नयी दिल्ली: केंद्र ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट बताया कि वह बिहार में मस्तिष्क ज्वर (चमकी बुखार) के प्रकोप को रोकने के लिए हरसंभव मदद उपलब्ध करा रहा है. बीमारी को रोकने के लिए कदम उठाने का आग्रह करने वाली याचिका पर केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने मुजफ्फरपुर में स्थिति की समीक्षा के लिए 16 जून को बिहार का दौरा किया था.
इसमें कहा गया कि स्वास्थ्य मंत्री के दौरे के बाद कई निर्णय किए गए हैं जिनमें मुजफ्फरपुर स्थित एसकेएमसीएच अस्पताल में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कोष से राज्य सरकार द्वारा एक साल के भीतर 100 बिस्तर के बाल गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) का निर्माण भी शामिल है. हलफनामे में कहा गया, ‘‘इसके (100 बिस्तर की बाल आईसीयू) के लिए जमीन एसकेएमसीएच अस्पताल परिसर में उपलब्ध है और यह राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी.’’
इसमें कहा गया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कोष से बिहार के जिलों में पांच विषाणु विज्ञान प्रयोगशालाएं स्थापित करने का भी निर्णय किया गया है और जिलों का चयन राज्य सरकार के साथ विचार-विमर्श से किया जाएगा. केंद्र ने कहा कि आसपास के जिलों में दस-दस बिस्तर वाले बाल गहन चिकित्सा कक्ष स्थापित किए जाएंगे जिससे कि इस तरह के मामलों का जल्द उपचार हो सके और एसकेएमसीएच अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं पर अनावश्यक दबाव न पड़े. इसके लिए कोष राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत उपलब्ध कराया जाएगा.
हलफनामे में कहा गया कि एसकेएमसीएच अस्पताल में एक सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक का निर्माण किया जा रहा है जो दिसंबर के पहले सप्ताह तक काम करना शुरू कर देगा. शीर्ष अदालत अधिवक्ता मनोहर प्रताप की याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें उन्होंने कहा है कि वह बिहार में मस्तिष्क ज्वर से 126 से अधिक बच्चों की मौत से बेहद दुखी हैं. मरने वालों में ज्यादातर एक साल से लेकर 10 साल तक के बच्चे हैं. कोर्ट ने केंद्र के साथ ही बिहार सरकार से भी जवाब मांगा था.
बिहार सरकार ने मंगलवार को कोर्ट को बताया कि राज्य में सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों के 12,206 स्वीकृत पदों में से केवल 5,205 डॉक्टर ही कार्यरत हैं. इसने कहा कि राज्य के सरकारी अस्पतालों में नर्सों के 19,155 स्वीकृत पदों में से केवल 5,634 नर्स कार्यरत हैं.