में टॉयलेट नहीं है. बीमार लोगों के लिए सरकार की ओर से चलाए जा रहे एंबुलेंस योजना के बारे में 84% प्रतिशत परिवार को जानकारी नहीं है.
अभी तक 152 बच्चों की जा चुकी है जान
बता दें कि अभी तक चमकी बुखार के कारण 152 बच्चों की जान जा चुकी है. बीमार बच्चों की संख्या इतनी ज्यादा है कि हॉस्पिटल में बेड कम पड़ गए हैं. इस बीच नेता अस्पताल का दौरा भी कर रहे हैं.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे के अलावा राज्य सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे भी हॉस्पिटल का दौरा कर चुके हैं.
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